पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
लैव्यवस्था
1. यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,
2. “किसी व्यक्ति के चर्म पर कोई भयंकर सूजन हो सकी है, या खुजली अथवा सफेद दाग हो सकते हैं। यदि घाव चर्मरोग की तरह दिखाई पड़े तो व्यक्ति को याजक हारून या उसके किसी एक याजक पुत्र के पास लाया जाना चाहिए।
3. याजकों को व्यक्ति के चर्म के घाव को देखना चाहिए। यदि घाव के बाल सफेद हो गए हों और घाव व्यक्ति के चर्म से अधिक गहरा मालूम हो तो यह भयंकर चर्म रोग है. जब याजक व्यक्ति की जाँच खत्म करे तो उसे घोषणा करनी चाहिए कि व्यक्ति अशुद्ध है।
4. “कभी कभी किसी व्यक्ति के चर्म पर कोई सफेद दाग हो जाता है किन्तु दाग चर्म से गहरा नहीं मालूम होता। यदि वह सत्य हो तो याजक उस व्यक्ति को सात दिन के लिए अन्य लोगों से अलग करे।
5. सातवे दिन याजक को उस व्यक्ति की जाँच करनी चाहिए। यदि याजक देखे कि घाव मं परिवर्तन नहीं हुआ है और वह चर्म पर औ अधिक फैला नहीं है तो याजक को और सात दिन के लिए उसे अलग करना चाहिए।
6. सात दिन बाद याजक को उस व्यक्ति की फिर जांच करनी चाहिए। यदि घाव सूख गया हो और चरम पर फैला न हो, तो याजक को घोषणा करनी चाहिए कि व्यक्ति शुद्ध है। वह केवल एक खुरंड है। तब रोगी को अनपे वस्त्र धोने चाहिए और फिर से शुद्ध होना चाहिए।
7. “किन्तु यदि व्यक्ति ने याजक को फिर अपने आपको सुद्ध बनाने के लिए दिखा लिया हो और उसके बाद चर्मरोग त्वचा पर अधिक फैलने लगे तो उस व्यक्ति को फिर याजक के पास आना चाहिए।
8. याजक को जाँच करके देखना चाहिए। यदि घाव चर्म पर फैला हो तो याजक को घोषमा करनी चाहिए कि वह व्यक्ति अशुद्ध है अर्थात् उसे कोई कोई भयानक चर्मरोग है।
9. “यदि व्यक्ति को भायनक चर्मरोग हुआ हो तो उसे याजक के पास लाया जाना चाहिए।
10. याजक को उस व्यक्ति की जाँच करके देखना चाहिए। यदि चर्म पर सफेद दाग हो और उसमे सूजन हो, उस स्थान के बाल सफेद हों गए हो और यदि वहाँ घाव कच्चा हो
11. तो यह कोई भयानक चर्मरोग है जो उस व्यक्ति को बहुत समय से है। अत: याजक को उस व्यक्ति को अशुद्ध घोषित कर देना चाहिए। याजक उस व्यक्ति को केवल थोड़े से समय के लिए ही अन्य लोगों से अलग नहीं करेगा। क्यों? क्योंकि वह जानता है कि वह व्यक्ति अशुद्ध है।
12. “यदि कभी चरमरोग व्यक्ति के सारे शरीर पर फैल जाए, वह चर्मरोग उस व्यक्ति के चरम को सिर से पाँव तक ढकले,
13. और याजक देखे कि चर्मरोग पूरे शरीर को इस प्रकार ढके है कि उस व्यक्ति का पूरा शरीर ही सफेद हो गया है तो याजक को उसे शुद्ध घोषित कर देना चाहिए।
14. किन्तु यदि व्यक्ति का चरम घाव जैसा कच्चा हो ते वह शुद्ध नहीं है।
15. जब याजक कच्चा चर्म देखे, तब उसे घोषित करना चाहिए कि व्यक्ति अशुद्ध है। कच्चा चर्म शुद्ध नहीं है। यह भयानक चर्मरोग है।
16. “यदि चर्म फिर कच्चा पड़ जाये और सफेद हो जाये तो व्यक्ति को याजक के पास आना चाहिए।
