पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
नहेमायाह
1. {#1इस्राएल के लोगों द्वारा अपने पापों का अंगीकार } [PS]फिर उसी महीने की चौबीसवीं तारीख को एक दिन के उपवास के लिये इस्राएल के लोग परस्पर एकत्र हुए। उन्होंने यह दिखने के लिये कि वे दु:खी और बेचैन हैं, उन्होंने शोक वस्त्र धारण किये, अपने अपने सिरों पर राख डाली।
2. वे लोग जो सच्चे इस्राएली थे, उन्होंने बाहर के लोगों से अपने आपको अलग कर दिया। इस्राएली लोगों ने मन्दिर में खड़े होकर अपने और अपने पूर्वजों के पापों को स्वीकार किया।
3. वे लोग वहाँ लगभग तीन घण्टे खड़े रहे और उन्होंने अपने यहोवा परमेश्वर की [BKS]व्यवस्था के विधान की पुस्तक[BKE] का पाठ किया और फिर तीन घण्टे और अपने यहोवा परमेश्वर की उपासना करते हुए उन्होंने स्वयं को नीचे झुका लिया तथा अपने पापों को स्वीकार किया। [PE]
4. [PS]फिर लेवीवंशी येशू, बानी, कदमीएल, शबन्याह, बुन्नी, शेरेब्याह, बानी और कनानी सीढ़ियों पर खड़े हो गये और उन्होंने अपने परमेश्वर यहोवा को ऊँचे स्वर में पुकारा।
5. इसके बाद लेवीवंशी येशू, कदमीएल, बानी, हशबन्याह, शेरेब्याह, होदियाह, शबन्याह और पतहयाह ने फिर कहा। वे बोले: “खड़े हो जाओ और अपने यहोवा परमेश्वर की स्तुति करो! [PE][PBR] [QS]“परमेश्वर सदा से जीवित था! और सदा ही जीवित रहेगा! [QE][QS]लोगों को चाहिये कि स्तुति करें तेरे महिमावान नाम की! [QE][QS2]सभी आशीषों से और सारे गुण—गानों से नाम ऊपर उठे तेरा! [QE]
6. [QS]तू तो परमेश्वर है! यहोवा, [QE][QS2]बस तू ही परमेश्वर है! [QE][QS]आकाश को तूने बनाया है! सर्वोच्च आकाशों की रचना की तूने, [QE][QS2]और जो कुछ है उनमें सब तेरा बनाया है! [QE][QS]धरती की रचना की तूने ही, [QE][QS2]और जो कुछ धरती पर है! [QE][QS]सागर को, [QE][QS2]और जो कुछ है सागर में! [QE][QS]तूने बनाया है हर किसी वस्तु को जीवन तू देता है! [QE][QS2]सितारे सारे आकाश के, झुकते हैं सामने तेरे और उपासना करते हैं तेरी! [QE]
7. [QS]यहोवा परमेश्वर तू ही है, [QE][QS2]अब्राम को तूने चुना था। [QE][QS]राह उसको तूने दिखाई थी, बाबेल के उर से निकल जाने की तूने ही बदला था। [QE][QS2]उसका नाम और उसे दिया नाम इब्राहीम का। [QE]
8. [QS]तूने यह देखा था कि वह सच्चा और निष्ठावान था तेरे प्रति। [QE][QS2]कर लिया तूने साथ उसके वाचा एक [QE][QS]उसे देने को धरती [QE][QS2]कनान की वचन दिया तूने धरती, जो हुआ करती थी हित्तियों की और एमोरीयों की। [QE][QS2]धरती, जो हुआ करती थी परिज्जियों, यबूसियों और गिर्गाशियों की! [QE][QS]किन्तु वचन दिया तूने उस धरती को देने का इब्राहीम की संतानों को [QE][QS2]और अपना वचन वह पूरा किया तूने क्यों क्योंकि तू उत्तम है। [QE]
9. [QS]यहोवा देखा था तड़पते हुए तूने हमारे पूर्वजों को मिस्र में। [QE][QS2]पुकारते सहायता को लाल सागर के तट पर तूने उनको सुना था! [QE]
