पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
विलापगीत
1. {#1यरूशलेम पर हमले का आतंक } [QS]देखा, किस तरह सोना चमक रहित हो गया। [QE][QS2]देखा, सारा सोना कैसे खोटा हो गया। [QE][QS]चारों ओर हीरे—जवाहरात बिखरे पड़े हैं। [QE][QS2]हर गली के सिर पर ये रत्न फैले हैं। [QE]
2. [QS]सिय्योन के निवासी बहुत मूल्यवान थे, [QE][QS2]जिनका मूल्य सोने की तोल में तुलना था। [QE][QS]किन्तु अब उनके साथ शत्रु ऐसे बर्ताव करते हैं जैसे वे मिट्टी के पुराने घड़े हों। [QE][QS2]शत्रु उनके साथ ऐसा बर्ताव करता है जैसे वे कुम्हार के बनाये मिट्टी के पात्र हों। [QE]
3. [QS]यहाँ तक कि गीदड़ी भी अपने बच्चे को थन देती है, [QE][QS2]वह अपने बच्चे को दूध पीने देती है। [QE][QS]किन्तु मेरे लोग निर्दय हो गये हैं। [QE][QS2]वह ऐसे हो गये जैसे मरुभूमि में निवासी—शुतुर्मुर्ग। [QE]
4. [QS]प्यास के मारे अबोध शिशुओं की जीभ [QE][QS2]तालू से चिपक रही है। [QE][QS]ये छोटे बच्चे रोटी को तरसते हैं। [QE][QS2]किन्तु कोई भी उन्हें कुछ भी खाने के लिये देता नहीं। [QE]
5. [QS]ऐसे लोग जो स्वादिष्ट भोजन खाया करते थे, [QE][QS2]आज भूख से गलियों में मर रहे हैं। [QE][QS]ऐसे लोग जो उत्तम वस्त्र पहनते हुए पले बढ़े थे, [QE][QS2]अब कूड़े के ढेरों पर बीनते फिरते हैं। [QE]
6. [QS]मेरे लोगों का पाप बहुत बड़ा था। [QE][QS2]उनका पाप सदोम और अमोरा के पापों से बड़ा पाप था। [QE][QS]सदोम और अमोरा को अचानक नष्ट किया गया। [QE][QS2]उनके विनाश में किसी भी मनुष्य का हाथ नहीं था। [QE][QS2]यह तो परमेश्वर ने किया था। [QE]
7. [QS]यहूदा के लोग जो परमेश्वर को समर्पित थे, [QE][QS2]वे बर्फ से उजले थे, [QE][QS]दूध से धुले थे। [QE][QS2]उनकी कायाएं मूंग से अधिक लाल थीं। [QE][QS]उनकी दाढ़ियाँ नीलम से श्यामल थी। [QE]
8. [QS]किन्तु उनके मुख अब धुंए से काले हो गये हैं। [QE][QS2]यहाँ तक कि गलियों में उनको कोई नहीं पहचानता था। [QE][QS]उनकी ठठरी पर अब झूर्रियां पड़ रही हैं। [QE][QS2]उनका चर्म लकड़ी सा कड़ा हो गया है। [QE]
9. [QS]ऐसे लोग जिन्हें तलवार के घाट उतारे गये उन से कहीं भाग्यवान थे, [QE][QS2]जो लोग भूख—मरी के मारे मरे। [QE][QS]भूख के सताये लोग बहुत ही दु:खी थे, वे बहुत व्याकुल थे। [QE][QS2]वे मरे क्योंकि खेतों का दिया हुआ खाने को उनके पास नहीं था। [QE]
10. [QS]उन दिनों ऐसी स्त्रियों ने भी जो बहुत अच्छी हुआ करती थी, [QE][QS2]अपने ही बच्चों के मांस को पकाया था। [QE][QS]वे बच्चे अपनी ही माँओं का आहार बने। [QE][QS2]ऐसा तब हुआ था जब मेरे लोगों का विनाश हुआ था। [QE]
