पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
अय्यूब
1. [QS]“हे अय्यूब, जब इन बातों के विषय में मैं सोचता हूँ, [QE][QS2]मेरा हृदय बहुत जोर से धड़कता है। [QE]
2. [QS]हर कोई सुनों, परमेश्वर की वाणी बादल की गर्जन जैसी सुनाई देती है। [QE][QS2]सुनों गरजती हुई ध्वनि को जो परमेश्वर के मुख से आ रही है। [QE]
3. [QS]परमेश्वर अपनी बिजली को सारे आकाश से होकर चमकने को भेजता है। [QE][QS2]वह सारी धरती के ऊपर चमका करती है। [QE]
4. [QS]बिजली के कौंधने के बाद परमेश्वर की गर्जन भरी वाणी सुनी जा सकती है। [QE][QS2]परमेश्वर अपनी अद्भुत वाणी के साथ गरजता है। [QE][QS]जब बिजली कौंधती है तब परमेश्वर की वाणी गरजती है। [QE]
5. [QS]परमेश्वर की गरजती हुई वाणी अद्भुत है। [QE][QS2]वह ऐसे बड़े कर्म करता है, जिन्हें हम समझ नहीं पाते हैं। [QE]
6. [QS]परमेश्वर हिम से कहता है, [QE][QS2]‘तुम धरती पर गिरो’ [QE][QS]और परमेश्वर वर्षा से कहता है, [QE][QS2]‘तुम धरती पर जोर से बरसो।’ [QE]
7. [QS]परमेश्वर ऐसा इसलिये करता है कि सभी व्यक्ति जिनको उसने बनाया है [QE][QS2]जान जाये कि वह क्या कर सकता है। वह उसका प्रमाण है। [QE]
8. [QS]पशु अपने खोहों में भाग जाते हैं, और वहाँ ठहरे रहते हैं। [QE]
9. [QS]दक्षिण से तूफान आते हैं, [QE][QS2]और उत्तर से सर्दी आया करती है। [QE]
10. [QS]परमेश्वर का श्वास बर्फ को रचता है, [QE][QS2]और सागरों को जमा देता है। [QE]
11. [QS]परमेश्वर बादलों को जल से भरा करता है, [QE][QS2]और बिजली को बादल के द्वारा बिखेरता है। [QE]
12. [QS]परमेश्वर बादलों को आने देता है कि वह उड़ कर सब कहीं धरती के ऊपर छा जाये और फिर बादल वहीं करते हैं जिसे करने का आदेश परमेश्वर ने उन्हें दिया है। [QE]
13. [QS]परमेश्वर बाढ़ लाकर लोगों को दण्ड देने अथवा धरती को जल देकर अपना प्रेम दर्शाने के लिये बादलों को भेजता है। [QE][PBR]
14. [QS]“अय्यूब, तू क्षण भर के लिये रुक और सुन। [QE][QS2]रुक जा और सोच उन अद्भुत कार्यो के बारे में जिन्हें परमेश्वर किया करता हैं। [QE]
15. [QS]अय्यूब, क्या तू जानता है कि परमेश्वर बादलों पर कैसे काबू रखता है क्या तू जानता है कि परमेश्वर अपनी बिजली को क्यों चमकाता है [QE]
16. [QS]क्या तू यह जानता है कि आकाश में बादल कैसे लटके रहते हैं। [QE][QS2]ये एक उदाहरण मात्र हैं। परमेश्वर का ज्ञान सम्पूर्ण है और ये बादल परमेश्वर की अद्भुत कृति हैं। [QE]
17. [QS]किन्तु अय्यूब, तुम ये बातें नहीं जानते। [QE][QS2]तुम बस इतना जानते है कि तुमको पसीना आता है और तेरे वस्त्र तुझ से चिपके रहते हैं, और सब कुछ शान्त व स्थिर रहता है, जब दक्षिण से गर्म हवा आती है। [QE]
18. [QS]अय्यूब, क्या तू परमेश्वर की मदद आकाश को फैलाने में और उसे झलकाये गये दर्पण की तरह चमकाने में कर सकता है [QE][PBR]
19. [QS]“अय्यूब, हमें बता कि हम परमेश्वर से क्या कहें। [QE][QS]हम उससे कुछ भी कहने को सोच नहीं पाते क्योंकि हम पर्याप्त कुछ भी नहीं जानते। [QE]
20. [QS]क्या परमेश्वर से यह कह दिया जाये कि मैं उस के विरोध में बोलना चाहता हूँ। [QE][QS2]यह वैसे ही होगा जैसे अपना विनाश माँगना। [QE]
21. [QS]देख, कोई भी व्यक्ति चमकते हुए सूर्य को नहीं देख सकता। [QE][QS2]जब हवा बादलों को उड़ा देती है उसके बाद वह बहुत उजला और चमचमाता हुआ होता है। [QE]
22. [QS]और परमेश्वर भी उसके समान है। [QE][QS2]परमेश्वर की सुनहरी महिमा चमकती है। [QE][QS]परमेश्वर अद्भुत महिमा के साथ उत्तर से आता है। [QE]
23. [QS]सर्वशक्तिमान परमेश्वर सचमुच महान है, [QE][QS2]हम परमेश्वर को नहीं जान सकते परमेश्वर सदा ही लोगों के साथ न्याय और निष्पक्षता के साथ व्यवहार करता हैं। [QE]
