पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
न्यायियों
1. {#1यहूदा के लोग कनानियों से युद्ध करते हैं }
2. [PS]यहोशू मर गया। तब इस्राएल के लोगों ने यहोवा से प्रार्थना की। उन्होंने कहा, “हमारे परिवार समूह में से कौन प्रथम जाने वाला तथा कनानी लोगों से हम लोगों के लिये युद्ध करने वाला होगा?” [PE]
3. [PS]यहोवा ने इस्राएली लोगों से कहा, “यहूदा का परिवार समूह जाएगा। मैं उनको इस प्रदेश को प्राप्त करने दूँगा।” [PE]
4. [PS]यहूदा के लोगों ने शिमोन परिवार समूह के अपने भाइयों से सहायता मांगी। यहूदा के लोगों ने कहा, “भाइयों यहोवा ने हम सभी को कुछ प्रदेश देने का वचन दिया है। यदि तुम लोग हम लोगों के प्रदेश के लिए युद्ध करने में हमारे साथ आओगे और सहायता करोगे तो हम लोग तुम्हारे प्रदेश के लिये तुम्हारे साथ जायेंगे और युद्ध करेंगे।” शिमोन के लोग यहूदा के अपने भाइयों के युद्ध में सहायता करने को तैयार हो गए। [PE][PS]यहोवा ने यहूदा के लोगों को कनानियों और परिज्जी लोगों को हराने में सहायता की। यहूदा के लोगों ने बेजेक नगर में दस हजार व्यक्तियों को मार डाला।
5. बेजेक नगर में यूहदा के लोगों ने अदोनीबेजेक के शासक को पाया[* अदोनीबेजेक के शासक को पाया इसे व्यक्ति का नाम भी समझा जा सकता है। ] और उससे युद्ध किया। यहूदा के लोगों ने कनानियों और परिज्जी लोगों को हराया। [PE]
6. [PS]अदोनीबेजेक के शासक ने भाग निकलने का प्रयत्न किया। किन्तु यहूदा के लोगों ने उसका पीछा किया और उसे पकड़ लिया। जब उन्होंने उसे पकड़ा तब उन्होंने उसके हाथ और पैर के अंगूठों को काट डाला।
7. तब अदोनीबेजेक के शासक ने कहा, “मैंने सत्तर राजाओं के हाथ और पैर के अंगूठे काटे और उन राजाओं को वही भोजन करना पड़ा जो मेरी मेज से टुकड़ों में गिरा। अब यहोवा ने मुझे उसका बदला दिया है जो मैंने उन राजाओं के साथ किया था।” यहूदा के लोग बेजेक के शासक को यरूशलेम ले गए और वह वहीं मरा। [PE]
8. [PS]यहूदा के लोग यरूशलेम के विरुद्ध लड़े और उस पर अधिकार कर लिया। यहूदा के लोगों ने यरूशलेम के लोगों को मारने के लिये तलवार का उपयोग किया। उन्होंने नगर को जला दिया।
9. उसके बाद यहूदा के लोग कुछ अन्य कनानी लोगों से युद्ध करने के लिए गए। वे कनानी पहाड़ी प्रदेशों, नेगेव और समुद्र के किनारे की पहाड़ियों मे रहते थे। [PE]
10.
11. [PS]तब यहूदा के लोग उन कनानी लोगों के विरूद्ध लड़ने गए जो हेब्रोन नगर में रहते थे। (हेब्रोन को किर्यतर्बा कहा जाता था।) यहूदा के लोगों ने शेशै, अहीमन और तल्मै कहे जाने वाले लोगों को हराया। [PE]{#1कालेब और उसकी पुत्री } [PS]यहूदा के लोगों ने उस स्थान को छोड़ा। वे दबीर नगर, वहाँ के लोगों के विरुद्ध युद्ध करने गए। (दबीर को किर्यत्सेपेर कहा जाता था।)
12. यहूदा के लोगों द्वारा युद्ध आरम्भ करने के पहले कालेब ने लोगों से एक प्रतिज्ञा की। कालेब ने कहा, “मैं अपनी पुत्री अकसा को उस व्यक्ति को पत्नी के रूप में दूँगा जो किर्यत्सेपेर नगर पर आक्रमण करता है और उस पर अधिकार करता है।” [PE]
13.
