पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
गिनती
1. यहोवा ने मूसा को सीनै की मरूभूमि में कहा। उस समय से एक वर्ष और एक महीना हो गया जब इस्राएल के लोग मिस्र से निकले थे। यहोवा ने मूसा से कहा,
2. “इस्राएल के लोगों से कहो कि वे निश्चित समय पर फसह पर्व की दावत को खाना याद रखें।
3. वह निश्चित समय इस महीने का चौदहवाँ दिन है। उन्हें संध्या के समय दावत खानी चाहिए और दावत के बारे में मैंने जो नियम दिए हैं उनको उन्हें याद रखना चाहिए।”
4. इसलिए मूसा ने इस्राएल के लोगों से फसह पर्व की दावत खाने को याद रखने के लिए कहा
5. और लोगों ने चौदहवें दिन संध्या के समय सीनै की मरुभूमि में वैसा ही किया। यह पहले महीने में था। इस्राएल के लोगों ने हर एक काम वैसे ही किया जैसेे यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था।
6. किन्तु कुछ लोग फसह पर्व की दावत उसी दिन नहीं खा सके। वे एक शव के कारण शुद्ध नहीं थे। इसलिए वे उस दिन मूसा और हारून के पास गए।
7. उन लोगों ने मूसा से कहा, “हम लोग एक शव छूने के कारण अशुद्ध हुए हैं। याजकों ने हमें निश्चित समय पर यहोवा को चढ़ाई जाने वाली भेंट देने से रोक दिया है। अतः हम फसह पर्व को अन्य इस्राएली लोगों के साथ नहीं मना सकते। हमें क्या करना चाहिए’
8. मूसा ने उनसे कहा, “मैं यहोवा से पूछूंगा कि वह इस सम्बन्ध में क्या कहता है।
9. [This verse may not be a part of this translation]
10. “इस्राएल के लोगों से ये बातें कहोः यह हो सगता है कि तुम ठीक समय पर फसह पर्व न मना सको क्योंकि तुम या तुम्हारे परिवार का कोई व्यक्ति शव को स्पर्श करने के कारण अशुद्ध हो या संभव है कि तुम किसी यात्रा पर गए हुए हो।”
11. तो भी तुम फसह पर्व मना सकते हो। तुम फसह पर्व को दूसरे महीने के चौदहवें दिन संध्या के समय मनाओगे। उस समय तुम मेमना, अखमीरी रोटी और कड़वा सागपात खाओगे।
12. अगली सुबह तक के लिए तुम्हें उसमें से कोई भी भोजन नहीं छोड़ना चाहिए। तुम्हें मेमने की किसी हड्डी को भी नहीं तोड़ना चाहिए। उस व्यक्ति को फसह पर्व के सभी नियमों का पालन करना चाहिए।
13. किन्तु कोई भी व्यक्ति जो समर्थ है, फसह पर्व की दावत को ठीक समय पर ही खाये। यदि वह शुद्ध है और किसी यात्रा पर नहीं गया है तो उसके लिए कोई बहाना नहीं है। यदि वह व्यक्ति फसह पर्व को ठीक समय पर नहीं खाता है तो उसे अपने लोगों से अलग भेज दिया जायेगा। वह अपराधी है! क्योंकि उसने यहोवा को ठीक समय पर अपनी भेंट नहीं चढ़ाई सो उसे दण्ड अवश्य दिया जाना चाहिए।”
14. ‘तुम लोगों के साथ रहने वाला कोई भी व्यक्ति जो इस्राएलि लोगों का सदस्य नहीं है, यहोवा के फसह पर्व में तुम्हारे साथ भाग लेना चाह सकता है। यह स्वीकृत है, किन्तु उस व्यक्ति को उन नियमों का पालन करना होगा। जो तुम्हें दिए गए हैं. तुम्हें अन्य लोगों के लिए भी वे ही नियम रखने होंगे जो तुम्हारे लिए हैं।”
15. जिस दिन पवित्र साक्षीपत्र का तम्बू लगाया गया, एक बादल इसके ऊपर रूक गया। रात को बादल अग्नि की तरह दिखाई पड़ता था।
16. बादल तम्बू के ऊपर निरन्तर ठहरा रहा और रात को बादल अग्नि की तरह दिखाई दिया।
