2. वहाँ उनके सामने उसका रूप बदल गया। उसका मुख सूरज के समान दमक उठा और उसके वस्त्र ऐसे चमचमाने लगे जैसे प्रकाश।
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4. यह देखकर पतरस यीशु से बोला, “प्रभु, अच्छा है कि हम यहाँ हैं। यदि तू चाहे तो मैं यहाँ तीन मंडप बना दूँ-एक तेरे लिए, एक मुसा के लिए और एक एलिय्याह के लिए।”
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5. पतरस अभी बात कर ही रहा था कि एक चमकते हुए बादल ने आकर उन्हें ढक लिया और बादल से आकाशवाणी हुई कि “यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं बहुत प्रसन्न हूँ। इसकी सुनो!”
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9. जब वे पहाड़ से उतर रहे थे तो यीशु ने उन्हें आदेश दिया कि “जो कुछ तुमने देखा है, तब तक किसी को मत बताना जब तक मनुष्य के पुत्र को मरे हुओं में से फिर जिला न दिया जाय।”
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10. फिर उसके शिष्यों ने उससे पूछा, यहूदी धर्मशास्त्री फिर क्यों कहते हैं, एलिय्याह का पहले आना निश्चित है?”
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12. किन्तु मैं तुमसे कहता हूँ कि एलिय्याह तो अब तक आ चुका है। पर लोगों ने उसे पहचाना नहीं। और उसके साथ जैसा चाहा वैसा किया। उनके द्वारा मनुष्य के पुत्र को भी वैसे ही सताया जाने वाला है।”
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15. “हे प्रभु, मेरे बेटे पर दया कर। उसे मिर्गी आती है। वह बहुत तड़पता है। वह आग में या पानी में अक्सर गिरता पड़ता रहता है।
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17. उत्तर में यीशु ने कहा, “अरे भटके हुए अविश्वासी लोगों! मैं कितने समय तुम्हारे साथ और रहूँगा? कितने समय मैं यूँ ही तुम्हारी साथ रहूँगा? उसे यहाँ मेरे पास लाओ।”
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18. फिर यीशु ने दुष्टात्मा को आदेश दिया और वह उसमें से बाहर निकाल आयी। और वह लड़का तत्काल अच्छा हो गया।
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19. फिर उसके शिष्यों ने अकेले में यीशु के पास जाकर पूछा, “हम इस दुष्टात्मा को बाहर क्यों नहीं निकाल पाये?”
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20. यीशु ने उन्हें बताया, “क्योंकि तुममें विश्वास की कमी है। मैं तुमसे सत्य कहता हूँ, यदि तुममें राई के बीज जितना भी विश्वास हो तो तुम इस पहाड़ से कह सकते हो ‘यहाँ से हट कर वहाँ चला जा’ और वह चला जायेगा। तुम्हारे लिये असम्भव कुछ भी नहीं होगा।”
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22. जब यीशु के शिष्य आए और उसके साथ गलील में मिले तो यीशु ने उनसे कहा, “मनुष्य का पुत्र, मनुष्यों के द्वारा ही पकड़वाया जाने वाला है
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24. जब यीशु और उसके शिष्य कफ़रनहूम में आये तो मंदिर का कर वसूल करने वाले पतरस के पास आये और बोले, “क्या तेरा गुरु मंदिर का दो दरहम कर नहीं देता?”
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25. पतरस ने उत्तर दिया, “हाँ, वह देता है।” और घर में चला आया। पतरस से बोलने के पहले ही यीशु बोल पड़ा, उसने कहा, “शमौन, तेरा क्या विचार है? धरती के राजा किससे चूंगी और कर लेते हैं? स्वयं अपने बच्चों से या दूसरों के बच्चों से?”
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26. पतरस ने उत्तर दिया, “दूसरे के बच्चों से।” तब यीशु ने उससे कहा, “यानी उसके बच्चों को छूट रहती है।
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27. पर हम उन लोगों को नाराज़ न करें इसलिये झील पर जा और अपना काँटा फेंक और फिर जो पहली मछली पकड़ में आये उसके मुँह खोलना तुझे चार दरम का सिक्का मिलेगा। उसे लेकर मेरे और अपने लिए उन्हें दे देना।”
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