1. फिर अय्यूब ने आगे कहा:
2. “सचमुच परमेश्वर जीता है और यह जितना सत्य है कि परमेश्वर जीता है [QBR2] check सचमुच वह वैसे ही मेरे प्रति अन्यायपूर्ण रहा है। [QBR] हाँ! सर्वशक्तिशाली परमेश्वर ने मेरे जीवन में कड़वाहट भरी है। [QBR2]
3. किन्तु जब तक मुझ में प्राण है [QBR2] और परमेश्वर का साँस मेरी नाक में है। [QBR]
4. तब तक मेरे होंठ बुरी बातें नहीं बोलेंगे, [QBR2] और मेरी जीभ कभी झूठ नहीं बोलेगी। [QBR]
5. मैं कभी नहीं मानूँगा कि तुम लोग सही हो! [QBR2] जब तक मैं मरूँगा उस दिन तक कहता रहूँगा कि मैं निर्दोष हूँ! [QBR]
6. मैं अपनी धार्मिकता को दृढ़ता से थामें रहूँगा। [QBR2] मैं कभी उचित कर्म करना न छोडूँगा। [QBR2] मेरी चेतना मुझे तंग नहीं करेगी जब तक मैं जीता हूँ। [QBR]
7. मेरे शत्रुओं को दुष्ट जैसा बनने दे, [QBR2] और उन्हें दण्डित होने दे जैसे दुष्ट जन दण्डित होते हैं। [QBR]
8. ऐसे उस व्यक्ति के लिये मरते समय कोई आशा नहीं है जो परमेश्वर की परवाह नहीं करता है। [QBR2] जब परमेश्वर उसके प्राण लेगा तब तक उसके लिये कोई आशा नहीं है। [QBR]
9. जब वह बुरा व्यक्ति दु:खी पड़ेगा और उसको पुकारेगा, [QBR2] परमेश्वर नहीं सुनेगा। [QBR]
10. उसको चाहिये था कि वह उस आनन्द को चाहे जिसे केवल सर्वशक्तिमान परमेश्वर देता है। [QBR2] उसको चाहिये की वह हर समय परमेश्वर से प्रार्थना करता रहा।
11. “मैं तुमको परमेश्वर की शक्ति सिखाऊँगा। [QBR2] मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर की योजनायें नहीं छिपाऊँगा। [QBR]
12. स्वयं तूने निज आँखों से परमेश्वर की शक्ति देखी है, [QBR2] सो क्यों तू व्यर्थ बातें बनाता है
13. “दुष्ट लोगों के लिये परमेश्वर ने ऐसी योजना बनाई है, [QBR2] दुष्ट लोगों को सर्वशक्तिशाली परमेश्वर से ऐसा ही मिलेगा। [QBR]
14. दुष्ट की चाहे कितनी ही संताने हों, किन्तु उसकी संताने युद्ध में मारी जायेंगी। [QBR2] दुष्ट की संताने कभी भरपेट खाना नहीं पायेंगी। [QBR]
15. और यदि दुष्ट की संताने उसकी मृत्यु के बाद भी जीवित रहें तो महामारी उनको मार डालेंगी! [QBR2] उनके पुत्रों की विधवायें उनके लिये दु:खी नहीं होंगी। [QBR]
16. दुष्ट जन चाहे चाँदी के ढेर इकट्ठा करे, [QBR2] इतने विशाल ढेर जितनी धूल होती है, मिट्टी के ढेरों जैसे वस्त्र हो उसके पास [QBR]
17. जिन वस्त्रों को दुष्ट जन जुटाता रहा उन वस्त्रों को सज्जन पहनेगा, [QBR2] दुष्ट की चाँदी निर्दोषों में बँटेगी। [QBR]
18. दुष्ट का बनाया हुआ घर अधिक दिनों नहीं टिकता है, [QBR2] वह मकड़ी के जाले सा अथवा किसी चौकीदार के छप्पर जैसा अस्थिर होता है। [QBR]
19. दुष्ट जन अपनी निज दौलत के साथ अपने बिस्तर पर सोने जाता है, [QBR2] किन्तु एक ऐसा दिन आयेगा जब वह फिर बिस्तर में वैसे ही नहीं जा पायेगा। [QBR2] जब वह आँख खोलेगा तो उसकी सम्पत्ति जा चुकेगी। [QBR]
20. दु:ख अचानक आई हुई बाढ़ सा उसको झपट लेंगे, [QBR2] उसको रातों रात तूफान उड़ा ले जायेगा। [QBR]
21. पुरवाई पवन उसको दूर उड़ा देगी, [QBR2] तूफान उसको बुहार कर उसके घर के बाहर करेगा। [QBR]
22. दुष्ट जन तूफान की शक्ति से बाहर निकलने का जतन करेगा [QBR2] किन्तु तूफान उस पर बिना दया किये हुए चपेट मारेगा। [QBR]
23. जब दुष्ट जन भागेगा, लोग उस पर तालियाँ बजायेंगे, दुष्ट जन जब निकल भागेगा। [QBR2] अपने घर से तो लोग उस पर सीटियाँ बजायेंगे। [PE]