17. जब बादल तम्बू के ऊपर अपने स्थान से चलता था, इस्राएली इसका अनुसरण करते थे। जब बादल रुक जाता था तब इस्राएल के लोग वहीं अपना डेरा डालते थे।
18. यही ढंग था जिससे यहोवा इस्राएल के लोगों को यात्रा करने का आदेश देता था, और यही उसका उस स्थान के लिए आदेश था जहाँ उन्हें डेरा लगाना चाहिए था और जब तक बादल तम्बू के ऊपर ठहरता था।लोग उसी स्थान पर डेरा डाले रहते थे।
19. कभी-कभी बादल तम्बू के ऊपर लम्बे समय तक ठहरता था। इस्राएली यहोवा का आदेश मानते थे और यात्रा नहीं करते थे।
20. कभी-कभी बादल तम्बू के ऊपर कुछ हीं दिनों के लिए रहता था और लोग यहोवा के आदेश का पालन करते थे। वे बादल का अनु शरण तब करते जब वह तलता था।
21. कभी-कभी बादल केवल रात में ही ठहरता था और जब बादल अगली सुबह चलता था तब लोग अपनी चीज़े इकट्ठी करते थे और उसका अनुसरण करते थे, रात में या दिन में, यदि बादल चलता था तो लोग उसका अनुसरण करते थे।
22. यदि बादल तम्बू के ऊपर दो दिन या एक महीना या एक वर्ष ठहरता था तो लोग यहोवा के आदेश का पालन करते रहते थे। वे उसी डेरे में ठहरते थे और तब तक बादल अपने स्थान से उठता और चलता तब लोग भी चलते थे।
23. इस प्रकार लोग यहोवा के आदेश का पालन करते थे। वे वहाँ डेरा डालते थे जिस स्थान को यहोवा दिखाता था और जब यहोवा उन्हें स्थान छोड़ने के लिए आदेश देता था तब लोग बादल का अनुसरण करते हुए स्थान छोड़ते थे। लोग यहोवा के आदेश का पालन करते थे। यह आदेश था जिसे यहोवा ने मूसा के द्वारा उन्हें दिया।

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गिनती 9:19
1. यहोवा ने मूसा को सीनै की मरूभूमि में कहा। उस समय से एक वर्ष और एक महीना हो गया जब इस्राएल के लोग मिस्र से निकले थे। यहोवा ने मूसा से कहा,
2. “इस्राएल के लोगों से कहो कि वे निश्चित समय पर फसह पर्व की दावत को खाना याद रखें।
3. वह निश्चित समय इस महीने का चौदहवाँ दिन है। उन्हें संध्या के समय दावत खानी चाहिए और दावत के बारे में मैंने जो नियम दिए हैं उनको उन्हें याद रखना चाहिए।”
4. इसलिए मूसा ने इस्राएल के लोगों से फसह पर्व की दावत खाने को याद रखने के लिए कहा
5. और लोगों ने चौदहवें दिन संध्या के समय सीनै की मरुभूमि में वैसा ही किया। यह पहले महीने में था। इस्राएल के लोगों ने हर एक काम वैसे ही किया जैसेे यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था।
6. किन्तु कुछ लोग फसह पर्व की दावत उसी दिन नहीं खा सके। वे एक शव के कारण शुद्ध नहीं थे। इसलिए वे उस दिन मूसा और हारून के पास गए।
7. उन लोगों ने मूसा से कहा, “हम लोग एक शव छूने के कारण अशुद्ध हुए हैं। याजकों ने हमें निश्चित समय पर यहोवा को चढ़ाई जाने वाली भेंट देने से रोक दिया है। अतः हम फसह पर्व को अन्य इस्राएली लोगों के साथ नहीं मना सकते। हमें क्या करना चाहिए’
8. मूसा ने उनसे कहा, “मैं यहोवा से पूछूंगा कि वह इस सम्बन्ध में क्या कहता है।
9. This verse may not be a part of this translation
10. “इस्राएल के लोगों से ये बातें कहोः यह हो सगता है कि तुम ठीक समय पर फसह पर्व मना सको क्योंकि तुम या तुम्हारे परिवार का कोई व्यक्ति शव को स्पर्श करने के कारण अशुद्ध हो या संभव है कि तुम किसी यात्रा पर गए हुए हो।”