14. [PS]कालेब का एक छोटा भाई था जिसका नाम कनज था। कनज का एक पुत्र ओत्नीएल नाम का था। (ओत्नीएल कालेब का भतीजा था। ) ओत्नीएल ने किर्यत्सेपेर नगर को जीत लिया। इसलिए कालेब ने अपनी पुत्री अकसा को पत्नी के रूप में ओत्नीएल को दिया। [PE]
15. [PS]जब अकसा ओत्नीएल के पास आई तब ओत्नीएल ने उससे कहा[† ओत्नीएल…कहा या “अकसा ने ओत्नीएल से कहा।” ] कि वह अपने पिता से कुछ भूमि माँगे। अकसा अपने पिता के पास गई। अत: वह अपने गधे से उतरी और कालेब ने पूछा, “क्या कठिनाई है?” [PE]
16. [PS]अकसा ने कालेब को उत्तर दिया, “आप मुझे आशीर्वाद दें।[‡ आप … आशीर्वाद दें या “कृपया मेरा सत्कार करें” या “मुझे जल की एक धारा दें।” ] आपनें मुझे नेगेव की सूखी मरुभूमि दी है। कृपया मुझे कुछ पानी के सोते वाली भूमि दें।” अत: कालेब ने उसे वह दिया जो वह चाहती थी। उसने उसे उस भूमि के ऊपर और नीचे के पानी के सोते दे दिये। [PE]
17. [PS]केनी लोगों ने ताड़वृक्षों के नगर (यरीहो) को छोड़ा और यहूदा के लोगों के साथ गए। वे लोग यहूदा की मरुभूमि में वहाँ के लोगों के साथ रहने गए। यह नेगेव में अराद नगर के पास था। (केनी लोग मूसा के ससुर के परिवार से थे।) [PE]
18. [PS]कुछ कनानी लोग सपत नगर में भी रहते थे। इसलिए यहूदा के लोग और शिमोन के परिवार समूह के लोगों ने उन कनानी लोगों पर आक्रमण किया। उन्होंने नगर को पूर्णत: नष्ट कर दिया। इसलिये उन्होंने नगर का नाम होर्मा रखा। [PE]
19. [PS]यहूदा के लोगों ने अज्जा के नगर और उसके चारों ओर के छोटे नगरों पर भी अधिकार किया। यहूदा के लोगों ने अशकलोन और एक्रोन नगरों और उनके चारों ओर के छोटे नगरों पर भी अधिकार किया। [PE]
20. [PS]यहोवा उस समय यहूदा के लोगों के साथ था, जब वे युद्ध कर रहे थे। उन्होंने पहाड़ी प्रदेश की भूमि पर अधिकार किया। किन्तु यहूदा के लोग घाटियों की भूमि लेने में असफल रहे क्योंकि वहाँ के निवासियों के पास लोहे के रथ थे। [PE]
21. [PS]मूसा ने कालेब को हेब्रोन के पास की भूमि देने का वचन दिया था। अत: वह भूमि कालेब के परिवार समूह को दी गई। कालेब के लोगों ने अनाक के तीन पुत्रों को वह स्थान छोड़ने को विवश किया। बिन्यामीन लोग यरूशलेम में बसते हैं। [PE]
22. [PS]बिन्यामीन परिवार के लोग यबूसी लोगों को यरूशलेम छोड़ने के लिये विवश न कर सके। उस समय से लेकर अब तक यबूसी लोग यरूशलेम में बिन्यामीन लोगों के साथ रहते आए हैं। [PE]{#1यूसुफ के लोग बेतेल पर अधिकार जमाते हैं } [PS]युसूफ के परिवार समूह के लोग भी बेतेल नगर के विरुद्ध लड़ने गए। (बेतेल, लूज कहा जाता था।) यहोवा यूसुफ के परिवार समूह के लोगों के साथ था।
