पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
अय्यूब
1. [PS]फिर अय्यूब ने उत्तर दिया: [PE][PBR]
2. [QS]“हाँ, मैं जानता हूँ कि तू सत्य कहता है [QE][QS2]किन्तु मनुष्य परमेश्वर के सामने निर्दोष कैसे हो सकता है [QE]
3. [QS]मनुष्य परमेश्वर से तर्क नहीं कर सकता। [QE][QS2]परमेश्वर मनुष्य से हजारों प्रश्न पूछ सकता है और कोई उनमें से एक का भी उत्तर नहीं दे सकता है। [QE]
4. [QS]परमेश्वर का विवेक गहन है, उसकी शक्ति महान है। [QE][QS2]ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जो परमेश्वर से झगड़े और हानि न उठाये। [QE]
5. [QS]जब परमेश्वर क्रोधित होता है, वह पर्वतों को हटा देता है और वे जान तक नहीं पाते। [QE]
6. [QS]परमेश्वर पृथ्वी को कँपाने के लिये भूकम्प भेजता है। [QE][QS2]परमेश्वर पृथ्वी की नींव को हिला देता है। [QE]
7. [QS]परमेश्वर सूर्य को आज्ञा दे सकता है और उसे उगने से रोक सकता हैं। [QE][QS2]वह तारों को बन्द कर सकता है ताकि वे न चमकें। [QE]
8. [QS]केवल परमेश्वर ने आकाशों की रचना की। [QE][QS2]वह सागर की लहरों पर विचरण कर सकता है। [QE][PBR]
9. [QS]“परमेश्वर ने सप्तर्षी, मृगशिरा और कचपचिया तारों को बनाया है। [QE][QS2]उसने उन ग्रहों को बनाया जो दक्षिण का आकाश पार करते हैं। [QE]
10. [QS]परमेश्वर ऐसे अद्भुत कर्म करता है जिन्हें मनुष्य नहीं समझ सकता। [QE][QS2]परमेश्वर के महान आश्चर्यकर्मों का कोई अन्त नहीं है। [QE]
11. [QS]परमेश्वर जब मेरे पास से निकलता है, मैं उसे देख नहीं पाता हूँ। [QE][QS2]परमेश्वर जब मेरी बगल से निकल जाता है। मैं उसकी महानता को समझ नहीं पाता। [QE]
12. [QS]यदि परमेश्वर छीनने लगता है तो [QE][QS2]कोई भी उसे रोक नहीं सकता। [QE][QS]कोई भी उससे कह नहीं सकता, [QE][QS2]‘तू क्या कर रहा है।’ [QE]
13. [QS]अपने क्रोध को नहीं रोकेगा। [QE][QS2]यहाँ तक कि राहाब दानव (सागर का दैत्य) के सहायक भी परमेश्वर से डरते हैं। [QE]
14. [QS]अत: परमेश्वर से मैं तर्क नहीं कर सकता। [QE][QS2]मैं नहीं जानता कि उससे क्या कहा जाये। [QE]
15. [QS]मैं यद्यपि निर्दोष हूँ किन्तु मैं परमेश्वर को एक उत्तर नहीं दे सकता। [QE][QS2]मैं बस अपने न्यायकर्ता (परमेश्वर)से दया की याचना कर सकता हूँ। [QE]
16. [QS]यदि मैं उसे पुकारुँ और वह उत्तर दे, तब भी मुझे विश्वास नहीं होगा कि वह सचमुच मेरी सुनता है। [QE]
17. [QS]परमेश्वर मुझे कुचलने के लिये तूफान भेजेगा [QE][QS2]और वह मुझे अकारण ही और अधिक घावों को देगा। [QE]
18. [QS]परमेश्वर मुझे फिर साँस नहीं लेने देगा। [QE][QS2]वह मुझे और अधिक यातना देगा। [QE]
19. [QS]मैं परमेश्वर को पराजित नहीं कर सकता। [QE][QS2]परमेश्वर शक्तिशाली है। [QE][QS]मैं परमेश्वर को न्यायालय में नहीं ले जा सकता और उसे अपने प्रति मैं निष्पक्ष नहीं बना सकता। [QE][QS2]परमेश्वर को न्यायालय में आने के लिये कौन विवश कर सकता है [QE]
20. [QS]मैं निर्दोंष हूँ किन्तु मेरा भयभीत मुख मुझे अपराधी कहेगा। [QE][QS2]अत: यद्यपि मैं निरपराधी हूँ किन्तु मेरा मुख मुझे अपराधी घोषित करता है। [QE]
21. [QS]मैं पाप रहित हूँ किन्तु मुझे अपनी ही परवाह नहीं है। [QE][QS2]मैं स्वयं अपने ही जीवन से घृणा करता हूँ। [QE]
22. [QS]मैं स्वयं से कहता हूँ हर किसी के साथ एक सा ही घटित होता है। [QE][QS2]निरपराध लोग भी वैसे ही मरते हैं जैसे अपराधी मरते हैं। [QE][QS2]परमेश्वर उन सबके जीवन का अन्त करता है। [QE]
