पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
गिनती
1. {बिलाम की पहली भविष्यवाणी} [PS] बिलाम ने कहा, “यहाँ सात वेदियाँ बनाओ और मेरे लिए सात बैल और सात मेढ़े तैयार करो।”
2. बालाक ने वह सब किया जो बिलाम ने कहा। तब बिलाम ने हर एक वेदी पर एक बैल और एक मेढ़े को मारा। [PE][PS]
3. तब बिलाम ने बालाक से कहा, “इस वेदी के समीप ठहरो। मैं दूसरी जगह जाऊँगा। तब कदाचित यहोवा मेरे पास आएगा और बताएगा कि मैं क्या कहूँ।” तब बिलाम एक अधिक ऊँचे स्थान पर गया। [PE][PS]
4. परमेश्वर उस स्थान पर बिलाम के पास आया और बिलाम ने कहा, “मैंने सात वेदियाँ तैयार की हैं और मैंने हर एक वेदी पर एक बैल और एक मेढ़े को मारा है।” [PE][PS]
5. तब यहोवा ने बिलाम को वह बताया जो उसे कहना चाहिए। तब यहोवा ने कहा, “बालाक के पास जाओ और इन बातों को कहो जो मैंने कहने के लिए बताई हैं।” [PE][PS]
6. इसलिए बिलाम बालाक के पास लौटा। बालाक तब तक वेदी के पास खड़ा था और मोआब के सभी नेता उसके साथ खड़े थे।
7. तब बिलाम ने ये बातें कहीः “मोआब के राजा बालाक ने [QBR2] मुझे आराम से बुलाया पूर्व के पहाड़ों से। [QBR] बालाक ने मुझसे कहा [QBR2] ‘आओ और मेरे लिए याकूब के विरुद्ध कहो, आओ [QBR2] और इस्राएल के लोगों के विरुद्ध कहो।’ [QBR]
8. परमेश्वर उन लोगों के विरुद्ध नहीं है, [QBR2] अतः मैं भी उनके विरुद्ध नहीं कह सकता। [QBR] यहोवा ने उनका बुरा होने के लिए नहीं कहा है। [QBR2] अतः मैं भी वैसा नहीं कर सकता। [QBR]
9. मैं उन लोगों को पर्वत से देखता हूँ। [QBR2] मैं ऐसे लोगों को देखता हूँ [QBR] जो अकेले रहते हैं। [QBR2] वो लोग किसी अन्य राष्ट्र के अंग नहीं हैं। [QBR]
10. याकूब के लोग बालू के कण से भी अधिक हैं। [QBR2] इस्राएल के लोगों की चौथाई को भी [QBR] कोई गिन नहीं सकता। [QBR] मुझे एक अच्छे मनुष्य की तरह मरने दो, [QBR2] मुझे उन लोगों की तरह ही मरने दो।” [PS]
11. बालाक ने बिलाम से कहा, “तुमने हमारे लिए क्या किया है मैंने तुमको अपने शत्रुओं के विरुद्ध कुछ कहने को बुलाया था। किन्तु तुमने उन्हीं को आशीर्वाद दिया है।” [PE][PS]
12. किन्तु बिलाम ने उत्तर दिया, “मुझे वही करना चाहिए जो यहोवा मुझे करने को कहता है।” [PE][PS]
13. तब बालाक ने उससे कहा, “इसलिए मेरे साथ दूसरे स्थान पर आओ। उस स्थान पर तुम लोगों को भी देख सकते हो। किन्तु तुम उनके एक भाग को ही देख सकते हो, सभी को नहीं देख सकते और उस स्थान से तुम मेरे लिए उनके विरुद्ध कुछ कह सकते हो।”
14. इसलिए बालाक बिलाम को सोपीम के मैदान में ले गया। यह पिसगा पर्वत की चोटी पर था। बालाक ने उस स्थान पर सात वेदियाँ बनाई। तब बालाक ने हर एक वेदी पर बलि के रूप में एक बैल और एक मेढ़ा मारा। [PE][PS]