23. यूसुफ के परिवार के लोगों ने कुछ जासूसों को बेतेल नगर को भेजा। (इन व्यक्तियों ने बेतेल नगर को हराने के उपाय का पता लगाया।)
24. जब वे जासूस बेतेल नगर को देख रहे थे तब उन्होंने एक व्यक्ति को नगर से बाहर आते देखा। जासूसों ने उस व्यक्ति से कहा, “हम लोगों को नगर में जाने का गुप्त मार्ग बताओ। हम लोग नगर पर आक्रमण करेंगे। किन्तु यदि तुम हमारी सहायता करोगे तो हम तुम्हें चोट नहीं पहुँचायेंगे।” [PE]
25. [PS]उस व्यक्ति ने जासूसों को नगर में जाने का गुप्त मार्ग बताया। यूसुफ के लोगों ने बेतेल के लोगों को मारने के लिये अपनी तलवार का उपयोग किया। किन्तु उन्होंने उस व्यक्ति को चोट नहीं पहुँचाई जिसने उन्हें सहायता दी थी और उन्होंने उसके परिवार के लोगों को चोट नहीं पहुँचाई। उस व्यक्ति और उसके परिवार को स्वतन्त्र जाने दिया गया।
26. वह व्यक्ति उस प्रदेश में गया जहाँ हित्ती लोग रहते थे और वहाँ उसने एक नगर बसाया। उसने उस नगर का नाम लूज रखा और वह आज भी वहाँ है। [PE]
27. {#1अन्य परिवार समूह कनानियों से युद्ध करते हैं } [PS]कनानी लोग बेतशान, तानाक, दोर, यिबलाम, मगिद्दो और उनके चारों ओर के छोटे नगरों में रहते थे। मनश्शे के परिवार समूह के लोग उन लोगों को उन नगरों को छोड़ने के लिये विवश नहीं कर सके थे। इसलिए कनानी लोग वहाँ टिके रहे। उन्होने अपना घर छोड़ने से इन्कार कर दिया।
28. बाद में इस्राएल के लोग अधिक शक्तिशाली हुए और कनानी लोगों को दासों की तरह अपने लिए काम करने के लिये विवश किया। किन्तु इस्राएल के लोग सभी कनानी लोगों से उनका प्रदेश न छुड़वा सके। [PE]
29.
30. [PS]यही बात एप्रैम के परिवार समूह के साथ हुई। कनानी लोग गेजेर में रहते थे और एप्रैम के लोग सभी कनानी लोगों से उनका देश न छुड़वा सके। इसलिए कनानी लोग एप्रैम के लोगों के साथ गेजेर में रहते चले आए। [PE]
31. [PS]जबूलून के परिवार समूह के साथ भी यही बात हुई। कित्रोन और नहलोल नगरों मे कुछ कनानी लोग रहते थे। जबूलून के लोग उन लोगों से उनका देश न छुड़वा सके। वे कनानी लोग टिके रहे और जबूलून लोगों के साथ रहते चले आए। किन्तु जबूलून के लोगों ने उन लोगों को दासों की तरह काम करने को विवश किया। [PE][PS]आशेर के परिवार समूह के साथ भी यही बात हुई। आशेर के लोग उन लोगों से अक्को, सीदोन, अहलाब, अकजीब, हेलबा, अपीक और रहोब नगरों को न छुड़वा सके।
32. आशेरके लोग कनानी लोगों से अपना देश न छुडवा सके। इसलिए कनानी लोग आशेर के लोगों के साथ रहते चले आए। [PE]
33.
