1. {आकान का पाप} [PS] किन्तु इस्राएल के लोगों ने यहोवा की आज्ञा नहीं मानी। यहूदा परिवार समूह का एक व्यक्ति कर्म्मी का पुत्र और जब्दी का पौत्र जिसका नाम आकान था। आकान ने वे कुछ चीज़ें रख ली जिन्हें नष्ट करना था। इसलिए यहोवा इस्राएल के लोगों पर बहुत क्रोधित हुआ। [PE][PS]
2. जब वे यरीहो को पराजित कर चुके तब यहोशू ने कुछ लोगों को ऐ भेजा। ऐ, बेतेल के पूर्व बेतावेन के पास था। यहोशू ने उनसे कहा, “ऐ जाओ और उस क्षेत्र की कमजोरियों को देखो।” इसलिए लोग उस देश में जासूसी करने गए। [PE][PS]
3. बाद में वे व्यक्ति यहोशू के पास लौटकर आए। उन्होंने कहा, “ऐ कमजोर क्षेत्र है। हम लोगों को उन्हें हराने के लिए अपने सभी लोगों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। वहाँ लड़ने के लिए दो हजार या तीन हजार व्यक्तियों को भेजो। अपने सभी लोगों को उपयोग करने की आवश्यकता वहाँ नहीं है। वहाँ पर थोड़े ही व्यक्ति हम लोगों के विरुद्ध लड़ने वाले हैं।” [PE][PS]
4. (4-5) इसलिए लगभग तीन हजार व्यक्ति ऐ गए। किन्तु ऐ के लोगों ने लगभग छत्तीस इस्राएल के व्यक्तियों को मार गिराया और इस्राएल के लोग भाग खड़े हुए। ऐ के लोगों ने नगर—द्वार से लगातार पत्थर की खदानों तक पीछा किया। इस प्रकार ऐ के लोगों ने उन्हें बुरी तरह पीटा। [PE][PS] जब इस्राएल के लोगों ने यह देखा तो वे बहुत भयभीत हो उठे और साहस छोड़ बैठे।
5. जब यहोशू ने इसके बारे में सुना तो उसने अपने वस्त्र फाड़ डाले। वह पवित्र सन्दूक के सामने जमीन पर लेट गया। यहोशू वहाँ शाम तक पड़ा रहा। इस्राएल के नेताओं ने भी यही किया। उन्होंने अपने सिरों पर धूलि डाली। [PE][PS]
6. तब यहोशू ने कहा, “यहोवा, मेरे स्वामी! तू हमारे लोगों को यरदन नदी के पार लाया। किन्तु तू हमें इतनी दूर क्यों लाया और तब एमोरी लोगों द्वारा हमें क्यों नष्ट होने देता है? हम लोग यरदन नदी के दूसरे तट पर ठहरे रहते और सन्तुष्ट रहते।
7. मेरे योहवा, मैं शपथ पूर्वक कहता हूँ कि अब ऐसा कुछ नहीं है जिसे मैं तुझसे कह सकूँ। इस्राएल ने शुत्रओं के सामने समर्पण कर दिया है।
8. कनानी और इस देश के सभी लोग वह सुनेंगे जो हुआ, तब वे हम लोगों के विरुद्ध आएंगे और हम सभी को मार डालेंगे। तब तू अपने महान नाम की रक्षा के लिये क्या करेगा?” [PE][PS]
9. यहोवा ने यहोशू से कहा, “खड़े हो जाओ। तुम मूँह के बल क्यों गिरे हो?
10. इस्राएल के लोगों ने मेरे विरुद्ध पाप किया। उन्होंने मेरी उस वाचा को तोड़ा, जिसके पालन का आदेश मैंने दिया था। उन्होंने वे कुछ चीज़ें लीं जिन्हें नष्ट करने का आदेश मैंने दिया है। उन्होंने मेरी चोरी की है। उन्होंने झूठी बात कही है। उन्होंने वे चीज़ें अपने पास रखी हैं।
11. यही कारण है की इस्राएल की सेना युद्ध से मुँह मोड़ कर भाग खड़ी हुई। यह उनकी बुराई के कारण हुआ। उन्हें नष्ट कर देना चाहिए। मैं तुम्हारी सहायता नहीं करता रहूँगा। मैं तब तक तुम्हारे साथ नहीं रह सकूँगा जब तक तुम यह नहीं करते। तुम्हें उस हर चीज़ को नष्ट करना चाहिए, जिसे मैंने नष्ट करने का आदेश दिया है। [PE][PS]
12. “अब तुम जाओ और लोगों को पवित्र करो। लोगों से कहो, ‘वे अपने को पवित्र करें। कल के लिये तैयार हो जाओ। इस्राएल का परमेश्वर यहोवा कहता है कि कुछ लोगों ने वे चीजें अपने पास रखी हैं, जिन्हें मैंने नष्ट करने का आदेश दिया था। तुम तब तक अपने शत्रुओं को पराजित करने योग्य नहीं होओगे, जब तक तुम उन चीज़ों को फेंक नहीं देते। [PE][PS]