10. [QS]फ़िरौन को तूने दिखाये थे चमत्कार। [QE][QS2]तूने हाकिमों को उसके और उसके लोगों को दिखाये थे अद्भुत कर्म। [QE][QS]तुझको यह ज्ञान था कि सोचा करते थे [QE][QS2]मिस्री कि वे उत्तम हैं हमारे पूर्वजों से। [QE][QS]किन्तु प्रमाणित कर दिया तूने कि तू कितना महान है! [QE][QS2]और है उसकी याद बनी हुई उनको आज तक भी! [QE]
11. [QS]सामने उनके लाल सागर को विभक्त किया था तूने, [QE][QS2]और वे पार हो गये थे सूखी धरती पर चलते हुए! [QE][QS]मिस्र के सैनिक पीछा कर रहे थे उनका। किन्तु डुबा दिया तूने था शत्रु को सागर में। [QE][QS2]और वे डूब गये सागर में जैसे डूब जाता है पानी में पत्थर। [QE]
12. [QS]मीनार जैसे बादल से दिन में उन्हें राह तूने दिखाई [QE][QS2]और अग्नि के खंभे का प्रयोग कर रात में उनको तूने दिखाई राह। [QE][QS]मार्ग को तूने उनके इस प्रकार कर दिया ज्योर्तिमय [QE][QS2]और दिखा दिया उनको कि कहाँ उन्हें जाना है। [QE]
13. [QS]फिर तू उतरा सीनै पहाड़ पर और आकाश से [QE][QS2]तूने था उनको सम्बोधित किया। [QE][QS]उत्तम विधान दे दिया तूने [QE][QS2]उन्हें सच्ची शिक्षा को था तूने दिया उनको। [QE][QS]व्यवस्था का विधान उन्हें तूने दिया और तूने दिया आदेश उनको बहुत उत्तम! [QE]
14. [QS]तूने बताया उन्हें सब्त यानी अपने विश्राम के विशेष दिन के विषय में। [QE][QS2]तूने अपने सेवक मूसा के द्वारा उनको आदेश दिये। [QE][QS2]व्यवस्था का विधान दिया और दी शिक्षाएँ। [QE]
15. [QS]जब उनको भूख लगी, [QE][QS2]बरसा दिया भोजन था तूने आकाश से। [QE][QS]जब उन्हें प्यास लगी, [QE][QS2]चट्टान से प्रकट किया तूने था जल को [QE][QS]और कहा तूने था उनसे ‘आओ, ले लो इस प्रदेश को।’ [QE][QS2]तूने वचन दिया उन को उठाकर हाथ यह प्रदेश देने का उनको! [QE]
16. [QS]किन्तु वे पूर्वज हमारे, हो गये अभिमानी: वे हो गये हठी थे। [QE][QS2]कर दिया उन्होंने मना आज्ञाएँ मानने से तेरी। [QE]
17. [QS]कर दिया उन्होंने मना सुनने से। [QE][QS2]वे भूले उन अचरज भरी बातों को जो तूने उनके साथ की थी। [QE][QS]वे हो गये जिद्दी! विद्रोह उन्होंने किया, और बना लिया अपना एक नेता जो उन्हें लौटा कर ले जाये। [QE][QS2]फिर उनकी उसी दासता में किन्तु तू तो है दयावान परमेश्वर! [QE][QS]तू है दयालु और करुणापूर्ण तू है। [QE][QS2]धैर्यवान है तू [QE][QS2]और प्रेम से भरा है तू! [QE][QS]इसलिये तूने था त्यागा नहीं उनको। [QE]
18. [QS]चाहे उन्होंने बना लिया सोने का बछड़ा और कहा, [QE][QS2]‘बछड़ा अब देव है तुम्हारा’ इसी ने निकाला था तुम्हें मिस्र से बाहर किन्तु उन्हें तूने त्यागा नहीं!’ [QE]
19. [QS]तू बहुत ही दयलु है! [QE][QS2]इसलिये तूने उन्हें मरुस्थल में त्याग नहीं। [QE][QS]दूर उनसे हटाया नहीं दिन में [QE][QS2]तूने बादल के खम्भें को मार्ग [QE][QS]तू दिखाता रहा उनको। [QE][QS]और रात में तूने था दूर किया नहीं [QE][QS2]उनसे अग्नि के पुंज को! [QE][QS]प्रकाशित तू करता रहा रास्ते को उनके। [QE][QS2]और तू दिखाता रहा कहाँ उन्हें जाना है! [QE]
