पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
विलापगीत
1. {#1यहोवा से विनती: } [QS]हे यहोवा, हमारे साथ जो घटा हैं, याद रख। [QE][QS2]हे यहोवा, हमारे तिरस्कार को देख। [QE]
2. [QS]हमारी धरती परायों के हाथों में दे दी गयी। [QE][QS2]हमारे घर परदेसियों के हाथों में दिये गये। [QE]
3. [QS]हम अनाथ हो गये। [QE][QS2]हमारा कोई पिता नहीं। [QE][QS2]हमारी माताएं विधवा सी हो गयी हैं। [QE]
4. [QS]पानी पीने तक हमको मोल देना पड़ता है, इंधन की लकड़ी तक खरीदनी पड़ती हैं। [QE]
5. [QS]अपने कन्धों पर हमें जुए का बोझ उठाना पड़ता है। [QE][QS2]हम थक कर चूर होते हैं किन्तु विश्राम तनिक हमको नहीं मिलता। [QE]
6. [QS]हमने मिस्र के साथ एक वाचा किया; [QE][QS2]अश्शूर के साथ भी हमने एक वाचा किया था कि पर्याप्त भोजन मिले। [QE]
7. [QS]हमारे पूर्वजों ने तेरे विरोध में पाप किये थे। [QE][QS2]आज वे मर चुके हैं। [QE][QS2]अब वे विपत्तियाँ भोग रहे हैं। [QE]
8. [QS]हमारे दास ही स्वामी बने हैं। [QE][QS2]यहाँ कोई ऐसा व्यक्ति नहीं जो हमको उनसे बचा ले। [QE]
9. [QS]बस भोजन पाने को हमें अपना जीवन दांव पर लगाना पड़ता है। [QE][QS2]मरुभूमि में ऐसे लोगों के कारण जिनके पास तलवार है हमें अपना जीवन दांव पर लगाना पड़ता है। [QE]
10. [QS]हमारी खाल तन्दूर सी तप रही है, [QE][QS2]हमारी खाल तप रही उस भूख के कारण जो हमको लगी हैं। [QE]
11. [QS]सिय्योन की स्त्रियों के साथ कुकर्म किये गये हैं। [QE][QS2]यहूदा की नगरियों की कुमारियों के साथ कुकर्म किये गये हैं। [QE]
12. [QS]हमारे राजकुमार फाँसी पर चढ़ाये गये; [QE][QS2]उन्होंने हमारे अग्रजों का आदर नहीं किया। [QE]
13. [QS]हमारे वे शत्रुओं ने हमारे युवा पुरुषों से चक्की में आटा पिसवाया। [QE][QS2]हमारे युवा पुरुष लकड़ी के बोझ तले ठोकर खाते हुये गिरे। [QE]
14. [QS]हमारे बुजुर्ग अब नगर के द्वारों पर बैठा नहीं करते। [QE][QS2]हमारे युवक अब संगीत में भाग नहीं लेते। [QE]
15. [QS]हमारे मन में अब कोई खुशी नहीं है। [QE][QS2]हमारा हर्ष मरे हुए लोगों के विलाप में बदल गया है। [QE]
16. [QS]हमारा मुकुट हमारे सिर से गिर गया है। [QE][QS2]हमारी सब बातें बिगड़ गयी हैं, क्योंकि हमने पाप किये थे। [QE]
17. [QS]इसलिये हमारे मन रोगी हुए है; इन ही बातों से हमारी आँखें मद्धिम हुई है। [QE]
18. [QS]सिय्योन का पर्वत विरान हो गया है। [QE][QS2]सिय्योन के पहाड़ पर अब सियार घूमते है। [QE]
19. [QS]किन्तु हे यहोवा, तेरा राज्य तो अमर हैं। [QE][QS2]तेरा महिमापूर्ण सिंहासन सदा—सदा बना रहता है। [QE]
20. [QS]हे यहोवा, ऐसा लगता है जैसे तू हमको सदा के लिये भूल गया है। [QE][QS2]ऐसा लगता है जैसे इतने समय के लिये तूने हमें अकेला छोड़ दिया है। [QE]