15. इसलिए बिलाम ने बालाक से कहा, “इस वेदी के पास खड़े रहो। मैं उस स्थान पर परमेश्वर से मिलने जाऊँगा।” [PE][PS]
16. इसलिए यहोवा बिलाम के पास आया और उसने बिलाम को बताया कि वह क्या कहे। तब यहोवा ने बिलाम को बालाक के पास लौटने और उन बातों को कहने को कहा।
17. इसलिए बिलाम बालाक के पास गया। बालाक तब तक वेदी के पास खड़ा था। मोआब के नेता उसके साथ थे। बालाक ने उसे आते हुए देखा और उससे पूछा, “यहोवा ने क्या कहा” [PS]
18. {बिलाम की दूसरी भविष्यवाणी} [PS] तब बिलाम ने ये बातें कहीः “बालाक! खड़े हो और मेरी बात सुनों। [QBR2] सिप्पोर के पुत्र बालाक! मेरी बात सुनो। [QBR]
19. परमेश्वर मनुष्य नहीं है, [QBR2] वह झूठ नहीं बोलेगा; [QBR] परमेश्वर मनुष्य पुत्र नहीं, [QBR2] उसके निर्णय बदलेंगे नहीं। [QBR] यदि यहोवा कहता है कि वह कुछ करेगा [QBR2] तो वह अवश्य उसे करेगा। [QBR] यदि यहोवा वचन देता है [QBR2] तो अपने वचन को अवश्य पूरा करेगा। [QBR]
20. यहोवा ने मुझे उन्हें आशीर्वाद देने का आदेश दिया। [QBR2] यहोवा ने उन्हें आशीर्वा दिया है, इसलिए मैं उसे बदल नहीं सकता। [QBR]
21. याकूब के लोगों में कोई दोष नहीं था। [QBR2] इस्राएल के लोगों में कोई पाप नहीं था। [QBR] यहोवा उनका परमेश्वर है और वह उनके साथ है। [QBR2] महाराजा (परमेश्वर) की वाणी उनके साथ है! [QBR]
22. परमेश्वर उन्हें मिस्र से बाहर लाया। [QBR2] इस्राएल के वे लोग जंगली साँड की तरह शक्तिशाली हैं। [QBR]
23. कोई जादुई शक्ति नहीं जो याकूब के लोगों को हरा सके। [QBR2] याकूब के बारे में और इस्राएल के लोगों के विषय में भी [QBR] लोग यह कहेंगे: [QBR2] ‘परमेश्वर ने जो महान कार्य किये हैं उन पर ध्यान दो!’ [QBR]
24. वे लोग सिंह की तरह शक्तिशाली होंगे। [QBR2] वे सिंह जैसे लड़ेंगे और यह सिंह कभी विश्राम नहीं करेगा, [QBR] जब तक वह शत्रु को खा नहीं डालता, और वह सिंह कभी विश्राम नहीं करेगा [QBR2] जब तक वह उनका रक्त नहीं पीता जो उसके विरुद्ध हैं।” [PS]
25. तब बालाक ने बिलाम से कहा, “तुमने उन लोगों के लिए अच्छी चीज़ें होने की मांग नहीं की। किन्तु तुमने उनके लिए बुरी चीज़ें होने की भी माँग नहीं की।” [PE][PS]
26. बिलाम ने उत्तर दिया, “मैंने पहले ही तुमसे कह दिया कि मैं केवल वही कहूँगा जो यहोवा मुझसे कहने के लिए कहता है।” [PE][PS]
27. तब बालाक ने बिलाम से कहा, “इसलिए तुम मेरे साथ दूसरे स्थान पर चलो। सम्भव है कि परमेश्वर प्रसन्न हो जाये और तुम्हें उस स्थान से शाप देने दे।”
28. इसलिए बालाक बिलाम को पोर पर्वत की चोटी परले गया। यह पर्वत मरुभूमि के छोर पर स्थित है। [PE][PS]