20. [QS]निज उत्तम चेतना, तूने दी उनको ताकि तू विवेकी बनाये उन्हें। [QE][QS2]खाने को देता रहा, तू उनको मन्ना [QE][QS2]और प्यास को उनकी तू देता रहा पानी! [QE]
21. [QS]तूने रखा उनका ध्यान चालीस वरसों तक मरुस्थल में। [QE][QS2]उन्हें मिली हर वस्तु जिसकी उनको दरकार थी। [QE][QS]वस्त्र उनके फटे तक नहीं पैरों में [QE][QS2]उनके कभी नहीं आई सूजन कभी किसी पीड़ा में। [QE]
22. [QS]यहोवा तूने दिये उनको राज्य, और उनको दी जातियाँ [QE][QS2]और दूर—सुदूर के स्थान थे उनको दिये जहाँ बसते थे [QE][QS]कुछ ही लोग धरती उन्हें मिल गयी सीहोन की सीहोन जो हशबोन का राजा था [QE][QS2]धरती उन्हें मिल गयी ओग की ओग जो बाशान का राजा था। [QE]
23. [QS]वंशज दिये तूने अनन्त उन्हें जितने अम्बर में तारे हैं। [QE][QS2]ले आया उनको तू उस धरती पर। [QE][QS]जिसके लिये उन के पूर्वजों को [QE][QS2]तूने आदेश दिया था कि वे वहाँ जाएँ [QE][QS2]और अधिकार करें उस पर। [QE]
24. [QS]धरती वह उन वंशजों ने ले ली। [QE][QS]वहाँ रह रहे कनानियों को उन्होंने हरा दिया। [QE][QS2]पराजित कराया तूने उनसे उन लोगों को। [QE][QS]साथ उन प्रदेशों के और उन लोगों के वे जैसा चाहे [QE][QS2]वैसा करें ऐसा था तूने करा दिया। [QE]
25. [QS]शक्तिशाली नगरों को उन्होंने हरा दिया। [QE][QS2]कब्जा किया उपजाँऊ धरती पर उन्होंने। [QE][QS]उत्तम वस्तुओं से भरे हुए ले लिए उन्होंने घर; [QE][QS2]खुदे हुए कुँओं को ले लिया उन्होंने। [QE][QS]ले लिए उन्होंने थे बगीचे अँगूर के। [QE][QS2]जैतून के पेड़ और फलों के पेड़ भर पेट खाया वे करते थे सो वे हो गये मोटे। [QE][QS]तेरी दी सभी अद्भुत वस्तुओं का आनन्द वे लेते थे। [QE]
26. [QS]और फिर उन्होंने मुँह फेर लिया तुझसे था। [QE][QS2]तेरी शिक्षओं को उन्होंने फेंक दिया [QE][QS2]दूर तेरे नबियों को मार डाला उन्होंने था। [QE][QS]ऐसे नबियों को जो सचेत करते थे लोगों को। [QE][QS2]जो जतन करते लोगों को मोड़ने का तेरी ओर। [QE][QS2]किन्तु हमारे पूर्वजों ने भयानक कार्य किये तेरे साथ। [QE]
27. [QS]सो तूने उन्हें पड़ने दिया उनके शत्रुओं के हाथों में। [QE][QS2]शत्रु ने बहुतेरे कष्ट दिये उनको [QE][QS]जब उन पर विपदा पड़ी हमारे पूर्वजों ने थी दुहाई दी तेरी। [QE][QS2]और स्वर्ग में तूने था सुन लिया उनको। [QE][QS]तू बहुत ही दयालु है भेज दिया [QE][QS2]तूने था लोगों को उनकी रक्षा के लिये। [QE][QS2]और उन लोगों ने छुड़ा कर बचा लिया उनको शत्रुओं से उनके। [QE]
28. [QS]किन्तु, जैसे ही चैन उन्हें मिलता था, [QE][QS2]वैसे ही वे बुरे काम करने लग जाते बार बार। [QE][QS]सो शत्रुओं के हाथों उन्हें सौंप दिया तूने ताकि वे करें उन पर राज। [QE][QS]फिर तेरी दुहाई उन्होंने दी [QE][QS2]और स्वर्ग में तूने सुनी उनकी और सहायता उनकी की। [QE][QS]तू कितना दयालु है! [QE][QS2]होता रहा ऐसा ही अनेकों बार! [QE]