11. [QS]यहोवा ने अपने सब क्रोध का प्रयोग किया; [QE][QS2]अपना समूचा क्रोध उसने उंडेल दिया। [QE][QS]सिय्योन में जिसने आग भड़कायी, [QE][QS2]सिय्योन की नीवों को नीचे तक जला दिया था। [QE]
12. [QS]जो कुछ घटा था, धरती के किसी भी राजा को उसका विश्वास नहीं था। [QE][QS2]जो कुछ घटा था, धरती के किसी भी लोगों को उसका विश्वास नहीं था। [QE][QS]यरूशलेम के द्वारों से होकर कोई भी शत्रु भीतर आ सकता है, [QE][QS2]इसका किसी को भी विश्वास नहीं था। [QE]
13. [QS]किन्तु ऐसा ही हुआ, [QE][QS2]क्योंकि यरूशलेम के नबियों ने पाप किये थे। [QE][QS]ऐसा हुआ क्योंकि यरूशलेम के याजक [QE][QS2]बुरे काम किया करते थे। [QE][QS]यरूशलेम के नगर में वे बहुत खून बहाया करते थे; [QE][QS2]वे नेक लोगों का खून बहाया करते थे। [QE]
14. [QS]याजक और नबी गलियों में अंधे से घुमते थे। [QE][QS2]खून से वे गंदे हो गये थे। [QE][QS]यहाँ तक कि कोई भी उनका वस्त्र नहीं छूता था [QE][QS2]क्योंकि वे गंदे थे। [QE]
15. [QS]लोग चिल्लाकर कहते थे, “दूर हटो! दूर हटो! [QE][QS2]तुम अस्वच्छ हो, हमको मत छूओ।” [QE][QS]वे लोग इधर—उधर यूं ही फिरा करते थे। [QE][QS2]उनके पास कोई घर नहीं था। [QE][QS]दूसरी जातियों के लोग कहते थे, “हम नहीं चाहते कि वे हमारे पास रहें।” [QE]
16. [QS]वे लोग स्वयं यहोवा के द्वारा ही नष्ट किये गये थे। [QE][QS2]उसने उनकी ओर फिर कभी नहीं देखा। [QE][QS]उसने याजकों को आदर नहीं दिया। [QE][QS2]यहूदा के मुखिया लोगों के साथ वह मित्रता से नहीं रहा। [QE]
17. [QS]सहायता पाने की बाट जोहते—जोहते अपनी आँखों ने काम करना बंद किया, और अब हमारी आँखें थक गई है। [QE][QS2]किन्तु कोई भी सहायता नहीं आई। [QE][QS]हम प्रतीक्षा करते रहे कि कोई ऐसी जाति आये जो हमको बचा ले। [QE][QS2]हम अपनी निगरानी बुर्ज से देखते रह गये। [QE][QS2]किन्तु किसी ने भी हम को बचाया नहीं। [QE]
18. [QS]हर समय दुश्मन हमारे पीछे पड़े रहे यहाँ तक कि हम बाहर गली में भी निकल नहीं पाये। [QE][QS2]हमारा अंत निकट आया। [QE][QS]हमारा समय पूरा हो चुका था। [QE][QS2]हमारा अंत आ गया! [QE]
19. [QS]वे लोग जो हमारे पीछे पड़े थे, [QE][QS2]उनकी गती आकाश में उकाब की गति से तीव्र थी। [QE][QS]उन लोगों ने पहाड़ों के भीतर हमारा पीछा किया। [QE][QS2]वे हमको पकड़ने को मरुभूमि में लुके—छिपे थे। [QE]
20. [QS]वह राजा जो हमारी नाकों के भीतर हमारा प्राण था, [QE][QS]गर्त में फँसा लिया गया था; [QE][QS2]वह राजा ऐसा व्यक्ति था [QE][QS]जिसे यहोवा ने स्वयं चुना था। [QE][QS2]राजा के बारे में हमने कहा था, [QE][QS]“उसकी छत्र छाया में हम जीवित रहेंगे, [QE][QS2]उसकी छाया में हम जातियों के बीच जीवित रहेंगे।” [QE][PBR]