34. [PS]नप्ताली के परिवार समूह के साथ भी यही बात हुई। नप्ताली परिवार के लोग उन लोगों से बेतशेमेश और बेतनात नगरों को न छुड़वा सके। इसलिए नप्ताली के लोग उन नगरों में उन लोगों के साथ रहते चले आए। वे कनानी लोग नप्ताली लोगों के लिए दासों की तरह काम करते रहे।। [PE][PS]एमोरी लोगों ने दान के परिवार समूह के लोगों को पहाड़ी प्रदेश में रहने के लिये विवश कर दिया। दान के लोगों को पहाड़ियों मे ठहरना पड़ा क्योंकि एमोरी लोग उन्हें घाटियों में उतर कर नहीं रहने देते थे।
35. एमोरी लोगों ने हेरेस पर्वत, अय्यलोन तथा शालबीम में ठहरने का निश्चय किया। बाद में, यूसुफ का परिवार समूह शाक्तिशाली हो गया। तब उन्होंने एमोरी लोगों से दासों की तरह काम लिया।
36. एमोरी लोगों का प्रदेश बिच्छू दर्रे से सेला और सेला के परे पहाड़ी प्रदेश तक था। [PE]
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यहूदा के लोग कनानियों से युद्ध करते हैं 1 2 यहोशू मर गया। तब इस्राएल के लोगों ने यहोवा से प्रार्थना की। उन्होंने कहा, “हमारे परिवार समूह में से कौन प्रथम जाने वाला तथा कनानी लोगों से हम लोगों के लिये युद्ध करने वाला होगा?” 3 यहोवा ने इस्राएली लोगों से कहा, “यहूदा का परिवार समूह जाएगा। मैं उनको इस प्रदेश को प्राप्त करने दूँगा।” 4 यहूदा के लोगों ने शिमोन परिवार समूह के अपने भाइयों से सहायता मांगी। यहूदा के लोगों ने कहा, “भाइयों यहोवा ने हम सभी को कुछ प्रदेश देने का वचन दिया है। यदि तुम लोग हम लोगों के प्रदेश के लिए युद्ध करने में हमारे साथ आओगे और सहायता करोगे तो हम लोग तुम्हारे प्रदेश के लिये तुम्हारे साथ जायेंगे और युद्ध करेंगे।” शिमोन के लोग यहूदा के अपने भाइयों के युद्ध में सहायता करने को तैयार हो गए। यहोवा ने यहूदा के लोगों को कनानियों और परिज्जी लोगों को हराने में सहायता की। यहूदा के लोगों ने बेजेक नगर में दस हजार व्यक्तियों को मार डाला। 5 बेजेक नगर में यूहदा के लोगों ने अदोनीबेजेक के शासक को पाया* अदोनीबेजेक के शासक को पाया इसे व्यक्ति का नाम भी समझा जा सकता है। और उससे युद्ध किया। यहूदा के लोगों ने कनानियों और परिज्जी लोगों को हराया। 6 अदोनीबेजेक के शासक ने भाग निकलने का प्रयत्न किया। किन्तु यहूदा के लोगों ने उसका पीछा किया और उसे पकड़ लिया। जब उन्होंने उसे पकड़ा तब उन्होंने उसके हाथ और पैर के अंगूठों को काट डाला। 7 तब अदोनीबेजेक के शासक ने कहा, “मैंने सत्तर राजाओं के हाथ और पैर के अंगूठे काटे और उन राजाओं को वही भोजन करना पड़ा जो मेरी मेज से टुकड़ों में गिरा। अब यहोवा ने मुझे उसका बदला दिया है जो मैंने उन राजाओं के साथ किया था।” यहूदा के लोग बेजेक के शासक को यरूशलेम ले गए और वह वहीं मरा। 8 यहूदा के लोग यरूशलेम के विरुद्ध लड़े और उस पर अधिकार कर लिया। यहूदा के लोगों ने यरूशलेम के लोगों को मारने के लिये तलवार का उपयोग किया। उन्होंने नगर को जला दिया। 9 उसके बाद यहूदा के लोग कुछ अन्य कनानी लोगों से युद्ध करने के लिए गए। वे कनानी पहाड़ी प्रदेशों, नेगेव और समुद्र के किनारे की पहाड़ियों मे रहते थे। 