29. [QS]तूने चेताया उन्हें। [QE][QS]फिर से लौट आने को तेरे विधान में [QE][QS2]किन्तु वे थे बहुत अभिमानी। [QE][QS2]उन्होंने नकार दिया तेरे आदेश को। [QE][QS]यदि चलता है कोई व्यक्ति नियमों पर [QE][QS2]तेरे तो सचमुच जीएगा [QE][QS]वह किन्तु हमारे पूर्वजों ने तो तोड़ा था तेरे नियमों को। [QE][QS]वे थे हठीले! [QE][QS2]मुख फेर, पीठ दी थी उन्होंने तुझे! [QE][QS2]तेरी सुनने से ही उन्होंने था मना किया। [QE][PBR]
30. [QS]“तू था बहुत सहनशील, साथ हमारे पूर्वजों के, [QE][QS2]तूने उन्हें करने दिया बर्ताव बुरा अपने साथ बरसों तक। [QE][QS]सजग किया तूने उन्हें अपनी आत्मा से। [QE][QS2]उनको देने चेतावनी भेजा था नबियों को तूने। [QE][QS]किन्तु हमारे पूर्वजों ने तो उनकी सुनी ही नहीं। [QE][QS2]इसलिए तूने था दूसरे देशों के लोगों को सौंप दिया उनको। [QE][PBR]
31. [QS]“किन्तु तू कितना दयालु है! [QE][QS2]तूने किया था नहीं पूरी तरह नष्ट उन्हें। [QE][QS]तूने तजा नहीं उनको था। हे परमेश्वर! [QE][QS2]तू ऐसा दयालु और करुणापूर्ण ऐसा है! [QE]
32. [QS]परमेश्वर हमारा है, महान परमेश्वर! [QE][QS2]तू एक वीर है ऐसा जिससे भय लगता है [QE][QS]और शक्तिशाली है जो निर्भर करने योग्य तू है। [QE][QS2]पालता है तू निज वचन को! [QE][QS]यातनाएँ बहुत तेरी भोग हम चुके हैं। [QE][QS2]और दु:ख हमारे हैं, महत्त्वपूर्ण तेरे लिये। [QE][QS]साथ में हमारे राजाओं के और मुखियाओं के घटी थीं बातें बुरी। [QE][QS2]याजकों के साथ में हमारे [QE][QS2]और साथ में नबियों के और हमारे सभी लोगों के साथ घटी थीं बातें बुरी। [QE][QS]अश्शूर के राजा से लेकर आज तक [QE][QS2]वे घटी थीं बातें भयानक! [QE]
33. [QS]किन्तु हे परमेश्वर! जो कुछ भी घटना है [QE][QS2]साथ हमारे घटी उसके प्रति न्यायपूर्ण तू रहा। [QE][QS]तू तो अच्छा ही रहा, [QE][QS2]बुरे तो हम रहे। [QE]
34. [QS]हमारे राजाओं ने मुखियाओं, याजकों ने और पूर्वजों ने नहीं पाला तेरी शिक्षाओं को! [QE][QS2]उन्होंने नहीं दिया कान तेरे आदेशों। [QE][QS2]तेरी चेतावनियाँ उन्होंने सुनी ही नहीं। [QE]
35. [QS]यहाँ तक कि जब पूर्वज हमारे अपने राज्य में रहते थे, उन्होंने नहीं सेवा की तेरी! [QE][QS2]छोड़ा उन्होंने नहीं बुरे कर्मो का करना। [QE][QS2]जो कुछ भी उत्तम वस्तु उनको तूने दी थी, उनका रस वे रहे लेते। [QE][QS]आनन्द उस धरती का लेते रहे जो थी सम्पन्न बहुत। और स्थान बहुत सा था उनके पास! [QE][QS2]किन्तु उन्होंने नहीं छोड़ी निज बुरी राह। [QE]
36. [QS]और अब हम बने दास हैं: [QE][QS]हम दास है उस धरती पर, [QE][QS2]जिसको दिया तूने था हमारे पूर्वजों को। [QE][QS2]तूने यह धरती थी उनको दी, कि भोगे वे उसका फल [QE][QS2]और आनन्द लें उन सभी चीज़ों का जो यहाँ उगती हैं। [QE]