17. याजक को उस व्यक्ति की जाँच करेक देखना चाहिए। यदि रोग ग्रस्त अंग सफेद हो गया हो तो याजक को घोषित करन चाहिए कि वह व्यक्ति जिसे छूत रोग है, वह अंग शुद्ध है। सो वह व्यक्ति शुद्ध है।
18. “हो सकता है कि शरीर के चर्म पर कोई फोड़ा हो। और फोड़ा ठीक हो जाय।
19. किन्तु फोड़े की जगह पर सफेद सूजन या गहरी लाली लिए सफेद औ चमकीला दाग रह जाय तब चर्म का यह स्थान याजक को दिखाना चाहिए।
20. याजक को उसे देखना चाहिए। यदि सूजन चर्म से गहरा है और इस पर के बाल सफेद हो गये हैं तो याजक को घोषणा करनी चाहिए कि वह व्यक्ति अशुदध है। वह दाग भयानक चर्म रोग है। यह फोड़े के भीतर से फूट पड़ा हे।
21. किन्तु यदि याजक उस स्थान को देखता है और उस पर सफेद बाल नहीं हैं और दाग चर्म से गहरा नहीं है, बल्कि धुंधला है तो याजक को उस व्यक्ति को सात दिन के लिए अलग करना चाहिए।
22. यदि दाग का अधिक भाग चर्म पर फैलता है तब याजक को घोषणा करनी चाहिए कि व्यक्ति अशुद्ध है। यह छूत रोग है।
23. किन्तु यदि सफेद दाग अपनी जगह बना रहता है, फैलता नहीं तो वह पुराने फोड़े का केवल घाव है। याजक को घोषणा करनी चाहिए कि व्यक्ति शुद्ध है।
24. [This verse may not be a part of this translation]
25. [This verse may not be a part of this translation]
26. किन्तु याजक यदि उस स्थान को देखता है ौर सफेद ताग में सफेद बाल नहीं है और दाग चर्म से गहरा नहीं है, बल्कि हल्का है तो याजक को उसे सात दिन के लिए ही अलग करना चाहिए।
27. सातवें दिन याजक को उस व्यक्ति को फिर देखना चाहिए। यदि दाग चर्म पर फैले तो याजक को घोषणा करनी चाहिए कि व्यक्ति अशुद्ध है। यह भयंकर चर्म रोग है।
28. किन्तु यदि सफेद दाग चर्म पर न फेल, अपितु धुंधला हो तो यह जलने से पैदा हुई सूजन है। याजक को उस व्यक्ति को शुद्ध घोषित करना चाहिए। यह केवल जले का निशान है।
29. किसी व्यक्ति के सिर की खाल पर या दाढ़ी में कोई छूत रोग हौ सकता है।
30. याजक को छूत के रोग को देखना चाहिए। यदि छूत का रोग चर्म से गहरा मालूम हो और इसके चारों ओ के बल बारीक औ पीले हों तो याजक को घोषणा करनी चाहिए कि व्यक्ति अशुद्ध है। यह बुरा चर्मरोग है।
31. यदिरोग चर्म से गहरा न मालूम हो, और इसमें कोई काला बाल न हो तो याजक को उसे सात दिन के लिए अलग कर देना चाहिए।
32. सातवें दिन याजक को छूत के रोगी को देखना चाहिए। यदि रोग फैला नहीं है या इसमं पीले बाल नहीं उग रहे है और रोग चर्म से गहरा नहीं है,
33. तो व्यक्ति को बाल काट लेने चाहिये। किन्तु उसे रोग वाले स्थान के बाल नहीं काटने चाहिए। याजक को उस व्यक्ति को और सात दिन के लिए अलग करना चाहिए।
34. सातवें दिन याजक को रोगी को देखना चाहिए। यदि रोग चर्म नहीं फैला है और यह चर्म से गहरा नीं मालूम होता है तो याजक को घोषणा करनी चाहिए कि व्यक्ति शुद्ध है। व्यक्ति को अनपे वस्त्र धोने चाहिए तथा शुद्ध हो जाना चाहिए।
35. किन्तु यदि व्यक्ति के शुद्ध हो जाने के बाद चर्म में रोग फैलता है
36. तो याजक को फिर व्यक्ति को देखना चाहिए। यदि रोग चर्म में फैला है तो याजक को पीले बालों को देखने की आवश्यकता नहीं है, व्यक्ति अशुद्ध है।