10 11 तब यहूदा के लोग उन कनानी लोगों के विरूद्ध लड़ने गए जो हेब्रोन नगर में रहते थे। (हेब्रोन को किर्यतर्बा कहा जाता था।) यहूदा के लोगों ने शेशै, अहीमन और तल्मै कहे जाने वाले लोगों को हराया। कालेब और उसकी पुत्री यहूदा के लोगों ने उस स्थान को छोड़ा। वे दबीर नगर, वहाँ के लोगों के विरुद्ध युद्ध करने गए। (दबीर को किर्यत्सेपेर कहा जाता था।) 12 यहूदा के लोगों द्वारा युद्ध आरम्भ करने के पहले कालेब ने लोगों से एक प्रतिज्ञा की। कालेब ने कहा, “मैं अपनी पुत्री अकसा को उस व्यक्ति को पत्नी के रूप में दूँगा जो किर्यत्सेपेर नगर पर आक्रमण करता है और उस पर अधिकार करता है।” 13 14 कालेब का एक छोटा भाई था जिसका नाम कनज था। कनज का एक पुत्र ओत्नीएल नाम का था। (ओत्नीएल कालेब का भतीजा था। ) ओत्नीएल ने किर्यत्सेपेर नगर को जीत लिया। इसलिए कालेब ने अपनी पुत्री अकसा को पत्नी के रूप में ओत्नीएल को दिया। 15 जब अकसा ओत्नीएल के पास आई तब ओत्नीएल ने उससे कहा ओत्नीएल…कहा या “अकसा ने ओत्नीएल से कहा।” कि वह अपने पिता से कुछ भूमि माँगे। अकसा अपने पिता के पास गई। अत: वह अपने गधे से उतरी और कालेब ने पूछा, “क्या कठिनाई है?” 16 अकसा ने कालेब को उत्तर दिया, “आप मुझे आशीर्वाद दें। आप … आशीर्वाद दें या “कृपया मेरा सत्कार करें” या “मुझे जल की एक धारा दें।” आपनें मुझे नेगेव की सूखी मरुभूमि दी है। कृपया मुझे कुछ पानी के सोते वाली भूमि दें।” अत: कालेब ने उसे वह दिया जो वह चाहती थी। उसने उसे उस भूमि के ऊपर और नीचे के पानी के सोते दे दिये। 17 केनी लोगों ने ताड़वृक्षों के नगर (यरीहो) को छोड़ा और यहूदा के लोगों के साथ गए। वे लोग यहूदा की मरुभूमि में वहाँ के लोगों के साथ रहने गए। यह नेगेव में अराद नगर के पास था। (केनी लोग मूसा के ससुर के परिवार से थे।) 18 कुछ कनानी लोग सपत नगर में भी रहते थे। इसलिए यहूदा के लोग और शिमोन के परिवार समूह के लोगों ने उन कनानी लोगों पर आक्रमण किया। उन्होंने नगर को पूर्णत: नष्ट कर दिया। इसलिये उन्होंने नगर का नाम होर्मा रखा। 19 यहूदा के लोगों ने अज्जा के नगर और उसके चारों ओर के छोटे नगरों पर भी अधिकार किया। यहूदा के लोगों ने अशकलोन और एक्रोन नगरों और उनके चारों ओर के छोटे नगरों पर भी अधिकार किया। 20 यहोवा उस समय यहूदा के लोगों के साथ था, जब वे युद्ध कर रहे थे। उन्होंने पहाड़ी प्रदेश की भूमि पर अधिकार किया। किन्तु यहूदा के लोग घाटियों की भूमि लेने में असफल रहे क्योंकि वहाँ के निवासियों के पास लोहे के रथ थे। 21 मूसा ने कालेब को हेब्रोन के पास की भूमि देने का वचन दिया था। अत: वह भूमि कालेब के परिवार समूह को दी गई। कालेब के लोगों ने अनाक के तीन पुत्रों को वह स्थान छोड़ने को विवश किया। बिन्यामीन लोग यरूशलेम में बसते हैं। 22 बिन्यामीन परिवार के लोग यबूसी लोगों को यरूशलेम छोड़ने के लिये विवश न कर सके। उस समय से लेकर अब तक यबूसी लोग यरूशलेम में बिन्यामीन लोगों के साथ रहते आए हैं। यूसुफ के लोग बेतेल पर अधिकार जमाते हैं युसूफ के परिवार समूह के लोग भी बेतेल नगर के विरुद्ध लड़ने गए। (बेतेल, लूज कहा जाता था।) यहोवा यूसुफ के परिवार समूह के लोगों के साथ था। 23 यूसुफ के परिवार के लोगों ने कुछ जासूसों को बेतेल नगर को भेजा। (इन व्यक्तियों ने बेतेल नगर को हराने के उपाय का पता लगाया।) 