37. [QS]इस धरती की फसल है भरपूर [QE][QS2]किन्तु पाप किये हमने सो हमारी उपज जाती है पास उन राजाओं के जिनको तूने बिठाया है सिर पर हमारे। [QE][QS]हम पर और पशुओं पर हमारे वे राजा राज करते हैं वे चाहते हैं [QE][QS2]जैसा भी वैसा ही करते हैं। [QE][QS2]हम हैं बहुत कष्ट में। [QE][PBR]
38. [QS]“सो सोचकर इन सभी बातों के बारे में [QE][QS2]हम करते हैं वाचा एक: जो न बदला जायेगा कभी भी। [QE][QS2]और इस वाचा की लिखतम हम लिखते हैं और इस वाचा पर अंकित करते हैं [QE][QS]अपना नाम हाकिम हमारे, लेवी के वंशज और वे करते हैं [QE][QS2]हस्ताक्षर लगा कर के उस पर मुहर।” [QE][PBR]

Notes

No Verse Added

Total 13 अध्याय, Selected अध्याय 9 / 13
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13
नहेमायाह 9:41
#1इस्राएल के लोगों द्वारा अपने पापों का अंगीकार 1 फिर उसी महीने की चौबीसवीं तारीख को एक दिन के उपवास के लिये इस्राएल के लोग परस्पर एकत्र हुए। उन्होंने यह दिखने के लिये कि वे दु:खी और बेचैन हैं, उन्होंने शोक वस्त्र धारण किये, अपने अपने सिरों पर राख डाली। 2 वे लोग जो सच्चे इस्राएली थे, उन्होंने बाहर के लोगों से अपने आपको अलग कर दिया। इस्राएली लोगों ने मन्दिर में खड़े होकर अपने और अपने पूर्वजों के पापों को स्वीकार किया। 3 वे लोग वहाँ लगभग तीन घण्टे खड़े रहे और उन्होंने अपने यहोवा परमेश्वर की [BKS]व्यवस्था के विधान की पुस्तक[BKE] का पाठ किया और फिर तीन घण्टे और अपने यहोवा परमेश्वर की उपासना करते हुए उन्होंने स्वयं को नीचे झुका लिया तथा अपने पापों को स्वीकार किया। 4 फिर लेवीवंशी येशू, बानी, कदमीएल, शबन्याह, बुन्नी, शेरेब्याह, बानी और कनानी सीढ़ियों पर खड़े हो गये और उन्होंने अपने परमेश्वर यहोवा को ऊँचे स्वर में पुकारा। 5 इसके बाद लेवीवंशी येशू, कदमीएल, बानी, हशबन्याह, शेरेब्याह, होदियाह, शबन्याह और पतहयाह ने फिर कहा। वे बोले: “खड़े हो जाओ और अपने यहोवा परमेश्वर की स्तुति करो! PBR “परमेश्वर सदा से जीवित था! और सदा ही जीवित रहेगा! लोगों को चाहिये कि स्तुति करें तेरे महिमावान नाम की! QS2 सभी आशीषों से और सारे गुण—गानों से नाम ऊपर उठे तेरा! 6 तू तो परमेश्वर है! यहोवा, QS2 बस तू ही परमेश्वर है! आकाश को तूने बनाया है! सर्वोच्च आकाशों की रचना की तूने, QS2 और जो कुछ है उनमें सब तेरा बनाया है! धरती की रचना की तूने ही, QS2 और जो कुछ धरती पर है! सागर को, QS2 और जो कुछ है सागर में! तूने बनाया है हर किसी वस्तु को जीवन तू देता है! QS2 सितारे सारे आकाश के, झुकते हैं सामने तेरे और उपासना करते हैं तेरी! 7 यहोवा परमेश्वर तू ही है, QS2 अब्राम को तूने चुना था। राह उसको तूने दिखाई थी, बाबेल के उर से निकल जाने की तूने ही बदला था। QS2 उसका नाम और उसे दिया नाम इब्राहीम का। 