37. किन्तु यदि याजक यह समझता है कि रोग का बढ़ना रुक गया है और इसमें काले बाल उग रहे हैं तो रोग अच्छा हो गया है। व्यक्ति शुद्ध है। याजक को घोषणा करनी चाहिए कि व्यक्ति शुद्ध है।
38. “जब व्यक्ति के चर्म पर सफेद दाग हों,
39. तो याजक को उन दागों को देखना चाहिए। यदि व्यक्ति के चर्म के दाग धुंधले सफेद हैं, तो रोग केवल अहानिकारक फुंसियाँ है। वह व्यक्ति शुद्ध है।
40. “किसी व्यक्ति के चर्म पर सफेद दाग हों,
41. किसी आदमी के सिर के माथे के बाल झड़ सकते हैं। वह शुद्ध है। यह दूसरे प्रकार का गंजापन है।
42. किन्तु यदि उसके सिर की चमड़ी पर लाल सफेद फुंसियाँ हैं तो यह भयानक चर्म रोग है।
43. याजक को ऐसे व्यक्ति को देखना चाहिए। यदि छूत ग्रस्त त्वचा की सूजन लाली युक्त सफेद है और कुष्ठ की तरह शरीर के अन्य भागों पर दिखाई पड़ रही है
44. तो उस व्यक्ति के सिर की चमड़ी पर भयानक चर्मरोग है। व्यक्ति अशुद्ध है, याजक को घोषणा करनी चाहिए।
45. [This verse may not be a part of this translation]
46. जो व्यक्ति अशुद्ध होगा उसमें छूत का रोग सदा रहेगा। वह व्यक्ति अशुद्ध है। उसे अकेल रहना चाहिए। उनका निवास डेरे से बाहर होना चाहिए।
47. [This verse may not be a part of this translation]
48. [This verse may not be a part of this translation]
49. यदि फफूँदी हरी या लाल हो तो उसे याजक को दिखाना चाहिए।
50. याजक को फफूँदी देखनी चाहिए। उसे उस चीज को सात दिन तक अलग स्थान पर रखना चाहिए।
51. [This verse may not be a part of this translation]
52. [This verse may not be a part of this translation]
53. “यदि याजक देखे कि फफूँदी फैली नहीं तो वह कपड़ा या चमड़ा धोया जाना चाहिए। यह महत्वपूर्ण नहीं कि यह चमड़ा है या कपड़ा, अथवा कपड़ा बुना हुआ है या कढ़ा हुआ, इस धोना चाहिए।
54. याजक को लोगों को यह आदेश देना चाहिए कि वे चमड़े या कपड़े के टुकड़ों को धोएं, तब याजक वस्त्रों को और सात दिनों के लिए अलग करे।
55. उस समय के बाद याजक को फिर देखना चाहिए। यदि फफूँदी ठीक वैसी ही दिखाई देती है तो वह वस्तु अशुद्ध है। यह महत्वपूर्ण नहीं है कि छूत फैली नहीं है। तुम्हें उस कपड़े या चमड़े को जला देना चाहिए।
56. “किन्तु यदि याजक उस चमड़े को देखता है कि फफूँदी युक्त दाग को चमड़े या कपड़े से फाड़ देना चाहिए। यह महत्वपूर्ण नहीं कि कपड़ा कढ़ा हुआ है या बारीक बुना हुआ है।
57. किन्तु फफूँदी उस चमड़े या कपड़े पर लौट सकती है। यदि ऐसा होता है तो फफूँदी बढ़ रही है। उस चमड़े या कपड़े को जला देना चाहिए।
58. किन्तु यदि धोने के बाद फफूँदी न लौटे, तो वह चमड़ा या कपड़ा शुद्ध है। इसका कोई महत्व नहीं कि कपड़ा कढ़ा हुआ या बुना हुआ था। वह कपड़ा शुद्ध है।”
59. चमड़े या कपड़े पर की फफूँदी के विषय में ये नियम हैं। इसका कोई महत्व नहीं कि कपड़ा कढ़ा हुआ है या बुना हूआ है।

Notes

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Total 27 Chapters, Current Chapter 13 of Total Chapters 27
