पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
लूका
1. {यीशु से यहूदियों का एक प्रश्न} (मत्ती 21:23-27; मरकुस 11:27-33) [PS] एक दिन जब यीशु मन्दिर में लोगों को उपदेश देते हुए सुसमाचार सुना रहा था तो प्रमुख याजक और यहूदी धर्मशास्त्री बुजुर्ग यहूदी नेताओं के साथ उसके पास आये।
2. उन्होंने उससे पूछा, “हमें बता तू यह काम किस अधिकार से कर रहा है? वह कौन है जिसने तुझे यह अधिकार दिया है?” [PE][PS]
3. यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं भी तुमसे एक प्रश्न पूछता हूँ, तुम मुझे बताओ
4. यूहन्ना को बपतिस्मा देने का अधिकार स्वर्ग से मिला था या मनुष्य से?” [PE][PS]
5. इस पर आपस में विचार विमर्श करते हुए उन्होंने कहा, “यदि हम कहते हैं, ‘स्वर्ग से’ तो यह कहेगा, ‘तो तुम ने उस पर विश्वास क्यों नहीं किया?’
6. और यदि हम कहें, ‘मनुष्य से’ तो सभी लोग हम पर पत्थर बरसायेंगे। क्योंकि वे यह मानते हैं कि यूहन्ना एक नबी था।”
7. सो उन्होंने उत्तर दिया कि वे नहीं जानते कि वह कहाँ से मिला। [PE][PS]
8. फिर यीशु ने उनसे कहा, “तो मैं भी तुम्हें नहीं बताऊँगा कि यह कार्य मैं किस अधिकार से करता हूँ?” [PE][PS]
9. {परमेश्वर अपने पुत्र को भेजता है} (मत्ती 21:33-46; मरकुस 12:1-12) [PS] फिर यीशु लोगों से यह दृष्टान्त कथा कहने लगा: “किसी व्यक्ति ने अंगूरों का एक बगीचा लगाकर उसे कुछ किसानों को किराये पर चढ़ा दिया और वह एक लम्बे समय के लिये कहीं चला गया।
10. जब फसल उतारने का समय आया, तो उसने एक सेवक को किसानों के पास भेजा ताकि वे उसे अंगूरों के बगीचे के कुछ फल दे दें। किन्तु किसानों ने उसे मार-पीट कर खाली हाथों लौटा दिया।
11. तो उसने एक दूसरा सेवक वहाँ भेजा। किन्तु उन्होंने उसकी भी पिटाई कर डाली। उन्होंने उसके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया और उसे भी खाली हाथों लौटा दिया।
12. इस पर उसने एक तीसरा सेवक भेजा किन्तु उन्होंने इसको भी घायल करके बाहर धकेल दिया। [PE][PS]
13. “तब बगीचे का स्वामी कहने लगा, ‘मुझे क्या करना चाहिये? मैं अपने प्यारे बेटे को भेजूँगा।’
14. किन्तु किसानों ने जब उसके बेटे को देखा तो आपस में सोच विचार करते हूए वे बोले, ‘यह तो उत्तराधिकारी है, आओ हम इसे मार डालें ताकि उत्तराधिकार हमारा हो जाये।’
15. और उन्होंने उसे बगीचे से बाहर खदेड़ कर मार डाला। [PE][PS] “तो फिर बगीचे का स्वामी उनके साथ क्या करेगा?