8 तूने यह देखा था कि वह सच्चा और निष्ठावान था तेरे प्रति। QS2 कर लिया तूने साथ उसके वाचा एक उसे देने को धरती QS2 कनान की वचन दिया तूने धरती, जो हुआ करती थी हित्तियों की और एमोरीयों की। QS2 धरती, जो हुआ करती थी परिज्जियों, यबूसियों और गिर्गाशियों की! किन्तु वचन दिया तूने उस धरती को देने का इब्राहीम की संतानों को QS2 और अपना वचन वह पूरा किया तूने क्यों क्योंकि तू उत्तम है। 9 यहोवा देखा था तड़पते हुए तूने हमारे पूर्वजों को मिस्र में। QS2 पुकारते सहायता को लाल सागर के तट पर तूने उनको सुना था! 10 फ़िरौन को तूने दिखाये थे चमत्कार। QS2 तूने हाकिमों को उसके और उसके लोगों को दिखाये थे अद्भुत कर्म। तुझको यह ज्ञान था कि सोचा करते थे QS2 मिस्री कि वे उत्तम हैं हमारे पूर्वजों से। किन्तु प्रमाणित कर दिया तूने कि तू कितना महान है! QS2 और है उसकी याद बनी हुई उनको आज तक भी! 11 सामने उनके लाल सागर को विभक्त किया था तूने, QS2 और वे पार हो गये थे सूखी धरती पर चलते हुए! मिस्र के सैनिक पीछा कर रहे थे उनका। किन्तु डुबा दिया तूने था शत्रु को सागर में। QS2 और वे डूब गये सागर में जैसे डूब जाता है पानी में पत्थर। 12 मीनार जैसे बादल से दिन में उन्हें राह तूने दिखाई QS2 और अग्नि के खंभे का प्रयोग कर रात में उनको तूने दिखाई राह। मार्ग को तूने उनके इस प्रकार कर दिया ज्योर्तिमय QS2 और दिखा दिया उनको कि कहाँ उन्हें जाना है। 13 फिर तू उतरा सीनै पहाड़ पर और आकाश से QS2 तूने था उनको सम्बोधित किया। उत्तम विधान दे दिया तूने QS2 उन्हें सच्ची शिक्षा को था तूने दिया उनको। व्यवस्था का विधान उन्हें तूने दिया और तूने दिया आदेश उनको बहुत उत्तम! 14 तूने बताया उन्हें सब्त यानी अपने विश्राम के विशेष दिन के विषय में। QS2 तूने अपने सेवक मूसा के द्वारा उनको आदेश दिये। QS2 व्यवस्था का विधान दिया और दी शिक्षाएँ। 15 जब उनको भूख लगी, QS2 बरसा दिया भोजन था तूने आकाश से। जब उन्हें प्यास लगी, QS2 चट्टान से प्रकट किया तूने था जल को और कहा तूने था उनसे ‘आओ, ले लो इस प्रदेश को।’ QS2 तूने वचन दिया उन को उठाकर हाथ यह प्रदेश देने का उनको! 16 किन्तु वे पूर्वज हमारे, हो गये अभिमानी: वे हो गये हठी थे। QS2 कर दिया उन्होंने मना आज्ञाएँ मानने से तेरी। 17 कर दिया उन्होंने मना सुनने से। QS2 वे भूले उन अचरज भरी बातों को जो तूने उनके साथ की थी। वे हो गये जिद्दी! विद्रोह उन्होंने किया, और बना लिया अपना एक नेता जो उन्हें लौटा कर ले जाये। QS2 फिर उनकी उसी दासता में किन्तु तू तो है दयावान परमेश्वर! तू है दयालु और करुणापूर्ण तू है। QS2 धैर्यवान है तू QS2 और प्रेम से भरा है तू! इसलिये तूने था त्यागा नहीं उनको। 18 चाहे उन्होंने बना लिया सोने का बछड़ा और कहा, QS2 ‘बछड़ा अब देव है तुम्हारा’ इसी ने निकाला था तुम्हें मिस्र से बाहर किन्तु उन्हें तूने त्यागा नहीं!’ 19 तू बहुत ही दयलु है! QS2 इसलिये तूने उन्हें मरुस्थल में त्याग नहीं। दूर उनसे हटाया नहीं दिन में QS2 तूने बादल के खम्भें को मार्ग तू दिखाता रहा उनको। और रात में तूने था दूर किया नहीं QS2 उनसे अग्नि के पुंज को! प्रकाशित तू करता रहा रास्ते को उनके। QS2 और तू दिखाता रहा कहाँ उन्हें जाना है! 