21. [QS]एदोम के लोगों, प्रसन्न रहो और आनन्दित रहो! [QE][QS2]हे ऊज के निवासियों, प्रसन्न रहो! [QE][QS]किन्तु सदा याद रखो, [QE][QS2]तुम्हारे पास भी यहोवा के क्रोध का प्याला आयेगा। [QE][QS2]जब तुम उसे पिओगे, धुत्त हो जाओगे और स्वयं को नंगा कर डालोगे। [QE]
22. [QS]सिय्योन, तेरा दण्ड पूरा हुआ। [QE][QS2]अब फिर से तू कभी बंधन में नहीं पड़ोगी। [QE][QS]किन्तु हे एदोम के लोगों, यहोवा तुम्हारे पापों का दण्ड देगा। [QE][QS2]तुम्हारे पापों को वह उघाड़ देगा। [QE][PBR]
Total 5 अध्याय, Selected अध्याय 4 / 5
1 2 3 4 5
यरूशलेम पर हमले का आतंक 1 देखा, किस तरह सोना चमक रहित हो गया। देखा, सारा सोना कैसे खोटा हो गया। चारों ओर हीरे—जवाहरात बिखरे पड़े हैं। हर गली के सिर पर ये रत्न फैले हैं। 2 सिय्योन के निवासी बहुत मूल्यवान थे, जिनका मूल्य सोने की तोल में तुलना था। किन्तु अब उनके साथ शत्रु ऐसे बर्ताव करते हैं जैसे वे मिट्टी के पुराने घड़े हों। शत्रु उनके साथ ऐसा बर्ताव करता है जैसे वे कुम्हार के बनाये मिट्टी के पात्र हों। 3 यहाँ तक कि गीदड़ी भी अपने बच्चे को थन देती है, वह अपने बच्चे को दूध पीने देती है। किन्तु मेरे लोग निर्दय हो गये हैं। वह ऐसे हो गये जैसे मरुभूमि में निवासी—शुतुर्मुर्ग। 4 प्यास के मारे अबोध शिशुओं की जीभ तालू से चिपक रही है। ये छोटे बच्चे रोटी को तरसते हैं। किन्तु कोई भी उन्हें कुछ भी खाने के लिये देता नहीं। 5 ऐसे लोग जो स्वादिष्ट भोजन खाया करते थे, आज भूख से गलियों में मर रहे हैं। ऐसे लोग जो उत्तम वस्त्र पहनते हुए पले बढ़े थे, अब कूड़े के ढेरों पर बीनते फिरते हैं। 6 मेरे लोगों का पाप बहुत बड़ा था। उनका पाप सदोम और अमोरा के पापों से बड़ा पाप था। सदोम और अमोरा को अचानक नष्ट किया गया। उनके विनाश में किसी भी मनुष्य का हाथ नहीं था। यह तो परमेश्वर ने किया था। 7 यहूदा के लोग जो परमेश्वर को समर्पित थे, वे बर्फ से उजले थे, दूध से धुले थे। उनकी कायाएं मूंग से अधिक लाल थीं। उनकी दाढ़ियाँ नीलम से श्यामल थी। 8 किन्तु उनके मुख अब धुंए से काले हो गये हैं। यहाँ तक कि गलियों में उनको कोई नहीं पहचानता था। उनकी ठठरी पर अब झूर्रियां पड़ रही हैं। उनका चर्म लकड़ी सा कड़ा हो गया है। 9 ऐसे लोग जिन्हें तलवार के घाट उतारे गये उन से कहीं भाग्यवान थे, जो लोग भूख—मरी के मारे मरे। भूख के सताये लोग बहुत ही दु:खी थे, वे बहुत व्याकुल थे। वे मरे क्योंकि खेतों का दिया हुआ खाने को उनके पास नहीं था। 10 उन दिनों ऐसी स्त्रियों ने भी जो बहुत अच्छी हुआ करती थी, अपने ही बच्चों के मांस को पकाया था। वे बच्चे अपनी ही माँओं का आहार बने। ऐसा तब हुआ था जब मेरे लोगों का विनाश हुआ था। 