लैव्यवस्था 13:36
1. यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,
2. “किसी व्यक्ति के चर्म पर कोई भयंकर सूजन हो सकी है, या खुजली अथवा सफेद दाग हो सकते हैं। यदि घाव चर्मरोग की तरह दिखाई पड़े तो व्यक्ति को याजक हारून या उसके किसी एक याजक पुत्र के पास लाया जाना चाहिए।
3. याजकों को व्यक्ति के चर्म के घाव को देखना चाहिए। यदि घाव के बाल सफेद हो गए हों और घाव व्यक्ति के चर्म से अधिक गहरा मालूम हो तो यह भयंकर चर्म रोग है. जब याजक व्यक्ति की जाँच खत्म करे तो उसे घोषणा करनी चाहिए कि व्यक्ति अशुद्ध है।
4. “कभी कभी किसी व्यक्ति के चर्म पर कोई सफेद दाग हो जाता है किन्तु दाग चर्म से गहरा नहीं मालूम होता। यदि वह सत्य हो तो याजक उस व्यक्ति को सात दिन के लिए अन्य लोगों से अलग करे।
5. सातवे दिन याजक को उस व्यक्ति की जाँच करनी चाहिए। यदि याजक देखे कि घाव मं परिवर्तन नहीं हुआ है और वह चर्म पर अधिक फैला नहीं है तो याजक को और सात दिन के लिए उसे अलग करना चाहिए।
6. सात दिन बाद याजक को उस व्यक्ति की फिर जांच करनी चाहिए। यदि घाव सूख गया हो और चरम पर फैला हो, तो याजक को घोषणा करनी चाहिए कि व्यक्ति शुद्ध है। वह केवल एक खुरंड है। तब रोगी को अनपे वस्त्र धोने चाहिए और फिर से शुद्ध होना चाहिए।
7. “किन्तु यदि व्यक्ति ने याजक को फिर अपने आपको सुद्ध बनाने के लिए दिखा लिया हो और उसके बाद चर्मरोग त्वचा पर अधिक फैलने लगे तो उस व्यक्ति को फिर याजक के पास आना चाहिए।
8. याजक को जाँच करके देखना चाहिए। यदि घाव चर्म पर फैला हो तो याजक को घोषमा करनी चाहिए कि वह व्यक्ति अशुद्ध है अर्थात् उसे कोई कोई भयानक चर्मरोग है।
9. “यदि व्यक्ति को भायनक चर्मरोग हुआ हो तो उसे याजक के पास लाया जाना चाहिए।
10. याजक को उस व्यक्ति की जाँच करके देखना चाहिए। यदि चर्म पर सफेद दाग हो और उसमे सूजन हो, उस स्थान के बाल सफेद हों गए हो और यदि वहाँ घाव कच्चा हो
11. तो यह कोई भयानक चर्मरोग है जो उस व्यक्ति को बहुत समय से है। अत: याजक को उस व्यक्ति को अशुद्ध घोषित कर देना चाहिए। याजक उस व्यक्ति को केवल थोड़े से समय के लिए ही अन्य लोगों से अलग नहीं करेगा। क्यों? क्योंकि वह जानता है कि वह व्यक्ति अशुद्ध है।
12. “यदि कभी चरमरोग व्यक्ति के सारे शरीर पर फैल जाए, वह चर्मरोग उस व्यक्ति के चरम को सिर से पाँव तक ढकले,
13. और याजक देखे कि चर्मरोग पूरे शरीर को इस प्रकार ढके है कि उस व्यक्ति का पूरा शरीर ही सफेद हो गया है तो याजक को उसे शुद्ध घोषित कर देना चाहिए।
14. किन्तु यदि व्यक्ति का चरम घाव जैसा कच्चा हो ते वह शुद्ध नहीं है।
15. जब याजक कच्चा चर्म देखे, तब उसे घोषित करना चाहिए कि व्यक्ति अशुद्ध है। कच्चा चर्म शुद्ध नहीं है। यह भयानक चर्मरोग है।
16. “यदि चर्म फिर कच्चा पड़ जाये और सफेद हो जाये तो व्यक्ति को याजक के पास आना चाहिए।