20 निज उत्तम चेतना, तूने दी उनको ताकि तू विवेकी बनाये उन्हें। QS2 खाने को देता रहा, तू उनको मन्ना QS2 और प्यास को उनकी तू देता रहा पानी! 21 तूने रखा उनका ध्यान चालीस वरसों तक मरुस्थल में। QS2 उन्हें मिली हर वस्तु जिसकी उनको दरकार थी। वस्त्र उनके फटे तक नहीं पैरों में QS2 उनके कभी नहीं आई सूजन कभी किसी पीड़ा में। 22 यहोवा तूने दिये उनको राज्य, और उनको दी जातियाँ QS2 और दूर—सुदूर के स्थान थे उनको दिये जहाँ बसते थे कुछ ही लोग धरती उन्हें मिल गयी सीहोन की सीहोन जो हशबोन का राजा था QS2 धरती उन्हें मिल गयी ओग की ओग जो बाशान का राजा था। 23 वंशज दिये तूने अनन्त उन्हें जितने अम्बर में तारे हैं। QS2 ले आया उनको तू उस धरती पर। जिसके लिये उन के पूर्वजों को QS2 तूने आदेश दिया था कि वे वहाँ जाएँ QS2 और अधिकार करें उस पर। 24 धरती वह उन वंशजों ने ले ली। वहाँ रह रहे कनानियों को उन्होंने हरा दिया। QS2 पराजित कराया तूने उनसे उन लोगों को। साथ उन प्रदेशों के और उन लोगों के वे जैसा चाहे QS2 वैसा करें ऐसा था तूने करा दिया। 25 शक्तिशाली नगरों को उन्होंने हरा दिया। QS2 कब्जा किया उपजाँऊ धरती पर उन्होंने। उत्तम वस्तुओं से भरे हुए ले लिए उन्होंने घर; QS2 खुदे हुए कुँओं को ले लिया उन्होंने। ले लिए उन्होंने थे बगीचे अँगूर के। QS2 जैतून के पेड़ और फलों के पेड़ भर पेट खाया वे करते थे सो वे हो गये मोटे। तेरी दी सभी अद्भुत वस्तुओं का आनन्द वे लेते थे। 26 और फिर उन्होंने मुँह फेर लिया तुझसे था। QS2 तेरी शिक्षओं को उन्होंने फेंक दिया QS2 दूर तेरे नबियों को मार डाला उन्होंने था। ऐसे नबियों को जो सचेत करते थे लोगों को। QS2 जो जतन करते लोगों को मोड़ने का तेरी ओर। QS2 किन्तु हमारे पूर्वजों ने भयानक कार्य किये तेरे साथ। 27 सो तूने उन्हें पड़ने दिया उनके शत्रुओं के हाथों में। QS2 शत्रु ने बहुतेरे कष्ट दिये उनको जब उन पर विपदा पड़ी हमारे पूर्वजों ने थी दुहाई दी तेरी। QS2 और स्वर्ग में तूने था सुन लिया उनको। तू बहुत ही दयालु है भेज दिया QS2 तूने था लोगों को उनकी रक्षा के लिये। QS2 और उन लोगों ने छुड़ा कर बचा लिया उनको शत्रुओं से उनके। 28 किन्तु, जैसे ही चैन उन्हें मिलता था, QS2 वैसे ही वे बुरे काम करने लग जाते बार बार। सो शत्रुओं के हाथों उन्हें सौंप दिया तूने ताकि वे करें उन पर राज। फिर तेरी दुहाई उन्होंने दी QS2 और स्वर्ग में तूने सुनी उनकी और सहायता उनकी की। तू कितना दयालु है! QS2 होता रहा ऐसा ही अनेकों बार! 29 तूने चेताया उन्हें। फिर से लौट आने को तेरे विधान में QS2 किन्तु वे थे बहुत अभिमानी। QS2 उन्होंने नकार दिया तेरे आदेश को। यदि चलता है कोई व्यक्ति नियमों पर QS2 तेरे तो सचमुच जीएगा वह किन्तु हमारे पूर्वजों ने तो तोड़ा था तेरे नियमों