24 जब वे जासूस बेतेल नगर को देख रहे थे तब उन्होंने एक व्यक्ति को नगर से बाहर आते देखा। जासूसों ने उस व्यक्ति से कहा, “हम लोगों को नगर में जाने का गुप्त मार्ग बताओ। हम लोग नगर पर आक्रमण करेंगे। किन्तु यदि तुम हमारी सहायता करोगे तो हम तुम्हें चोट नहीं पहुँचायेंगे।” 25 उस व्यक्ति ने जासूसों को नगर में जाने का गुप्त मार्ग बताया। यूसुफ के लोगों ने बेतेल के लोगों को मारने के लिये अपनी तलवार का उपयोग किया। किन्तु उन्होंने उस व्यक्ति को चोट नहीं पहुँचाई जिसने उन्हें सहायता दी थी और उन्होंने उसके परिवार के लोगों को चोट नहीं पहुँचाई। उस व्यक्ति और उसके परिवार को स्वतन्त्र जाने दिया गया। 26 वह व्यक्ति उस प्रदेश में गया जहाँ हित्ती लोग रहते थे और वहाँ उसने एक नगर बसाया। उसने उस नगर का नाम लूज रखा और वह आज भी वहाँ है। अन्य परिवार समूह कनानियों से युद्ध करते हैं 27 कनानी लोग बेतशान, तानाक, दोर, यिबलाम, मगिद्दो और उनके चारों ओर के छोटे नगरों में रहते थे। मनश्शे के परिवार समूह के लोग उन लोगों को उन नगरों को छोड़ने के लिये विवश नहीं कर सके थे। इसलिए कनानी लोग वहाँ टिके रहे। उन्होने अपना घर छोड़ने से इन्कार कर दिया। 28 बाद में इस्राएल के लोग अधिक शक्तिशाली हुए और कनानी लोगों को दासों की तरह अपने लिए काम करने के लिये विवश किया। किन्तु इस्राएल के लोग सभी कनानी लोगों से उनका प्रदेश न छुड़वा सके। 29 30 यही बात एप्रैम के परिवार समूह के साथ हुई। कनानी लोग गेजेर में रहते थे और एप्रैम के लोग सभी कनानी लोगों से उनका देश न छुड़वा सके। इसलिए कनानी लोग एप्रैम के लोगों के साथ गेजेर में रहते चले आए। 31 जबूलून के परिवार समूह के साथ भी यही बात हुई। कित्रोन और नहलोल नगरों मे कुछ कनानी लोग रहते थे। जबूलून के लोग उन लोगों से उनका देश न छुड़वा सके। वे कनानी लोग टिके रहे और जबूलून लोगों के साथ रहते चले आए। किन्तु जबूलून के लोगों ने उन लोगों को दासों की तरह काम करने को विवश किया। आशेर के परिवार समूह के साथ भी यही बात हुई। आशेर के लोग उन लोगों से अक्को, सीदोन, अहलाब, अकजीब, हेलबा, अपीक और रहोब नगरों को न छुड़वा सके। 32 आशेरके लोग कनानी लोगों से अपना देश न छुडवा सके। इसलिए कनानी लोग आशेर के लोगों के साथ रहते चले आए। 33 34 नप्ताली के परिवार समूह के साथ भी यही बात हुई। नप्ताली परिवार के लोग उन लोगों से बेतशेमेश और बेतनात नगरों को न छुड़वा सके। इसलिए नप्ताली के लोग उन नगरों में उन लोगों के साथ रहते चले आए। वे कनानी लोग नप्ताली लोगों के लिए दासों की तरह काम करते रहे।। एमोरी लोगों ने दान के परिवार समूह के लोगों को पहाड़ी प्रदेश में रहने के लिये विवश कर दिया। दान के लोगों को पहाड़ियों मे ठहरना पड़ा क्योंकि एमोरी लोग उन्हें घाटियों में उतर कर नहीं रहने देते थे। 35 एमोरी लोगों ने हेरेस पर्वत, अय्यलोन तथा शालबीम में ठहरने का निश्चय किया। बाद में, यूसुफ का परिवार समूह शाक्तिशाली हो गया। तब उन्होंने एमोरी लोगों से दासों की तरह काम लिया। 36 एमोरी लोगों का प्रदेश बिच्छू दर्रे से सेला और सेला के परे पहाड़ी प्रदेश तक था।
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