17. याजक को उस व्यक्ति की जाँच करेक देखना चाहिए। यदि रोग ग्रस्त अंग सफेद हो गया हो तो याजक को घोषित करन चाहिए कि वह व्यक्ति जिसे छूत रोग है, वह अंग शुद्ध है। सो वह व्यक्ति शुद्ध है।
18. “हो सकता है कि शरीर के चर्म पर कोई फोड़ा हो। और फोड़ा ठीक हो जाय।
19. किन्तु फोड़े की जगह पर सफेद सूजन या गहरी लाली लिए सफेद चमकीला दाग रह जाय तब चर्म का यह स्थान याजक को दिखाना चाहिए।
20. याजक को उसे देखना चाहिए। यदि सूजन चर्म से गहरा है और इस पर के बाल सफेद हो गये हैं तो याजक को घोषणा करनी चाहिए कि वह व्यक्ति अशुदध है। वह दाग भयानक चर्म रोग है। यह फोड़े के भीतर से फूट पड़ा हे।
21. किन्तु यदि याजक उस स्थान को देखता है और उस पर सफेद बाल नहीं हैं और दाग चर्म से गहरा नहीं है, बल्कि धुंधला है तो याजक को उस व्यक्ति को सात दिन के लिए अलग करना चाहिए।
22. यदि दाग का अधिक भाग चर्म पर फैलता है तब याजक को घोषणा करनी चाहिए कि व्यक्ति अशुद्ध है। यह छूत रोग है।
23. किन्तु यदि सफेद दाग अपनी जगह बना रहता है, फैलता नहीं तो वह पुराने फोड़े का केवल घाव है। याजक को घोषणा करनी चाहिए कि व्यक्ति शुद्ध है।
24. This verse may not be a part of this translation
25. This verse may not be a part of this translation
26. किन्तु याजक यदि उस स्थान को देखता है ौर सफेद ताग में सफेद बाल नहीं है और दाग चर्म से गहरा नहीं है, बल्कि हल्का है तो याजक को उसे सात दिन के लिए ही अलग करना चाहिए।
27. सातवें दिन याजक को उस व्यक्ति को फिर देखना चाहिए। यदि दाग चर्म पर फैले तो याजक को घोषणा करनी चाहिए कि व्यक्ति अशुद्ध है। यह भयंकर चर्म रोग है।
28. किन्तु यदि सफेद दाग चर्म पर फेल, अपितु धुंधला हो तो यह जलने से पैदा हुई सूजन है। याजक को उस व्यक्ति को शुद्ध घोषित करना चाहिए। यह केवल जले का निशान है।
29. किसी व्यक्ति के सिर की खाल पर या दाढ़ी में कोई छूत रोग हौ सकता है।
30. याजक को छूत के रोग को देखना चाहिए। यदि छूत का रोग चर्म से गहरा मालूम हो और इसके चारों के बल बारीक पीले हों तो याजक को घोषणा करनी चाहिए कि व्यक्ति अशुद्ध है। यह बुरा चर्मरोग है।
31. यदिरोग चर्म से गहरा मालूम हो, और इसमें कोई काला बाल हो तो याजक को उसे सात दिन के लिए अलग कर देना चाहिए।
32. सातवें दिन याजक को छूत के रोगी को देखना चाहिए। यदि रोग फैला नहीं है या इसमं पीले बाल नहीं उग रहे है और रोग चर्म से गहरा नहीं है,
33. तो व्यक्ति को बाल काट लेने चाहिये। किन्तु उसे रोग वाले स्थान के बाल नहीं काटने चाहिए। याजक को उस व्यक्ति को और सात दिन के लिए अलग करना चाहिए।
34. सातवें दिन याजक को रोगी को देखना चाहिए। यदि रोग चर्म नहीं फैला है और यह चर्म से गहरा नीं मालूम होता है तो याजक को घोषणा करनी चाहिए कि व्यक्ति शुद्ध है। व्यक्ति को अनपे वस्त्र धोने चाहिए तथा शुद्ध हो जाना चाहिए।
35. किन्तु यदि व्यक्ति के शुद्ध हो जाने के बाद चर्म में रोग फैलता है
36. तो याजक को फिर व्यक्ति को देखना चाहिए। यदि रोग चर्म में फैला है तो याजक को पीले बालों को देखने की आवश्यकता नहीं है, व्यक्ति अशुद्ध है।
