1. {#1सलोफाद की पुत्रियाँ } [PS]सलोफाद हेपर का पुत्र था। हेपेर गिलाद का पुत्र था। गिलाद माकीर का पुत्र था। माकीर मनश्शे का पुत्र था और मनश्शे यूसुफ का पुत्र था। सलोफाद की पाँच पुत्रियाँ थीं। उनके नाम महला, नोवा, होग्ला, मिल्का और तिर्सा था।
2. ये पाँचों स्त्रियाँ मिलापवाले तम्बू में गई और मूसा, याजक एलीआजार, नेतागण और सब इस्राएलियों के सामने खड़ी हो गई। [PE][PS]पाँचों पुत्रियों ने कहा,
3. “हमारे पिता उस समय मर गये जब हम लोग मरुभूमि से यात्रा कर रहे थे। वह उन लोगों में से नहीं था जो कोरह के दल में सम्मिलित हुए थे। (करोह वही था जो यहोवा के विरुद्ध हो गया था।) हम लोगों के पिता की मृत्यु स्वाभाविक थी। किन्तु हमारे पिता का कोई पुत्र नहीं था।
4. इसका तात्पर्य यह हुआ कि हमारे पिता का नाम नहीं चलेगा। यह ठीक नहीं है कि हमारे पिता का नाम मिट जाए। इसलिए हम लोग यह माँग करते हैं कि हमें भी कुछ भूमि दी जाए जिसे हमारे पिता के भाई पाएंगे।” [PE]
5. [PS]इसलिए मूसा ने यहोवा से पूछा कि वह क्या करे।
6. यहोवा ने उससे कहा,
7. “सलोफाद की पुत्रियाँ ठीक कहती हैं। तुम्हें उनके चाचाओं के साथ—साथ उन्हें भी भूमि का भाग अवश्य देना चाहिए जो तुम उनके पिता को देते। [PE]
8. [PS]“इसलिए इस्राएल के लोगों के लिए इसे नियम बना दो। यदि किसी व्यक्ति के पुत्र न हो और वह मर जाए तो हर एक चीज़ जो उसकी है, उसकी पुत्री की होगी।
9. यदि उसे कोई पुत्र न हो तो, जो कुछ भी उसका है उसके भाईयों को दिया जाएगा।
10. यदि उसका कोई भाई न हो तो, जो कुछ उसका है उसके पिता के भाईयों को दिया जाएगा।
11. यदि उसके पिता का कोई भाई नहीं है तो, जो कुछ उसका हो उसे उसके परिवार के निकटतम सम्बन्धी को दिया जाएगा। इस्राएल के लोगों में यह नियम होना चाहिए। यहोवा मूसा को यह आदेश देता है।” [PE]
12. [PS]तब यहोवा ने मूसा से कहा, “उस पर्वत के ऊपर चढ़ो। जो अबारीम पर्वत श्रृंखला में से एक है। वहाँ तुम उस प्रदेश को देखोगे जिसे मैं इस्राएल के लोगों को दे रहा हूँ।
13. जब तुम इस प्रदेश को देख लोगे तब तुम अपने भाई हारून की तरह मर जाओगे।
14. उस बात को याद करो जब लोग सीन की मरुभूमि में पानी के लिए क्रोधित हुए थे। तुम और हारून दोनों ने मेरा आदेश मानना अस्वीकार किया था। तुम लोगों ने मेरा सम्मान नहीं किया था और लोगों के सामने मुझे पवित्र नहीं बनाया था।” (यह पानी सीन की मरुभूमि में कादेश के अन्तर्गत मरीबा में था।) [PE]
15. [PS]मूसा ने यहोवा से कहा,
16. “यहोवा परमेश्वर है वही जानता है कि लोग क्या सोच रहे हैं। यहोवा मेरी प्रार्थना है कि तू इन लोगों के लिए एक नेता चुन।[* यहोवा … चुन इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है— सभी लोगों की आत्माओं के परमेश्वर यहोवा, इन लोगों के लिए एक नेता नियुक्त कर। ]
17. मैं प्रार्थना करता हूँ कि यहोवा एक ऐसा नेता चुन जो उन्हें इस प्रदेश से बाहर ले जाएगा तथा उन्हें नये प्रदेश में पहुँचायेगा। तब यहोवा के लोग गड़ेरिया रहित भेड़ के समान नहीं होंगे।” [PE]
18. [PS]इसलिए यहोवा ने मूसा से कहा, नून का पुत्र यहोशू नेता होगा। यहोशू बहुत बुद्धिमान है[† नून…है शाब्दिक “नून के पुत्र यहोशू को चुनो। वह व्यक्ति अपने भीतर विशेष शक्ति रखता है।” इसका अर्थ यह हो सकता है कि यहोशू बहुत बुद्धिमान था अथवा यह भी अर्थ हो सकता है कि उसमें परमेश्वर की आत्मा का निवास था। ] उसे नया नेता बनाओ।
19. उससे याजक एलीआज़ार और सभी लोगों के सामने खड़े होने को कहो। तब उसे नया नेता बनाओ। [PE]
20. [PS]“लोगों को यह दिखाओ कि तुम उसे नेता बना रहे हो, तब सभी उसका आदेश मानेंगे।
21. यदि यहोशू कोई विशेष निर्णय लेना चाहेगा तो उसे याजक एलीआज़ार के पास जाना होगा। एलीआज़ार ऊरीम का उपयोग यहोवा के उत्तर को जानने के लिए करेगा। तब यहोशू और इस्राएल के सभी लोग वह करेंगे जो परमेश्वर कहेगा। यदि परमेश्वर कहेगा, ‘युद्ध करने जाओ।’ तो वे युद्ध करने जाएंगे और यदि परमेश्वर कहे, ‘घर जाओं,’ तो घर जायेंगे।” [PE]
22. [PS]मूसा ने यहोवा की आज्ञा मानी। मूसा ने यहोशू से याजक एलीआज़ार और इस्राएल के सब लोगों के सामने खड़ा होने के लिए कहा।
23. तब मूसा ने अपने हाथों को उसके सिर पर यह दिखाने के लिए रखा कि वह नया नेता है। उसने यह वैसे ही किया जैसा यहोवा ने कहा था। [PE]