13. “ ‘कल प्रात: तुम सभी को यहोवा सामने ख़ड़ा होना होगा। सभी परिवार समूह यहोवा के सामने पेश होंगे। यहोवा एक परिवार समूह को चुनेगा। तब केवल वही परिवार समूह यहोवा के सामने खड़ा होगा। तब उस परिवार समूह में से यहोवा एक वंश को चुनेगा। तब बस वही वंश यहोवा के सामने खड़ा होगा। तब यहोवा उस वंश के प्रत्येक परिवार की परख करेगा। तब यहोवा उस वंश में से एक परिवार को चुनेगा। तब वह परिवार अकेले यहोवा के सामने खड़ा होगा। तब यहोवा उस परिवार के हर पुरुष की जाँच करेगा।
14. वह व्यक्ति जो इन चीज़ों के साथ पाया जाएगा जिन्हें हमें नष्ट कर देना चाहिए था, पकड़ लिया जाएगा। तब वह व्यक्ति आग में झोंककर नष्ट कर दिया जाएगा और उसके साथ उसकी हर एक चीज़ नष्ट कर दी जाएगी। उस व्यक्ति ने यहोवा के उस वाचा को तोड़ा है। उसने इस्राएल के लोगों के प्रति बहुत ही बुरा काम किया है।’ ” [PE][PS]
15. अगली सुबह यहोशू इस्राएल के सभी लोगों को यहोवा के सामने ले गया। सारे परिवार समूह यहोवा के समाने खड़े हो गए। यहोवा न यहूदा परिवार समूह को चुना।
16. तब सभी यहूदा परिवार समूह योहवा के सामने खड़े हुए। यहोवा ने जेरह वंश को चुना। तब जेरह वंश के सभी लोग यहोवा के सामने खड़े हुए। इन में से जब्दी का परिवार चुना गया।
17. तब यहोशू ने इस परिवार के सभी पुरुषों को योहवा के सामने आने को कहा। यहोवा ने कर्म्मी के पुत्र आकान को चुना। (कर्म्मी जब्दी का पुत्र था और जब्दी जेरह का पुत्र था।) [PE][PS]
18. तब यहोशू न आकान से कहा, “पुत्र, तुम्हें अपनी प्रार्थना करनी चाहिए। इस्राएल के योहवा परमेश्वर का सम्मान करना चाहिए और उससे तुम्हें अपने पापों को स्वीकार करना चाहिए। मुझे बताओ कि तुमने क्या किया? मुझसे कुछ छिपाने की कोशिश न करो!” [PE][PS]
19. आकान ने उत्तर दिया, “यह सत्य है! मैंने इस्राएल के यहोवा परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया है। मैंने जो किया है वह यह है:
20. हम लोगों ने यरीहो नगर को इसकी सभी चीज़ों के साथ अपने अधिकार में लिया। उन चीज़ों में मैनें शिनार का एक सुन्दर ओढ़ना और लगभग पाँच पौण्ड चाँदी और एक पौण्ड सोना देखा। मैं इन चीज़ों को अपने लिए रखने का बहुत इच्छुक था। इसलिए मेंने उनको लिया। तुम उन चीज़ों को मेरे तम्बू के नीचे जमीन में गड़ा हुआ पाओगे। चाँदी ओढ़ने के नीचे है।” [PE][PS]
21. इसलिए यहोशू न कुछ व्यक्तियों को तम्बू में भेजा। वे दौड़कर पहुँचे और उन चीज़ों को तम्बू में छिपा पाया। चाँदी ओढ़ने के नीचे थी।
22. वे व्यक्ति उन चीज़ों को तम्बु से बाहर लाए। वे उन चीज़ों को यहोशू और इस्राएल के सभी लोगों के पास ले गए। उन्होंने उसे यहोवा के सामने जमीन पर ला पटका। [PE][PS]
23. तब यहोशू और सभी लोग जेरह के पुत्र आकान को आकोर की घाटी में ले गए। उन्होंने चादी, ओढ़ना, सोना, आकान के पुत्रियों—पुत्रों, उसके मवेशियों, उसके गधों, भेड़ों, तम्बू और उसकी सभी चीज़ों को भी लिया। इन सभी चीज़ों को वे आकान के साथ आकोर की घाटी मे ले गए।
24. तब यहोशू ने कहा, “तुमने हमारे लिये ये सब मुसीबतें क्यों की? अब यहोवा तुम पर मुसीबत लाएगा!” तब सभी लोगों न आकान और उसके परिवार पर तब तक पत्थर फेंके जब तक वे मर नहीं गए। उन्होंने उसके परिवार को भी मार डाला। तब लोगों ने उन्हें और उसकी सभी वस्तुओं को जला दिया।
25. आकान को जलाने के बाद उसके शरीर पर उन्होनें कई शिलायें रखीं। वे शिलायें आज भी वहाँ हैं। इस तरह यहोवा ने आकान पर विपत्ति ढाई। यही कारण है कि वह स्थान आकोर घाटी कहा जाता है। इसके बाद, यहोवा लोगों से अप्रसन्न नहीं रहा। [PE]
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