37. किन्तु यदि याजक यह समझता है कि रोग का बढ़ना रुक गया है और इसमें काले बाल उग रहे हैं तो रोग अच्छा हो गया है। व्यक्ति शुद्ध है। याजक को घोषणा करनी चाहिए कि व्यक्ति शुद्ध है।
38. “जब व्यक्ति के चर्म पर सफेद दाग हों,
39. तो याजक को उन दागों को देखना चाहिए। यदि व्यक्ति के चर्म के दाग धुंधले सफेद हैं, तो रोग केवल अहानिकारक फुंसियाँ है। वह व्यक्ति शुद्ध है।
40. “किसी व्यक्ति के चर्म पर सफेद दाग हों,
41. किसी आदमी के सिर के माथे के बाल झड़ सकते हैं। वह शुद्ध है। यह दूसरे प्रकार का गंजापन है।
42. किन्तु यदि उसके सिर की चमड़ी पर लाल सफेद फुंसियाँ हैं तो यह भयानक चर्म रोग है।
43. याजक को ऐसे व्यक्ति को देखना चाहिए। यदि छूत ग्रस्त त्वचा की सूजन लाली युक्त सफेद है और कुष्ठ की तरह शरीर के अन्य भागों पर दिखाई पड़ रही है
44. तो उस व्यक्ति के सिर की चमड़ी पर भयानक चर्मरोग है। व्यक्ति अशुद्ध है, याजक को घोषणा करनी चाहिए।
45. This verse may not be a part of this translation
46. जो व्यक्ति अशुद्ध होगा उसमें छूत का रोग सदा रहेगा। वह व्यक्ति अशुद्ध है। उसे अकेल रहना चाहिए। उनका निवास डेरे से बाहर होना चाहिए।
47. This verse may not be a part of this translation
48. This verse may not be a part of this translation
49. यदि फफूँदी हरी या लाल हो तो उसे याजक को दिखाना चाहिए।
50. याजक को फफूँदी देखनी चाहिए। उसे उस चीज को सात दिन तक अलग स्थान पर रखना चाहिए।
51. This verse may not be a part of this translation
52. This verse may not be a part of this translation
53. “यदि याजक देखे कि फफूँदी फैली नहीं तो वह कपड़ा या चमड़ा धोया जाना चाहिए। यह महत्वपूर्ण नहीं कि यह चमड़ा है या कपड़ा, अथवा कपड़ा बुना हुआ है या कढ़ा हुआ, इस धोना चाहिए।
54. याजक को लोगों को यह आदेश देना चाहिए कि वे चमड़े या कपड़े के टुकड़ों को धोएं, तब याजक वस्त्रों को और सात दिनों के लिए अलग करे।
55. उस समय के बाद याजक को फिर देखना चाहिए। यदि फफूँदी ठीक वैसी ही दिखाई देती है तो वह वस्तु अशुद्ध है। यह महत्वपूर्ण नहीं है कि छूत फैली नहीं है। तुम्हें उस कपड़े या चमड़े को जला देना चाहिए।
56. “किन्तु यदि याजक उस चमड़े को देखता है कि फफूँदी युक्त दाग को चमड़े या कपड़े से फाड़ देना चाहिए। यह महत्वपूर्ण नहीं कि कपड़ा कढ़ा हुआ है या बारीक बुना हुआ है।
57. किन्तु फफूँदी उस चमड़े या कपड़े पर लौट सकती है। यदि ऐसा होता है तो फफूँदी बढ़ रही है। उस चमड़े या कपड़े को जला देना चाहिए।
58. किन्तु यदि धोने के बाद फफूँदी लौटे, तो वह चमड़ा या कपड़ा शुद्ध है। इसका कोई महत्व नहीं कि कपड़ा कढ़ा हुआ या बुना हुआ था। वह कपड़ा शुद्ध है।”
59. चमड़े या कपड़े पर की फफूँदी के विषय में ये नियम हैं। इसका कोई महत्व नहीं कि कपड़ा कढ़ा हुआ है या बुना हूआ है।
Total 27 Chapters, Current Chapter 13 of Total Chapters 27
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