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2. [PS]परमेश्वर का संदेश। यह सन्देश यहोवा का है। इस सन्देश को मलाकी ने इस्राएल को दिया। [PE]{#1परमेश्वर इस्राएल से प्रेम करता है } [PS]यहोवा ने कहा, “लोगों, मैं तुमसे प्रेम करता हूँ।” [PE][PS]किन्तु तुमने कहा, “कैसे पता चले कि तू हमसे प्रेम करता है” [PE][PS]यहोवा ने कहा, “एसाव याकूब का भाई था। ठीक किन्तु मैंने याकूब को चुना।
3. और मैंने एसाव को स्वीकार नहीं किया। मैंने एसाव के पहाड़ी प्रदेश को नष्ट किया। एसाव का देश नष्ट किया गया और अब वहाँ केवल जंगली कुत्ते रहते हैं।” [PE]
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5. [PS]संभव है एदोम के लोग कहे, “हम नष्ट किये गये। किन्तु हम अपने नगरों को पुन: बनाएंगे।” [PE][PS]किन्तु सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “यदि वे उन नगरों को पुन: बनाते हैं तो मैं उन्हें पुन: नष्ट करुँगा!” इसलिए लोग एदोम को बुरा देश कहते हैं। लोग कहते हैं कि यहोवा उन लोगों से सदा के लिए घृणा करता है। [PE]
6. [PS]लोगों, तुमने यह सब देखा और कहा, “इस्राइल के बाहर भी यहोवा महान है।” [PE]{#1ये याजक परमेश्वर को सम्मान नहीं देते }
7. [PS]सर्वशक्तिमान यहोवा ने कहा, “बच्चे अपने पिता का सम्मान करते हैं। सेवक अपने स्वामियों का सम्मान करते हैं। मैं तुम्हारा पिता हूँ, अत: तुम मेरा सम्मान क्यों नहीं करते? मैं तुम्हारा स्वामी हूँ, अत: तुम मेरा सम्मान क्यों नहीं करते याजकों, तुम मेरे नाम का सम्मान नहीं करते।” [PE][PS]“किन्तु तुम कहते हो, ‘हमने क्या किया है, जो प्रकट करता है कि हम तेरे नाम का सम्मान नहीं करते?’ [PE][PS]यहोवा ने कहा, “तुम मेरी वेदी पर अशुद्ध रोटी लाते हो!” [PE][PS]“किन्तु तुम कहते हो, ‘वह रोटी अशुद्ध कैसे हैं?’ [PE][PS]यहोवा ने कहा, “तुम मेरी वेदी का सम्मान नहीं करते।
8. तुम अन्धे जानवर बलि के लिए लाते हो और यह गलत है।तुम बलि के लिए रोगी और विकलांग जानवर लाते हो। यह गलत हैं! तुम अपने शासक को उन रोगी जानवरों को भेंट देने का प्रयत्न करो। क्या वह उन जानवरों को भेंट के रुप में स्वीकार करेगा नहीं! वह उन जानवरों को स्वीकार नहीं करेगा!” सर्वशक्तिमान यहोवा यह सब कहता है! [PE]
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10. [PS]“याजकों, तुम्हें यहोवा से हमारे लिए अच्छा बने रहने की प्रार्थना करनी चाहिये। किन्तु वह तुम्हारी नहीं सुनेगा और यह सारा दोष तुम्हारा है।” सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कहा। [PE]
11. [PS]“निश्चय ही, तुम लोगों में से कोई याजक तो मंदिर के द्वारों को बन्द करता और आग ठीक —ठीक जलाता। सो मैं तुम लोगों से प्रसन्न नहीं हूँ। मैं तुम्हारी भेंट स्वीकार नहीं करुँगा।” सर्वशक्तिमान यहोवा यह सब कहता है। [PE]
12. [PS]“संसार में सर्वत्र लोग मेरे नाम का सम्मान करते हैं। संसार में सर्वत्र लोग मेरे लिये अच्छी भेंट लाते हैं। वे अच्छी सुगन्धि मेरी भेंट के रप में जलाते हैं। क्यों क्योंकि मेरा नाम उन सभी लोगों के लिये महत्वपूर्ण है।” सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कहा। [PE][PS]“किन्तु लोगों, तुम यह प्रकट करते हो कि तुम मेरे नाम का सम्मान नहीं करते।तुम कहते हो कि यहोवा की मेज (वेदी) पवित्र नहीं है
13. और तुम उस मेज से भोजन लेना पसन्द नहीं करते। तुम भोजन को सूंघते हो और उसे खाने से इन्कार करते हो। तुम कहते हो कि यह बुरा है। किन्तु यह सत्य नहीं है। तुम रोगी, विकलांग और चोट खाये जानवर मेरे लिये लाते हो। तुम रोगी जानवरों को मुझे बलि के रूप में भेंट करने का प्रयत्न करते हो। किन्तु मैं तुमसे उन रोगी जानवरों को स्वीकार नहीं करुँगा।” सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कहा।
14. “कुछ लोगों के पास अच्छे नर— जानवर हैं, जिसे वे बलि के रूप में दे सकते हैं। किन्तु वे उन अच्छे जानवरों को मुझे नहीं देते। कुछ लोग मेरे पास अच्छे जानवर लाते हैं।वे उन स्वस्थ जानवरों को मुझे देने की प्रतिज्ञा करते हैं। किन्तु वे गुप्त रूप से उन अच्छे जानवरों को बदल देते हैं और मुझे रोगी जानवर देते हैं। उन लोगों के साथ बुरा घटेगा! मैं महान राजा हूँ। तुम्हें मेरा सम्मान करना चाहिये! संसार में सर्वत्र लोग मेरा सम्मान करते हैं!” सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कहा! [PE]