को। वे थे हठीले! QS2 मुख फेर, पीठ दी थी उन्होंने तुझे! QS2 तेरी सुनने से ही उन्होंने था मना किया। PBR 30 “तू था बहुत सहनशील, साथ हमारे पूर्वजों के, QS2 तूने उन्हें करने दिया बर्ताव बुरा अपने साथ बरसों तक। सजग किया तूने उन्हें अपनी आत्मा से। QS2 उनको देने चेतावनी भेजा था नबियों को तूने। किन्तु हमारे पूर्वजों ने तो उनकी सुनी ही नहीं। QS2 इसलिए तूने था दूसरे देशों के लोगों को सौंप दिया उनको। PBR 31 “किन्तु तू कितना दयालु है! QS2 तूने किया था नहीं पूरी तरह नष्ट उन्हें। तूने तजा नहीं उनको था। हे परमेश्वर! QS2 तू ऐसा दयालु और करुणापूर्ण ऐसा है! 32 परमेश्वर हमारा है, महान परमेश्वर! QS2 तू एक वीर है ऐसा जिससे भय लगता है और शक्तिशाली है जो निर्भर करने योग्य तू है। QS2 पालता है तू निज वचन को! यातनाएँ बहुत तेरी भोग हम चुके हैं। QS2 और दु:ख हमारे हैं, महत्त्वपूर्ण तेरे लिये। साथ में हमारे राजाओं के और मुखियाओं के घटी थीं बातें बुरी। QS2 याजकों के साथ में हमारे QS2 और साथ में नबियों के और हमारे सभी लोगों के साथ घटी थीं बातें बुरी। अश्शूर के राजा से लेकर आज तक QS2 वे घटी थीं बातें भयानक! 33 किन्तु हे परमेश्वर! जो कुछ भी घटना है QS2 साथ हमारे घटी उसके प्रति न्यायपूर्ण तू रहा। तू तो अच्छा ही रहा, QS2 बुरे तो हम रहे। 34 हमारे राजाओं ने मुखियाओं, याजकों ने और पूर्वजों ने नहीं पाला तेरी शिक्षाओं को! QS2 उन्होंने नहीं दिया कान तेरे आदेशों। QS2 तेरी चेतावनियाँ उन्होंने सुनी ही नहीं। 35 यहाँ तक कि जब पूर्वज हमारे अपने राज्य में रहते थे, उन्होंने नहीं सेवा की तेरी! QS2 छोड़ा उन्होंने नहीं बुरे कर्मो का करना। QS2 जो कुछ भी उत्तम वस्तु उनको तूने दी थी, उनका रस वे रहे लेते। आनन्द उस धरती का लेते रहे जो थी सम्पन्न बहुत। और स्थान बहुत सा था उनके पास! QS2 किन्तु उन्होंने नहीं छोड़ी निज बुरी राह। 36 और अब हम बने दास हैं: हम दास है उस धरती पर, QS2 जिसको दिया तूने था हमारे पूर्वजों को। QS2 तूने यह धरती थी उनको दी, कि भोगे वे उसका फल QS2 और आनन्द लें उन सभी चीज़ों का जो यहाँ उगती हैं। 37 इस धरती की फसल है भरपूर QS2 किन्तु पाप किये हमने सो हमारी उपज जाती है पास उन राजाओं के जिनको तूने बिठाया है सिर पर हमारे। हम पर और पशुओं पर हमारे वे राजा राज करते हैं वे चाहते हैं QS2 जैसा भी वैसा ही करते हैं। QS2 हम हैं बहुत कष्ट में। PBR 38 “सो सोचकर इन सभी बातों के बारे में QS2 हम करते हैं वाचा एक: जो न बदला जायेगा कभी भी। QS2 और इस वाचा की लिखतम हम लिखते हैं और इस वाचा पर अंकित करते हैं अपना नाम हाकिम हमारे, लेवी के वंशज और वे करते हैं QS2 हस्ताक्षर लगा कर के उस पर मुहर।” PBR
Total 13 अध्याय, Selected अध्याय 9 / 13
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13
Common Bible Languages
West Indian Languages
×

Alert

×

hindi Letters Keypad References