16. वह आयेगा और उन किसानों को मार डालेगा तथा अंगूरों का बगीचा औरों को सौंप देगा।” [PE][PS] उन्होंने जब यह सुना तो वे बोले, “ऐसा कभी न हो।”
17. तब यीशु ने उनकी ओर देखते हुए कहा, “तो फिर यह जो लिखा है उसका अर्थ क्या है: ‘जिस पत्थर को कारीगरों ने बेकार समझ लिया था वही कोने का प्रमुख पत्थर बन गया?’ भजन संहिता 118:22
18. हर कोई जो उस पत्थर पर गिरेगा टुकड़े-टुकड़े हो जायेगा और जिस पर वह गिरेगा चकना चूर हो जायेगा।” [PE][PS]
19. उसी क्षण यहूदी धर्मशास्त्रि और प्रमुख याजक कोई रास्ता ढूँढकर उसे पकड़ लेना चाहते थे क्योंकि वे जान गये थे कि उसने यह दृष्टान्त कथा उनके विरोध में कही है। किन्तु वे लोगों से डरते थे। [PE][PS]
20. {यहूदी नेताओं की चाल} (मत्ती 22:15-22; मरकुस 12:13-17) [PS] सो वे सावधानी से उस पर नज़र रखने लगे। उन्होंने ऐसे गुप्तचर भेजे जो ईमानदार होने का ढोंग रचते थे। (ताकि वे उसे उसकी कही किसी बात में फँसा कर राज्यपाल की शक्ति और अधिकार के अधीन कर दें।)
21. सो उन्होंने उससे पूछते हुए कहा, “गुरु, हम जानते हैं कि तू जो उचित है वही कहता है और उसी का उपदेश देता है और न ही तू किसी का पक्ष लेता है। बल्कि तू तो सच्चाई से परमेश्वर के मार्ग की शिक्षा देता है।
22. सो बता कैसर को हमारा कर चुकाना उचित है या नहीं चुकाना?” [PE][PS]
23. यीशु उनकी चाल को समझ गया था। सो उसने उनसे कहा,
24. “मुझे एक दीनार दिखाओ, इस पर मूरत और लिखावट किसके हैं?” [PE][PS] उन्होंने कहा, “कैसर के।” [PE][PS]
25. इस पर उसने उनसे कहा, “तो फिर जो कैसर का है, उसे कैसर को दो और जो परमेश्वर का है उसे परमेश्वर को दो।” [PE][PS]
26. वे उसके उत्तर पर चकित हो कर चुप रह गये और उसने लोगों के सामने जो कुछ कहा था, उस पर उसे पकड़ नहीं पाये। [PE][PS]
27. {यीशु को पकड़ने के लिये सदूकियों की चाल} (मत्ती 22:23-33; मरकुस 12:18-27) [PS] अब देखो कुछ सदूकी उसके पास आये। (ये सदूकी वे थे जो पुनरुत्थान को नहीं मानते।) उन्होंने उससे पूछते हुए कहा,
28. “गुरु, मूसा ने हमारे लिये लिखा है कि यदि किसी का भाई मर जाये और उसके कोई बच्चा न हो और उसकी पत्नी हो तो उसका भाई उस विधवा से ब्याह करके अपने भाई के लिये, उससे संतान उत्पन्न करे।
29. अब देखो, सात भाई थे। पहले भाई ने किसी स्त्री से विवाह किया और वह बिना किसी संतान के ही मर गया।
30. फिर दूसरे भाई ने उसे ब्याहा,
31. और ऐसे ही तीसरे भाई ने। सब के साथ एक जैसा ही हुआ। वे बिना कोई संतान छोड़े मर गये।
32. बाद में वह स्त्री भी मर गयी।
33. अब बताओ, पुनरुत्थान होने पर वह किसकी पत्नी होगी क्योंकि उससे तो सातों ने ही ब्याह किया था?” [PE][PS]
34. तब यीशु ने उनसे कहा, “इस युग के लोग ब्याह करते हैं और ब्याह करके विदा होते हैं।
35. किन्तु वे लोग जो उस युग के किसी भाग के योग्य और मरे हुओं में से जी उठने के लिए ठहराये गये हैं, वे न तो ब्याह करेंगे और न ही ब्याह करके विदा किये जायेंगे।
36. और वे फिर कभी मरेंगे भी नहीं, क्योंकि वे स्वर्गदूतों के समान हैं, वे परमेश्वर की संतान हैं क्योंकि वे पुनरुत्थान के पुत्र हैं।
37. किन्तु मूसा तक ने झाड़ी से सम्बन्धित अनुच्छेद में दिखाया है कि मरे हुए जिलाए गये हैं, जबकि उसने कहा था प्रभु, ‘इब्राहीम का परमेश्वर है, इसहाक का परमेश्वर है और याकूब का परमेश्वर है।’ [*‘इब्राहीम … हैं’ देखें निर्गमन 3:6]
38. वह मरे हुओं का नहीं, बल्कि जीवितों का परमेश्वर है। वे सभी लोग जो उसके हैं जीवित हैं।” [PE][PS]
39. कुछ यहूदी धर्मशास्त्रियों ने कहा, “गुरु, अच्छा कहा।”
40. क्योंकि फिर उससे कोई और प्रश्न पूछने का साहस नहीं कर सका। क्या मसीह दाऊद का पुत्र या दाऊद का प्रभु है? (मत्ती 22:41-46; मरकुस 12:35-37) [PE][PS]
41. यीशु ने उनसे कहा, “वे कहते हैं कि मसीह दाऊद का पुत्र है। यह कैसे हो सकता है?