21. [QS]हे यहोवा, हमको तू अपनी ओर मोड़ ले। [QE][QS2]हम प्रसन्नता से तेरे पास लौट आयेंगे; हमारे दिन फेर दे जैसे वह पहले थे। [QE]
22. [QS]क्या तूने हमें पूरी तरह बिसरा दिया [QE][QS2]तू हम से बहुत क्रोधित रहा है। [QE][PBR]
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यहोवा से विनती: 1 हे यहोवा, हमारे साथ जो घटा हैं, याद रख। हे यहोवा, हमारे तिरस्कार को देख। 2 हमारी धरती परायों के हाथों में दे दी गयी। हमारे घर परदेसियों के हाथों में दिये गये। 3 हम अनाथ हो गये। हमारा कोई पिता नहीं। हमारी माताएं विधवा सी हो गयी हैं। 4 पानी पीने तक हमको मोल देना पड़ता है, इंधन की लकड़ी तक खरीदनी पड़ती हैं। 5 अपने कन्धों पर हमें जुए का बोझ उठाना पड़ता है। हम थक कर चूर होते हैं किन्तु विश्राम तनिक हमको नहीं मिलता। 6 हमने मिस्र के साथ एक वाचा किया; अश्शूर के साथ भी हमने एक वाचा किया था कि पर्याप्त भोजन मिले। 7 हमारे पूर्वजों ने तेरे विरोध में पाप किये थे। आज वे मर चुके हैं। अब वे विपत्तियाँ भोग रहे हैं। 8 हमारे दास ही स्वामी बने हैं। यहाँ कोई ऐसा व्यक्ति नहीं जो हमको उनसे बचा ले। 9 बस भोजन पाने को हमें अपना जीवन दांव पर लगाना पड़ता है। मरुभूमि में ऐसे लोगों के कारण जिनके पास तलवार है हमें अपना जीवन दांव पर लगाना पड़ता है। 10 हमारी खाल तन्दूर सी तप रही है, हमारी खाल तप रही उस भूख के कारण जो हमको लगी हैं। 11 सिय्योन की स्त्रियों के साथ कुकर्म किये गये हैं। यहूदा की नगरियों की कुमारियों के साथ कुकर्म किये गये हैं। 12 हमारे राजकुमार फाँसी पर चढ़ाये गये; उन्होंने हमारे अग्रजों का आदर नहीं किया। 13 हमारे वे शत्रुओं ने हमारे युवा पुरुषों से चक्की में आटा पिसवाया। हमारे युवा पुरुष लकड़ी के बोझ तले ठोकर खाते हुये गिरे। 14 हमारे बुजुर्ग अब नगर के द्वारों पर बैठा नहीं करते। हमारे युवक अब संगीत में भाग नहीं लेते। 15 हमारे मन में अब कोई खुशी नहीं है। हमारा हर्ष मरे हुए लोगों के विलाप में बदल गया है। 16 हमारा मुकुट हमारे सिर से गिर गया है। हमारी सब बातें बिगड़ गयी हैं, क्योंकि हमने पाप किये थे। 17 इसलिये हमारे मन रोगी हुए है; इन ही बातों से हमारी आँखें मद्धिम हुई है। 18 सिय्योन का पर्वत विरान हो गया है। सिय्योन के पहाड़ पर अब सियार घूमते है। 19 किन्तु हे यहोवा, तेरा राज्य तो अमर हैं। तेरा महिमापूर्ण सिंहासन सदा—सदा बना रहता है। 20 हे यहोवा, ऐसा लगता है जैसे तू हमको सदा के लिये भूल गया है। ऐसा लगता है जैसे इतने समय के लिये तूने हमें अकेला छोड़ दिया है। 21 हे यहोवा, हमको तू अपनी ओर मोड़ ले। हम प्रसन्नता से तेरे पास लौट आयेंगे; हमारे दिन फेर दे जैसे वह पहले थे। 22 क्या तूने हमें पूरी तरह बिसरा दिया तू हम से बहुत क्रोधित रहा है।
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