पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
नीतिवचन
1.
2. [PS]मदिरा और यवसुरा लोगों को काबू में नहीं रहने देते। वह मजाक उड़वाती है और झगड़े करवाती है। वह मदमस्त हो जाते हैं और बुद्धिहीन कार्य करते हैं। [PE]
3. [PS]राजा का सिंह की दहाड़ सा कोप होता है, जो उसे कुपित करता प्राण से हाथ धोता है। [PE]
4. [PS]झगड़ो से दूर रहना मनुष्य का आदर है; किन्तु मूर्ख जन तो सदा झगड़े को तत्पर रहते। [PE]
5. [PS]ऋतु आने पर अदूरदर्शी आलसी हल नहीं डालता है सो कटनी के समय वह ताकता रह जाता है और कुछ भी नहीं पाता है। [PE]
6. [PS]जन के मन प्रयोजन, गहन जल से छिपे होते किन्तु समझदार व्यक्ति उन्हें बाहर खींच लाता है। [PE]
7. [PS]लोग अपनी विश्वास योग्यता का बहुत ढोल पीटते हैं, किन्तु विश्वसनीय जन किसको मिल पाता है [PE]
8. [PS]धर्मी जन निष्कलंक जीवन जीता है उसका बाद आनेवाली संतानें धन्य हैं। [PE]
9. [PS]जब राजा न्याय को सिंहासन पर विराजता अपनी दृष्टि मात्र से बुराई को फटक छांटता है। [PE]
10. [PS]कौन कह सकता है “मैंने अपना हृदय पवित्र रखा है, मैं विशुद्ध, और पाप रहित हूँ।” [PE]
11. [PS]इन दोनों से, खोटे बाटों और खोटी नापों से यहोवा घृणा करता है। [PE]
12. [PS]बालक भी अपने कर्मो से जाना जाता है, कि उसका चालचलन शुद्ध है, या नहीं। [PE]
13. [PS]यहोवा ने कान बनाये हैं कि हम सुनें! यहोवा ने आँखें बनाई हैं कि हम देखें! यहोवा ने इन दोनों को इसलिये हमारे लिये बनाया। [PE]
14. [PS]निद्रा से प्रेम मत कर दरिद्र हो जायेगा; तू जागता रह तेरे पास भरपूर भोजन होगा। [PE]
15. [PS]ग्राहक खरीदते समय कहता है, “अच्छा नहीं, बहुत महंगा!” किन्तु जब वहाँ से दूर चला जाता है अपनी खरीद की शेखी बघारता है। [PE]
16. [PS]सोना बहुत है और मणि माणिक बहुत सारे हैं, किन्तु ऐसे अधर जो बातें ज्ञान की बताते दुर्लभ रत्न होते हैं। [PE]
17. [PS]जो किसी अजनबी के ऋण की जमानत देता है वह अपने वस्त्र तक गंवा बैठता है। [PE]
18. [PS]छल से कमाई रोटी मीठी लगती है पर अंत में उसका मुंह कंकड़ों से भर जाता। [PE]
19. [PS]योजनाएँ बनाने से पहले तू उत्तम सलाह पा लिया कर। यदि युद्ध करना हो तो उत्तम लोगों से आगुवा लें। [PE]
20. [PS]बकवादी विश्वास को धोखा देता है सो, उस व्यक्ति से बच जो बुहत बोलता हो। [PE]
21. [PS]कोई मनुष्य यदि निज पिता को अथवा निज माता को कोसे, उसका दीया बुझ जायेगा और गहन अंधकार हो जायेगा। [PE]
22. [PS]यदि तेरी सम्पत्ति तुझे आसानी से मिल गई हो तो वह तुझे अधिक मूल्यवान नहीं लगेगा। [PE]
23. [PS]इस बुराई का बदला मैं तुझसे लूँगा। ऐसा तू मत कह; यहोवा की बाट जोह तुझे वही मुक्त करेगा। [PE]
24. [PS]यहोवा खोटे—झूठे बाटों से घृणा करता है और उसको खोटे नाप नहीं भाते हैं। [PE]
25. [PS]यहोवा निर्णय करता है कि हर एक मनुष्य के साथ क्या घटना चाहिये। कोई मनुष्य कैसा समझ सकता है कि उसके जीवन में क्या घटने वाला है। [PE]
26. [PS]यहोवा को कुछ अर्पण करने की प्रतिज्ञा से पूर्व ही विचार ले; भली भांति विचार ले। सम्भव है यदि तू बाद में ऐसा सोचे, “अच्छा होता मैं वह मन्नत न मानता।” [PE]
27. [PS]विवेकी राजा यह निर्णय करता है कि कौन बुरा जन है। और वह राजा उस जन को दण्ड देगा। [PE]