42. क्योंकि भजन संहिता की पुस्तक में दाऊद स्वयं कहता है, ‘प्रभु परमेश्वर ने मेरे प्रभु से कहा: [QBR] मेरे दाहिने हाथ बैठ, [QBR2]
43. जब तक कि मैं तेरे विरोधियों को तेरे पैर रखने की चौकी न बना दूँ।’ भजन संहिता 110:1
44. इस प्रकार जब दाऊद मसीह को ‘प्रभु’ कहता है तो मसीह दाऊद का पुत्र कैसे हो सकता है?” [PE][PS]
45. {यहूदी धर्मशास्त्रियों के विरोध में यीशु की चेतावनी} (मत्ती 23:1-36; मरकुस 12:38-40; लूका 11:37-54) [PS] सभी लोगों के सुनते उसने अपने अनुयायिओं से कहा,
46. “यहूदी धर्मशास्त्रियों से सावधान रहो। वे लम्बे चोगे पहन कर यहाँ-वहाँ घूमना चाहते हैं, हाट-बाजारों में वे आदर के साथ स्वागत-सत्कार पाना चाहते हैं। और यहूदी आराधनालयों में उन्हें सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण आसन की लालसा रहती है। दावतों में वे आदर-पूर्ण स्थान चाहते हैं।
47. वे विधवाओं के घर-बार लूट लेते हैं। दिखावे के लिये वे लम्बी-लम्बी प्रार्थनाएँ करते हैं। इन लोगों को कठिन से कठिन दण्ड भुगतना होगा।” [PE]

Notes

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लूका 20:15
1. {यीशु से यहूदियों का एक प्रश्न} (मत्ती 21:23-27; मरकुस 11:27-33) PS एक दिन जब यीशु मन्दिर में लोगों को उपदेश देते हुए सुसमाचार सुना रहा था तो प्रमुख याजक और यहूदी धर्मशास्त्री बुजुर्ग यहूदी नेताओं के साथ उसके पास आये।
2. उन्होंने उससे पूछा, “हमें बता तू यह काम किस अधिकार से कर रहा है? वह कौन है जिसने तुझे यह अधिकार दिया है?” PEPS
3. यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं भी तुमसे एक प्रश्न पूछता हूँ, तुम मुझे बताओ
4. यूहन्ना को बपतिस्मा देने का अधिकार स्वर्ग से मिला था या मनुष्य से?” PEPS
5. इस पर आपस में विचार विमर्श करते हुए उन्होंने कहा, “यदि हम कहते हैं, ‘स्वर्ग से’ तो यह कहेगा, ‘तो तुम ने उस पर विश्वास क्यों नहीं किया?’