29. बिलाम ने कहा, “यहाँ सात वेदियाँ बनाओ। तब सात साँड़ तथा सात मेढ़े वेदियों पर बलि के लिए तैयार करो।”
30. बालाक ने वही किया जो बिलाम ने कहा। बालाक ने बलि के रूप में हर एक वेदी पर एक साँड़ तथा एक मेढ़ा मारा। [PE]

Notes

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गिनती 23:8
बिलाम की पहली भविष्यवाणी 1 बिलाम ने कहा, “यहाँ सात वेदियाँ बनाओ और मेरे लिए सात बैल और सात मेढ़े तैयार करो।” 2 बालाक ने वह सब किया जो बिलाम ने कहा। तब बिलाम ने हर एक वेदी पर एक बैल और एक मेढ़े को मारा। 3 तब बिलाम ने बालाक से कहा, “इस वेदी के समीप ठहरो। मैं दूसरी जगह जाऊँगा। तब कदाचित यहोवा मेरे पास आएगा और बताएगा कि मैं क्या कहूँ।” तब बिलाम एक अधिक ऊँचे स्थान पर गया। 4 परमेश्वर उस स्थान पर बिलाम के पास आया और बिलाम ने कहा, “मैंने सात वेदियाँ तैयार की हैं और मैंने हर एक वेदी पर एक बैल और एक मेढ़े को मारा है।” 5 तब यहोवा ने बिलाम को वह बताया जो उसे कहना चाहिए। तब यहोवा ने कहा, “बालाक के पास जाओ और इन बातों को कहो जो मैंने कहने के लिए बताई हैं।” 6 इसलिए बिलाम बालाक के पास लौटा। बालाक तब तक वेदी के पास खड़ा था और मोआब के सभी नेता उसके साथ खड़े थे। 7 तब बिलाम ने ये बातें कहीः “मोआब के राजा बालाक ने मुझे आराम से बुलाया पूर्व के पहाड़ों से। बालाक ने मुझसे कहा ‘आओ और मेरे लिए याकूब के विरुद्ध कहो, आओ और इस्राएल के लोगों के विरुद्ध कहो।’ 8 परमेश्वर उन लोगों के विरुद्ध नहीं है, अतः मैं भी उनके विरुद्ध नहीं कह सकता। यहोवा ने उनका बुरा होने के लिए नहीं कहा है। अतः मैं भी वैसा नहीं कर सकता। 9 मैं उन लोगों को पर्वत से देखता हूँ। मैं ऐसे लोगों को देखता हूँ जो अकेले रहते हैं। वो लोग किसी अन्य राष्ट्र के अंग नहीं हैं। 10 याकूब के लोग बालू के कण से भी अधिक हैं। इस्राएल के लोगों की चौथाई को भी कोई गिन नहीं सकता। मुझे एक अच्छे मनुष्य की तरह मरने दो, मुझे उन लोगों की तरह ही मरने दो।” 11 बालाक ने बिलाम से कहा, “तुमने हमारे लिए क्या किया है मैंने तुमको अपने शत्रुओं के विरुद्ध कुछ कहने को बुलाया था। किन्तु तुमने उन्हीं को आशीर्वाद दिया है।” 12 किन्तु बिलाम ने उत्तर दिया, “मुझे वही करना चाहिए जो यहोवा मुझे करने को कहता है।” 13 तब बालाक ने उससे कहा, “इसलिए मेरे साथ दूसरे स्थान पर आओ। उस स्थान पर तुम लोगों को भी देख सकते हो। किन्तु तुम उनके एक भाग को ही देख सकते हो, सभी को नहीं देख सकते और उस स्थान से तुम मेरे लिए उनके विरुद्ध कुछ कह सकते हो।” 14 इसलिए बालाक बिलाम को सोपीम के मैदान में ले गया। यह पिसगा पर्वत की चोटी पर था। बालाक ने उस स्थान पर सात वेदियाँ बनाई। तब बालाक ने हर एक वेदी पर बलि के रूप में एक बैल और एक मेढ़ा मारा। 