11. तो भी तुम फसह पर्व मना सकते हो। तुम फसह पर्व को दूसरे महीने के चौदहवें दिन संध्या के समय मनाओगे। उस समय तुम मेमना, अखमीरी रोटी और कड़वा सागपात खाओगे।
12. अगली सुबह तक के लिए तुम्हें उसमें से कोई भी भोजन नहीं छोड़ना चाहिए। तुम्हें मेमने की किसी हड्डी को भी नहीं तोड़ना चाहिए। उस व्यक्ति को फसह पर्व के सभी नियमों का पालन करना चाहिए।
13. किन्तु कोई भी व्यक्ति जो समर्थ है, फसह पर्व की दावत को ठीक समय पर ही खाये। यदि वह शुद्ध है और किसी यात्रा पर नहीं गया है तो उसके लिए कोई बहाना नहीं है। यदि वह व्यक्ति फसह पर्व को ठीक समय पर नहीं खाता है तो उसे अपने लोगों से अलग भेज दिया जायेगा। वह अपराधी है! क्योंकि उसने यहोवा को ठीक समय पर अपनी भेंट नहीं चढ़ाई सो उसे दण्ड अवश्य दिया जाना चाहिए।”
14. ‘तुम लोगों के साथ रहने वाला कोई भी व्यक्ति जो इस्राएलि लोगों का सदस्य नहीं है, यहोवा के फसह पर्व में तुम्हारे साथ भाग लेना चाह सकता है। यह स्वीकृत है, किन्तु उस व्यक्ति को उन नियमों का पालन करना होगा। जो तुम्हें दिए गए हैं. तुम्हें अन्य लोगों के लिए भी वे ही नियम रखने होंगे जो तुम्हारे लिए हैं।”
15. जिस दिन पवित्र साक्षीपत्र का तम्बू लगाया गया, एक बादल इसके ऊपर रूक गया। रात को बादल अग्नि की तरह दिखाई पड़ता था।
16. बादल तम्बू के ऊपर निरन्तर ठहरा रहा और रात को बादल अग्नि की तरह दिखाई दिया।
17. जब बादल तम्बू के ऊपर अपने स्थान से चलता था, इस्राएली इसका अनुसरण करते थे। जब बादल रुक जाता था तब इस्राएल के लोग वहीं अपना डेरा डालते थे।
18. यही ढंग था जिससे यहोवा इस्राएल के लोगों को यात्रा करने का आदेश देता था, और यही उसका उस स्थान के लिए आदेश था जहाँ उन्हें डेरा लगाना चाहिए था और जब तक बादल तम्बू के ऊपर ठहरता था।लोग उसी स्थान पर डेरा डाले रहते थे।
19. कभी-कभी बादल तम्बू के ऊपर लम्बे समय तक ठहरता था। इस्राएली यहोवा का आदेश मानते थे और यात्रा नहीं करते थे।
20. कभी-कभी बादल तम्बू के ऊपर कुछ हीं दिनों के लिए रहता था और लोग यहोवा के आदेश का पालन करते थे। वे बादल का अनु शरण तब करते जब वह तलता था।
21. कभी-कभी बादल केवल रात में ही ठहरता था और जब बादल अगली सुबह चलता था तब लोग अपनी चीज़े इकट्ठी करते थे और उसका अनुसरण करते थे, रात में या दिन में, यदि बादल चलता था तो लोग उसका अनुसरण करते थे।
22. यदि बादल तम्बू के ऊपर दो दिन या एक महीना या एक वर्ष ठहरता था तो लोग यहोवा के आदेश का पालन करते रहते थे। वे उसी डेरे में ठहरते थे और तब तक बादल अपने स्थान से उठता और चलता तब लोग भी चलते थे।
23. इस प्रकार लोग यहोवा के आदेश का पालन करते थे। वे वहाँ डेरा डालते थे जिस स्थान को यहोवा दिखाता था और जब यहोवा उन्हें स्थान छोड़ने के लिए आदेश देता था तब लोग बादल का अनुसरण करते हुए स्थान छोड़ते थे। लोग यहोवा के आदेश का पालन करते थे। यह आदेश था जिसे यहोवा ने मूसा के द्वारा उन्हें दिया।
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