6. और यदि हम कहें, ‘मनुष्य से’ तो सभी लोग हम पर पत्थर बरसायेंगे। क्योंकि वे यह मानते हैं कि यूहन्ना एक नबी था।”
7. सो उन्होंने उत्तर दिया कि वे नहीं जानते कि वह कहाँ से मिला। PEPS
8. फिर यीशु ने उनसे कहा, “तो मैं भी तुम्हें नहीं बताऊँगा कि यह कार्य मैं किस अधिकार से करता हूँ?” PEPS
9. {परमेश्वर अपने पुत्र को भेजता है} (मत्ती 21:33-46; मरकुस 12:1-12) PS फिर यीशु लोगों से यह दृष्टान्त कथा कहने लगा: “किसी व्यक्ति ने अंगूरों का एक बगीचा लगाकर उसे कुछ किसानों को किराये पर चढ़ा दिया और वह एक लम्बे समय के लिये कहीं चला गया।
10. जब फसल उतारने का समय आया, तो उसने एक सेवक को किसानों के पास भेजा ताकि वे उसे अंगूरों के बगीचे के कुछ फल दे दें। किन्तु किसानों ने उसे मार-पीट कर खाली हाथों लौटा दिया।
11. तो उसने एक दूसरा सेवक वहाँ भेजा। किन्तु उन्होंने उसकी भी पिटाई कर डाली। उन्होंने उसके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया और उसे भी खाली हाथों लौटा दिया।
12. इस पर उसने एक तीसरा सेवक भेजा किन्तु उन्होंने इसको भी घायल करके बाहर धकेल दिया। PEPS
13. “तब बगीचे का स्वामी कहने लगा, ‘मुझे क्या करना चाहिये? मैं अपने प्यारे बेटे को भेजूँगा।’
14. किन्तु किसानों ने जब उसके बेटे को देखा तो आपस में सोच विचार करते हूए वे बोले, ‘यह तो उत्तराधिकारी है, आओ हम इसे मार डालें ताकि उत्तराधिकार हमारा हो जाये।’
15. और उन्होंने उसे बगीचे से बाहर खदेड़ कर मार डाला। PEPS “तो फिर बगीचे का स्वामी उनके साथ क्या करेगा?
16. वह आयेगा और उन किसानों को मार डालेगा तथा अंगूरों का बगीचा औरों को सौंप देगा।” PEPS उन्होंने जब यह सुना तो वे बोले, “ऐसा कभी हो।”
17. तब यीशु ने उनकी ओर देखते हुए कहा, “तो फिर यह जो लिखा है उसका अर्थ क्या है: ‘जिस पत्थर को कारीगरों ने बेकार समझ लिया था वही कोने का प्रमुख पत्थर बन गया?’ भजन संहिता 118:22
18. हर कोई जो उस पत्थर पर गिरेगा टुकड़े-टुकड़े हो जायेगा और जिस पर वह गिरेगा चकना चूर हो जायेगा।” PEPS
19. उसी क्षण यहूदी धर्मशास्त्रि और प्रमुख याजक कोई रास्ता ढूँढकर उसे पकड़ लेना चाहते थे क्योंकि वे जान गये थे कि उसने यह दृष्टान्त कथा उनके विरोध में कही है। किन्तु वे लोगों से डरते थे। PEPS
20. {यहूदी नेताओं की चाल} (मत्ती 22:15-22; मरकुस 12:13-17) PS सो वे सावधानी से उस पर नज़र रखने लगे। उन्होंने ऐसे गुप्तचर भेजे जो ईमानदार होने का ढोंग रचते थे। (ताकि वे उसे उसकी कही किसी बात में फँसा कर राज्यपाल की शक्ति और अधिकार के अधीन कर दें।)
21. सो उन्होंने उससे पूछते हुए कहा, “गुरु, हम जानते हैं कि तू जो उचित है वही कहता है और उसी का उपदेश देता है और ही तू किसी का पक्ष लेता है। बल्कि तू तो सच्चाई से परमेश्वर के मार्ग की शिक्षा देता है।
22. सो बता कैसर को हमारा कर चुकाना उचित है या नहीं चुकाना?” PEPS
23. यीशु उनकी चाल को समझ गया था। सो उसने उनसे कहा,
24. “मुझे एक दीनार दिखाओ, इस पर मूरत और लिखावट किसके हैं?” PEPS उन्होंने कहा, “कैसर के।” PEPS
25. इस पर उसने उनसे कहा, “तो फिर जो कैसर का है, उसे कैसर को दो और जो परमेश्वर का है उसे परमेश्वर को दो।” PEPS