11 यहोवा ने अपने सब क्रोध का प्रयोग किया; अपना समूचा क्रोध उसने उंडेल दिया। सिय्योन में जिसने आग भड़कायी, सिय्योन की नीवों को नीचे तक जला दिया था। 12 जो कुछ घटा था, धरती के किसी भी राजा को उसका विश्वास नहीं था। जो कुछ घटा था, धरती के किसी भी लोगों को उसका विश्वास नहीं था। यरूशलेम के द्वारों से होकर कोई भी शत्रु भीतर आ सकता है, इसका किसी को भी विश्वास नहीं था। 13 किन्तु ऐसा ही हुआ, क्योंकि यरूशलेम के नबियों ने पाप किये थे। ऐसा हुआ क्योंकि यरूशलेम के याजक बुरे काम किया करते थे। यरूशलेम के नगर में वे बहुत खून बहाया करते थे; वे नेक लोगों का खून बहाया करते थे। 14 याजक और नबी गलियों में अंधे से घुमते थे। खून से वे गंदे हो गये थे। यहाँ तक कि कोई भी उनका वस्त्र नहीं छूता था क्योंकि वे गंदे थे। 15 लोग चिल्लाकर कहते थे, “दूर हटो! दूर हटो! तुम अस्वच्छ हो, हमको मत छूओ।” वे लोग इधर—उधर यूं ही फिरा करते थे। उनके पास कोई घर नहीं था। दूसरी जातियों के लोग कहते थे, “हम नहीं चाहते कि वे हमारे पास रहें।” 16 वे लोग स्वयं यहोवा के द्वारा ही नष्ट किये गये थे। उसने उनकी ओर फिर कभी नहीं देखा। उसने याजकों को आदर नहीं दिया। यहूदा के मुखिया लोगों के साथ वह मित्रता से नहीं रहा। 17 सहायता पाने की बाट जोहते—जोहते अपनी आँखों ने काम करना बंद किया, और अब हमारी आँखें थक गई है। किन्तु कोई भी सहायता नहीं आई। हम प्रतीक्षा करते रहे कि कोई ऐसी जाति आये जो हमको बचा ले। हम अपनी निगरानी बुर्ज से देखते रह गये। किन्तु किसी ने भी हम को बचाया नहीं। 18 हर समय दुश्मन हमारे पीछे पड़े रहे यहाँ तक कि हम बाहर गली में भी निकल नहीं पाये। हमारा अंत निकट आया। हमारा समय पूरा हो चुका था। हमारा अंत आ गया! 19 वे लोग जो हमारे पीछे पड़े थे, उनकी गती आकाश में उकाब की गति से तीव्र थी। उन लोगों ने पहाड़ों के भीतर हमारा पीछा किया। वे हमको पकड़ने को मरुभूमि में लुके—छिपे थे। 20 वह राजा जो हमारी नाकों के भीतर हमारा प्राण था, गर्त में फँसा लिया गया था; वह राजा ऐसा व्यक्ति था जिसे यहोवा ने स्वयं चुना था। राजा के बारे में हमने कहा था, “उसकी छत्र छाया में हम जीवित रहेंगे, उसकी छाया में हम जातियों के बीच जीवित रहेंगे।” 21 एदोम के लोगों, प्रसन्न रहो और आनन्दित रहो! हे ऊज के निवासियों, प्रसन्न रहो! किन्तु सदा याद रखो, तुम्हारे पास भी यहोवा के क्रोध का प्याला आयेगा। जब तुम उसे पिओगे, धुत्त हो जाओगे और स्वयं को नंगा कर डालोगे। 22 सिय्योन, तेरा दण्ड पूरा हुआ। अब फिर से तू कभी बंधन में नहीं पड़ोगी। किन्तु हे एदोम के लोगों, यहोवा तुम्हारे पापों का दण्ड देगा। तुम्हारे पापों को वह उघाड़ देगा।
Total 5 अध्याय, Selected अध्याय 4 / 5
1 2 3 4 5
×

Alert

×

Hindi Letters Keypad References