15 इसलिए बिलाम ने बालाक से कहा, “इस वेदी के पास खड़े रहो। मैं उस स्थान पर परमेश्वर से मिलने जाऊँगा।” 16 इसलिए यहोवा बिलाम के पास आया और उसने बिलाम को बताया कि वह क्या कहे। तब यहोवा ने बिलाम को बालाक के पास लौटने और उन बातों को कहने को कहा। 17 इसलिए बिलाम बालाक के पास गया। बालाक तब तक वेदी के पास खड़ा था। मोआब के नेता उसके साथ थे। बालाक ने उसे आते हुए देखा और उससे पूछा, “यहोवा ने क्या कहा” बिलाम की दूसरी भविष्यवाणी 18 तब बिलाम ने ये बातें कहीः “बालाक! खड़े हो और मेरी बात सुनों। सिप्पोर के पुत्र बालाक! मेरी बात सुनो। 19 परमेश्वर मनुष्य नहीं है, वह झूठ नहीं बोलेगा; परमेश्वर मनुष्य पुत्र नहीं, उसके निर्णय बदलेंगे नहीं। यदि यहोवा कहता है कि वह कुछ करेगा तो वह अवश्य उसे करेगा। यदि यहोवा वचन देता है तो अपने वचन को अवश्य पूरा करेगा। 20 यहोवा ने मुझे उन्हें आशीर्वाद देने का आदेश दिया। यहोवा ने उन्हें आशीर्वा दिया है, इसलिए मैं उसे बदल नहीं सकता। 21 याकूब के लोगों में कोई दोष नहीं था। इस्राएल के लोगों में कोई पाप नहीं था। यहोवा उनका परमेश्वर है और वह उनके साथ है। महाराजा (परमेश्वर) की वाणी उनके साथ है! 22 परमेश्वर उन्हें मिस्र से बाहर लाया। इस्राएल के वे लोग जंगली साँड की तरह शक्तिशाली हैं। 23 कोई जादुई शक्ति नहीं जो याकूब के लोगों को हरा सके। याकूब के बारे में और इस्राएल के लोगों के विषय में भी लोग यह कहेंगे: ‘परमेश्वर ने जो महान कार्य किये हैं उन पर ध्यान दो!’ 24 वे लोग सिंह की तरह शक्तिशाली होंगे। वे सिंह जैसे लड़ेंगे और यह सिंह कभी विश्राम नहीं करेगा, जब तक वह शत्रु को खा नहीं डालता, और वह सिंह कभी विश्राम नहीं करेगा जब तक वह उनका रक्त नहीं पीता जो उसके विरुद्ध हैं।” 25 तब बालाक ने बिलाम से कहा, “तुमने उन लोगों के लिए अच्छी चीज़ें होने की मांग नहीं की। किन्तु तुमने उनके लिए बुरी चीज़ें होने की भी माँग नहीं की।” 26 बिलाम ने उत्तर दिया, “मैंने पहले ही तुमसे कह दिया कि मैं केवल वही कहूँगा जो यहोवा मुझसे कहने के लिए कहता है।” 27 तब बालाक ने बिलाम से कहा, “इसलिए तुम मेरे साथ दूसरे स्थान पर चलो। सम्भव है कि परमेश्वर प्रसन्न हो जाये और तुम्हें उस स्थान से शाप देने दे।” 28 इसलिए बालाक बिलाम को पोर पर्वत की चोटी परले गया। यह पर्वत मरुभूमि के छोर पर स्थित है। 29 बिलाम ने कहा, “यहाँ सात वेदियाँ बनाओ। तब सात साँड़ तथा सात मेढ़े वेदियों पर बलि के लिए तैयार करो।” 30 बालाक ने वही किया जो बिलाम ने कहा। बालाक ने बलि के रूप में हर एक वेदी पर एक साँड़ तथा एक मेढ़ा मारा।
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