26. वे उसके उत्तर पर चकित हो कर चुप रह गये और उसने लोगों के सामने जो कुछ कहा था, उस पर उसे पकड़ नहीं पाये। PEPS
27. {यीशु को पकड़ने के लिये सदूकियों की चाल} (मत्ती 22:23-33; मरकुस 12:18-27) PS अब देखो कुछ सदूकी उसके पास आये। (ये सदूकी वे थे जो पुनरुत्थान को नहीं मानते।) उन्होंने उससे पूछते हुए कहा,
28. “गुरु, मूसा ने हमारे लिये लिखा है कि यदि किसी का भाई मर जाये और उसके कोई बच्चा हो और उसकी पत्नी हो तो उसका भाई उस विधवा से ब्याह करके अपने भाई के लिये, उससे संतान उत्पन्न करे।
29. अब देखो, सात भाई थे। पहले भाई ने किसी स्त्री से विवाह किया और वह बिना किसी संतान के ही मर गया।
30. फिर दूसरे भाई ने उसे ब्याहा,
31. और ऐसे ही तीसरे भाई ने। सब के साथ एक जैसा ही हुआ। वे बिना कोई संतान छोड़े मर गये।
32. बाद में वह स्त्री भी मर गयी।
33. अब बताओ, पुनरुत्थान होने पर वह किसकी पत्नी होगी क्योंकि उससे तो सातों ने ही ब्याह किया था?” PEPS
34. तब यीशु ने उनसे कहा, “इस युग के लोग ब्याह करते हैं और ब्याह करके विदा होते हैं।
35. किन्तु वे लोग जो उस युग के किसी भाग के योग्य और मरे हुओं में से जी उठने के लिए ठहराये गये हैं, वे तो ब्याह करेंगे और ही ब्याह करके विदा किये जायेंगे।
36. और वे फिर कभी मरेंगे भी नहीं, क्योंकि वे स्वर्गदूतों के समान हैं, वे परमेश्वर की संतान हैं क्योंकि वे पुनरुत्थान के पुत्र हैं।
37. किन्तु मूसा तक ने झाड़ी से सम्बन्धित अनुच्छेद में दिखाया है कि मरे हुए जिलाए गये हैं, जबकि उसने कहा था प्रभु, ‘इब्राहीम का परमेश्वर है, इसहाक का परमेश्वर है और याकूब का परमेश्वर है।’ *‘इब्राहीम हैं’ देखें निर्गमन 3:6
38. वह मरे हुओं का नहीं, बल्कि जीवितों का परमेश्वर है। वे सभी लोग जो उसके हैं जीवित हैं।” PEPS
39. कुछ यहूदी धर्मशास्त्रियों ने कहा, “गुरु, अच्छा कहा।”
40. क्योंकि फिर उससे कोई और प्रश्न पूछने का साहस नहीं कर सका। क्या मसीह दाऊद का पुत्र या दाऊद का प्रभु है? (मत्ती 22:41-46; मरकुस 12:35-37) PEPS
41. यीशु ने उनसे कहा, “वे कहते हैं कि मसीह दाऊद का पुत्र है। यह कैसे हो सकता है?
42. क्योंकि भजन संहिता की पुस्तक में दाऊद स्वयं कहता है, ‘प्रभु परमेश्वर ने मेरे प्रभु से कहा:
मेरे दाहिने हाथ बैठ,
43. जब तक कि मैं तेरे विरोधियों को तेरे पैर रखने की चौकी बना दूँ।’ भजन संहिता 110:1
44. इस प्रकार जब दाऊद मसीह को ‘प्रभु’ कहता है तो मसीह दाऊद का पुत्र कैसे हो सकता है?” PEPS
45. {यहूदी धर्मशास्त्रियों के विरोध में यीशु की चेतावनी} (मत्ती 23:1-36; मरकुस 12:38-40; लूका 11:37-54) PS सभी लोगों के सुनते उसने अपने अनुयायिओं से कहा,
46. “यहूदी धर्मशास्त्रियों से सावधान रहो। वे लम्बे चोगे पहन कर यहाँ-वहाँ घूमना चाहते हैं, हाट-बाजारों में वे आदर के साथ स्वागत-सत्कार पाना चाहते हैं। और यहूदी आराधनालयों में उन्हें सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण आसन की लालसा रहती है। दावतों में वे आदर-पूर्ण स्थान चाहते हैं।
47. वे विधवाओं के घर-बार लूट लेते हैं। दिखावे के लिये वे लम्बी-लम्बी प्रार्थनाएँ करते हैं। इन लोगों को कठिन से कठिन दण्ड भुगतना होगा।” PE
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