23. [QS]जब कोई भयंकर बात घटती है और कोई निर्दोष व्यक्ति मारा जाता है तो क्या परमेश्वर उसके दु:ख पर हँसता है [QE]
24. [QS]जब धरती दुष्ट जन को दी जाती है तो क्या मुखिया को परमेश्वर अंधा कर देता है [QE][QS2]यदि यह परमेश्वर ने नहीं किया तो फिर किसने किया है [QE][PBR]
25. [QS]“किसी तेज धावक से तेज मेरे दिन भाग रहे हैं। [QE][QS2]मेरे दिन उड़ कर बीत रहे हैं और उनमें कोई प्रसन्नता नहीं है। [QE]
26. [QS]वेग से मेरे दिन बीत रहे हैं जैसे श्री—पत्र की नाव बही चली जाती है, [QE][QS2]मेरे दिन टूट पड़ते है ऐसे जैसे उकाब अपने शिकार पर टूट पड़ता हो! [QE][PBR]
27. [QS]“यदि मैं कहूँ कि मैं अपना दुखड़ा रोऊँगा, [QE][QS2]अपना दु:ख भूल जाऊँगा और उदासी छोड़कर हँसने लगूँगा। [QE]
28. [QS]इससे वास्तव में कोई भी परिवर्तन नहीं होता है। [QE][QS2]पीड़ा मुझे अभी भी भयभीत करती है। [QE]
29. [QS]मुझे तो पहले से ही अपराधी ठहराया जा चुका है, [QE][QS2]सो मैं क्यों जतन करता रहूँ मैं तो कहता हूँ, “भूल जाओ इसे।” [QE]
30. [QS]चाहे मैं अपने आपको हिम से धो लूँ [QE][QS2]और यहाँ तक की अपने हाथ साबुन से साफ कर लूँ! [QE]
31. [QS]फिर भी परमेश्वर मुझे घिनौने गर्त में धकेल देगा [QE][QS2]जहाँ मेरे वस्र तक मुझसे घृणा करेंगे। [QE]
32. [QS]परमेश्वर, मुझ जैसा मनुष्य नहीं है। इसलिए उसको मैं उत्तर नहीं दे सकता। [QE][QS2]हम दोनों न्यायालय में एक दूसरे से मिल नहीं सकते। [QE]
33. [QS]काश! कोई बिचौलिया होता जो दोनों तरफ की बातें सुनता। [QE][QS2]काश! कोई ऐसा होता जो हम दोनों का न्याय निष्पक्ष रूप से करता। [QE]
34. [QS]काश! कोई जो परमेश्वर से उस की दण्ड की छड़ी को ले। [QE][QS2]तब परमेश्वर मुझे और अधिक भयभीत नहीं करेगा। [QE]
35. [QS]तब मैं बिना डरे परमेश्वर से वह सब कह सकूँगा, [QE][QS2]जो मैं कहना चाहता हूँ। [QE][PBR]

Notes

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अय्यूब 9:26
1 फिर अय्यूब ने उत्तर दिया: PBR 2 “हाँ, मैं जानता हूँ कि तू सत्य कहता है QS2 किन्तु मनुष्य परमेश्वर के सामने निर्दोष कैसे हो सकता है 3 मनुष्य परमेश्वर से तर्क नहीं कर सकता। QS2 परमेश्वर मनुष्य से हजारों प्रश्न पूछ सकता है और कोई उनमें से एक का भी उत्तर नहीं दे सकता है। 4 परमेश्वर का विवेक गहन है, उसकी शक्ति महान है। QS2 ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जो परमेश्वर से झगड़े और हानि न उठाये। 5 जब परमेश्वर क्रोधित होता है, वह पर्वतों को हटा देता है और वे जान तक नहीं पाते। 6 परमेश्वर पृथ्वी को कँपाने के लिये भूकम्प भेजता है। QS2 परमेश्वर पृथ्वी की नींव को हिला देता है। 7 परमेश्वर सूर्य को आज्ञा दे सकता है और उसे उगने से रोक सकता हैं। QS2 वह तारों को बन्द कर सकता है ताकि वे न चमकें। 8 केवल परमेश्वर ने आकाशों की रचना की। QS2 वह सागर की लहरों पर विचरण कर सकता है। PBR 9 “परमेश्वर ने सप्तर्षी, मृगशिरा और कचपचिया तारों को बनाया है। QS2 उसने उन ग्रहों को बनाया जो दक्षिण का आकाश पार करते हैं। 10 परमेश्वर ऐसे अद्भुत कर्म करता है जिन्हें मनुष्य नहीं समझ सकता। QS2 परमेश्वर के महान आश्चर्यकर्मों का कोई अन्त नहीं है। 