24. [QS]इसलिए लोग परमेश्वर का आदर करते हैं, [QE][QS2]किन्तु परमेश्वर उन अभिमानी लोगों को आदर नहीं देता है जो स्वयं को बुद्धिमान समझते हैं।” [QE][PBR]

Notes

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अय्यूब 37:26
1 “हे अय्यूब, जब इन बातों के विषय में मैं सोचता हूँ, QS2 मेरा हृदय बहुत जोर से धड़कता है। 2 हर कोई सुनों, परमेश्वर की वाणी बादल की गर्जन जैसी सुनाई देती है। QS2 सुनों गरजती हुई ध्वनि को जो परमेश्वर के मुख से आ रही है। 3 परमेश्वर अपनी बिजली को सारे आकाश से होकर चमकने को भेजता है। QS2 वह सारी धरती के ऊपर चमका करती है। 4 बिजली के कौंधने के बाद परमेश्वर की गर्जन भरी वाणी सुनी जा सकती है। QS2 परमेश्वर अपनी अद्भुत वाणी के साथ गरजता है। जब बिजली कौंधती है तब परमेश्वर की वाणी गरजती है। 5 परमेश्वर की गरजती हुई वाणी अद्भुत है। QS2 वह ऐसे बड़े कर्म करता है, जिन्हें हम समझ नहीं पाते हैं। 6 परमेश्वर हिम से कहता है, QS2 ‘तुम धरती पर गिरो’ और परमेश्वर वर्षा से कहता है, QS2 ‘तुम धरती पर जोर से बरसो।’ 7 परमेश्वर ऐसा इसलिये करता है कि सभी व्यक्ति जिनको उसने बनाया है QS2 जान जाये कि वह क्या कर सकता है। वह उसका प्रमाण है। 8 पशु अपने खोहों में भाग जाते हैं, और वहाँ ठहरे रहते हैं। 9 दक्षिण से तूफान आते हैं, QS2 और उत्तर से सर्दी आया करती है। 10 परमेश्वर का श्वास बर्फ को रचता है, QS2 और सागरों को जमा देता है। 11 परमेश्वर बादलों को जल से भरा करता है, QS2 और बिजली को बादल के द्वारा बिखेरता है। 12 परमेश्वर बादलों को आने देता है कि वह उड़ कर सब कहीं धरती के ऊपर छा जाये और फिर बादल वहीं करते हैं जिसे करने का आदेश परमेश्वर ने उन्हें दिया है। 13 परमेश्वर बाढ़ लाकर लोगों को दण्ड देने अथवा धरती को जल देकर अपना प्रेम दर्शाने के लिये बादलों को भेजता है। PBR 14 “अय्यूब, तू क्षण भर के लिये रुक और सुन। QS2 रुक जा और सोच उन अद्भुत कार्यो के बारे में जिन्हें परमेश्वर किया करता हैं। 15 अय्यूब, क्या तू जानता है कि परमेश्वर बादलों पर कैसे काबू रखता है क्या तू जानता है कि परमेश्वर अपनी बिजली को क्यों चमकाता है 16 क्या तू यह जानता है कि आकाश में बादल कैसे लटके रहते हैं। QS2 ये एक उदाहरण मात्र हैं। परमेश्वर का ज्ञान सम्पूर्ण है और ये बादल परमेश्वर की अद्भुत कृति हैं। 17 किन्तु अय्यूब, तुम ये बातें नहीं जानते। QS2 तुम बस इतना जानते है कि तुमको पसीना आता है और तेरे वस्त्र तुझ से चिपके रहते हैं, और सब कुछ शान्त व स्थिर रहता है, जब दक्षिण से गर्म हवा आती है। 18 अय्यूब, क्या तू परमेश्वर की मदद आकाश को फैलाने में और उसे झलकाये गये दर्पण की तरह चमकाने में कर सकता है PBR 19 “अय्यूब, हमें बता कि हम परमेश्वर से क्या कहें। हम उससे कुछ भी कहने को सोच नहीं पाते क्योंकि हम पर्याप्त कुछ भी नहीं जानते। 20 क्या परमेश्वर से यह कह दिया जाये कि मैं उस के विरोध में बोलना चाहता हूँ। QS2 यह वैसे ही होगा जैसे अपना विनाश माँगना। 21 देख, कोई भी व्यक्ति चमकते हुए सूर्य को नहीं देख सकता। QS2 जब हवा बादलों को उड़ा देती है उसके बाद वह बहुत उजला और चमचमाता हुआ होता है। 22 और परमेश्वर भी उसके समान है। QS2 परमेश्वर की सुनहरी महिमा चमकती है। परमेश्वर अद्भुत महिमा के साथ उत्तर से आता है। 23 सर्वशक्तिमान परमेश्वर सचमुच महान है, QS2 हम परमेश्वर को नहीं जान सकते परमेश्वर सदा ही लोगों के साथ न्याय और निष्पक्षता के साथ व्यवहार करता हैं। 24 इसलिए लोग परमेश्वर का आदर करते हैं, QS2 किन्तु परमेश्वर उन अभिमानी लोगों को आदर नहीं देता है जो स्वयं को बुद्धिमान समझते हैं।” PBR
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