4. सर्वशक्तिमान परमेश्वर के बाण मुझ में बिधे हैं और मेरा प्राण उन बाणों के विष को पिया करता है। परमेश्वर के वे भयानक शस्त्र मेरे विरुद्ध एक साथ रखी हुई हैं।
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5. तेरे शब्द कहने के लिये आसान हैं जब कुछ भी बुरा नहीं घटित हुआ है। यहाँ तक कि बनैला गधा भी नहीं रेंकता यदि उसके पास घास खाने को रहे और कोई भी गाय तब तक नहीं रम्भाती जब तक उस के पास चरने के लिये चारा है।
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7. इस भोजन को छूने से मैं इन्कार करता हूँ। इस प्रकार का भोजन मुझे तंग कर डालता है। मेरे लिये तुम्हारे शब्द ठीक उसी प्रकार के हैं।
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10. यदि वह मुझे मारता है तो एक बात का चैन मुझे रहेगा, अपनी अनन्त पीड़ा में भी मुझे एक बात की प्रसन्नता रहेगा कि मैंने कभी भी अपने पवित्र के आदेशों पर चलने से इन्कार नहीं किया।
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11. मेरी शक्ति क्षीण हो चुकी है अत: जीते रहने की आशा मुझे नहीं है। मुझ को पता नहीं कि अंत में मेरे साथ क्या होगा इसलिये धीरज धरने का मेरे पास कोई कारण नहीं है।
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13. अब तो मुझमें इतनी भी शक्ति नहीं कि मैं स्वयं को बचा लूँ। क्यों क्योंकि मुझ से सफलता छीन ली गई है।
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14. क्योंकि वह जो अपने मित्रों के प्रति निष्ठा दिखाने से इन्कार करता है। वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर का भी अपमान करता है।
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15. किन्तु मेरे बन्धुओं, तुम विश्वासयोग्य नहीं रहे। मैं तुम पर निर्भर नहीं रह सकता हूँ। तुम ऐसी जलधाराओं के सामान हो जो कभी बहती है और कभी नहीं बहती है। तुम ऐसी जलधाराओं के समान हो जो उफनती रहती है।
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27. यहाँ तक कि तुम जुऐ में उन बच्चों की वस्तुओं को छीनना चाहते हो, जिनके पिता नहीं हैं। तुम तो अपने निज मित्र को भी बेच डालोगे।
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29. अत:, अपने मन को अब परिवर्तित करो। अन्यायी मत बनो, फिर से जरा सोचो कि मैंने कोई बुरा काम नहीं किया है।
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