11 परमेश्वर जब मेरे पास से निकलता है, मैं उसे देख नहीं पाता हूँ। QS2 परमेश्वर जब मेरी बगल से निकल जाता है। मैं उसकी महानता को समझ नहीं पाता। 12 यदि परमेश्वर छीनने लगता है तो QS2 कोई भी उसे रोक नहीं सकता। कोई भी उससे कह नहीं सकता, QS2 ‘तू क्या कर रहा है।’ 13 अपने क्रोध को नहीं रोकेगा। QS2 यहाँ तक कि राहाब दानव (सागर का दैत्य) के सहायक भी परमेश्वर से डरते हैं। 14 अत: परमेश्वर से मैं तर्क नहीं कर सकता। QS2 मैं नहीं जानता कि उससे क्या कहा जाये। 15 मैं यद्यपि निर्दोष हूँ किन्तु मैं परमेश्वर को एक उत्तर नहीं दे सकता। QS2 मैं बस अपने न्यायकर्ता (परमेश्वर)से दया की याचना कर सकता हूँ। 16 यदि मैं उसे पुकारुँ और वह उत्तर दे, तब भी मुझे विश्वास नहीं होगा कि वह सचमुच मेरी सुनता है। 17 परमेश्वर मुझे कुचलने के लिये तूफान भेजेगा QS2 और वह मुझे अकारण ही और अधिक घावों को देगा। 18 परमेश्वर मुझे फिर साँस नहीं लेने देगा। QS2 वह मुझे और अधिक यातना देगा। 19 मैं परमेश्वर को पराजित नहीं कर सकता। QS2 परमेश्वर शक्तिशाली है। मैं परमेश्वर को न्यायालय में नहीं ले जा सकता और उसे अपने प्रति मैं निष्पक्ष नहीं बना सकता। QS2 परमेश्वर को न्यायालय में आने के लिये कौन विवश कर सकता है 20 मैं निर्दोंष हूँ किन्तु मेरा भयभीत मुख मुझे अपराधी कहेगा। QS2 अत: यद्यपि मैं निरपराधी हूँ किन्तु मेरा मुख मुझे अपराधी घोषित करता है। 21 मैं पाप रहित हूँ किन्तु मुझे अपनी ही परवाह नहीं है। QS2 मैं स्वयं अपने ही जीवन से घृणा करता हूँ। 22 मैं स्वयं से कहता हूँ हर किसी के साथ एक सा ही घटित होता है। QS2 निरपराध लोग भी वैसे ही मरते हैं जैसे अपराधी मरते हैं। QS2 परमेश्वर उन सबके जीवन का अन्त करता है। 23 जब कोई भयंकर बात घटती है और कोई निर्दोष व्यक्ति मारा जाता है तो क्या परमेश्वर उसके दु:ख पर हँसता है 24 जब धरती दुष्ट जन को दी जाती है तो क्या मुखिया को परमेश्वर अंधा कर देता है QS2 यदि यह परमेश्वर ने नहीं किया तो फिर किसने किया है PBR 25 “किसी तेज धावक से तेज मेरे दिन भाग रहे हैं। QS2 मेरे दिन उड़ कर बीत रहे हैं और उनमें कोई प्रसन्नता नहीं है। 26 वेग से मेरे दिन बीत रहे हैं जैसे श्री—पत्र की नाव बही चली जाती है, QS2 मेरे दिन टूट पड़ते है ऐसे जैसे उकाब अपने शिकार पर टूट पड़ता हो! PBR 27 “यदि मैं कहूँ कि मैं अपना दुखड़ा रोऊँगा, QS2 अपना दु:ख भूल जाऊँगा और उदासी छोड़कर हँसने लगूँगा। 28 इससे वास्तव में कोई भी परिवर्तन नहीं होता है। QS2 पीड़ा मुझे अभी भी भयभीत करती है। 29 मुझे तो पहले से ही अपराधी ठहराया जा चुका है, QS2 सो मैं क्यों जतन करता रहूँ मैं तो कहता हूँ, “भूल जाओ इसे।” 30 चाहे मैं अपने आपको हिम से धो लूँ QS2 और यहाँ तक की अपने हाथ साबुन से साफ कर लूँ! 31 फिर भी परमेश्वर मुझे घिनौने गर्त में धकेल देगा QS2 जहाँ मेरे वस्र तक मुझसे घृणा करेंगे। 32 परमेश्वर, मुझ जैसा मनुष्य नहीं है। इसलिए उसको मैं उत्तर नहीं दे सकता। QS2 हम दोनों न्यायालय में एक दूसरे से मिल नहीं सकते। 33 काश! कोई बिचौलिया होता जो दोनों तरफ की बातें सुनता। QS2 काश! कोई ऐसा होता जो हम दोनों का न्याय निष्पक्ष रूप से करता। 34 काश! कोई जो परमेश्वर से उस की दण्ड की छड़ी को ले। QS2 तब परमेश्वर मुझे और अधिक भयभीत नहीं करेगा। 35 तब मैं बिना डरे परमेश्वर से वह सब कह सकूँगा, QS2 जो मैं कहना चाहता हूँ। PBR
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