28. [PS]यहोवा का दीपक जन की आत्मा को जाँच लेता, और उसके अन्तरात्मा स्वरूप को खोज लेता है। [PE]
29. [PS]राजा को सत्य और निष्ठा सुरक्षित रखते, किन्तु उसका सिंहासन करुणा पर टिकता है। [PE]
30. [PS]युवकों की महिमा उनके बल से होती है और वृद्धों का गौरव उनके पके बाल हैं। [PE][PS]यदि हमें दण्ड दिया जाये तो हम बुरा करना छोड़ देते हैं। दर्द मनुष्य का परिवर्तन कर सकता है। [PE]
Total 31 अध्याय, Selected अध्याय 20 / 31
1 2 मदिरा और यवसुरा लोगों को काबू में नहीं रहने देते। वह मजाक उड़वाती है और झगड़े करवाती है। वह मदमस्त हो जाते हैं और बुद्धिहीन कार्य करते हैं। 3 राजा का सिंह की दहाड़ सा कोप होता है, जो उसे कुपित करता प्राण से हाथ धोता है। 4 झगड़ो से दूर रहना मनुष्य का आदर है; किन्तु मूर्ख जन तो सदा झगड़े को तत्पर रहते। 5 ऋतु आने पर अदूरदर्शी आलसी हल नहीं डालता है सो कटनी के समय वह ताकता रह जाता है और कुछ भी नहीं पाता है। 6 जन के मन प्रयोजन, गहन जल से छिपे होते किन्तु समझदार व्यक्ति उन्हें बाहर खींच लाता है। 7 लोग अपनी विश्वास योग्यता का बहुत ढोल पीटते हैं, किन्तु विश्वसनीय जन किसको मिल पाता है 8 धर्मी जन निष्कलंक जीवन जीता है उसका बाद आनेवाली संतानें धन्य हैं। 9 जब राजा न्याय को सिंहासन पर विराजता अपनी दृष्टि मात्र से बुराई को फटक छांटता है। 10 कौन कह सकता है “मैंने अपना हृदय पवित्र रखा है, मैं विशुद्ध, और पाप रहित हूँ।” 11 इन दोनों से, खोटे बाटों और खोटी नापों से यहोवा घृणा करता है। 12 बालक भी अपने कर्मो से जाना जाता है, कि उसका चालचलन शुद्ध है, या नहीं। 13 यहोवा ने कान बनाये हैं कि हम सुनें! यहोवा ने आँखें बनाई हैं कि हम देखें! यहोवा ने इन दोनों को इसलिये हमारे लिये बनाया। 14 निद्रा से प्रेम मत कर दरिद्र हो जायेगा; तू जागता रह तेरे पास भरपूर भोजन होगा। 15 ग्राहक खरीदते समय कहता है, “अच्छा नहीं, बहुत महंगा!” किन्तु जब वहाँ से दूर चला जाता है अपनी खरीद की शेखी बघारता है। 16 सोना बहुत है और मणि माणिक बहुत सारे हैं, किन्तु ऐसे अधर जो बातें ज्ञान की बताते दुर्लभ रत्न होते हैं। 17 जो किसी अजनबी के ऋण की जमानत देता है वह अपने वस्त्र तक गंवा बैठता है। 18 छल से कमाई रोटी मीठी लगती है पर अंत में उसका मुंह कंकड़ों से भर जाता। 19 योजनाएँ बनाने से पहले तू उत्तम सलाह पा लिया कर। यदि युद्ध करना हो तो उत्तम लोगों से आगुवा लें। 20 बकवादी विश्वास को धोखा देता है सो, उस व्यक्ति से बच जो बुहत बोलता हो। 21 कोई मनुष्य यदि निज पिता को अथवा निज माता को कोसे, उसका दीया बुझ जायेगा और गहन अंधकार हो जायेगा। 22 यदि तेरी सम्पत्ति तुझे आसानी से मिल गई हो तो वह तुझे अधिक मूल्यवान नहीं लगेगा। 23 इस बुराई का बदला मैं तुझसे लूँगा। ऐसा तू मत कह; यहोवा की बाट जोह तुझे वही मुक्त करेगा। 24 यहोवा खोटे—झूठे बाटों से घृणा करता है और उसको खोटे नाप नहीं भाते हैं। 25 यहोवा निर्णय करता है कि हर एक मनुष्य के साथ क्या घटना चाहिये। कोई मनुष्य कैसा समझ सकता है कि उसके जीवन में क्या घटने वाला है। 26 यहोवा को कुछ अर्पण करने की प्रतिज्ञा से पूर्व ही विचार ले; भली भांति विचार ले। सम्भव है यदि तू बाद में ऐसा सोचे, “अच्छा होता मैं वह मन्नत न मानता।” 27 विवेकी राजा यह निर्णय करता है कि कौन बुरा जन है। और वह राजा उस जन को दण्ड देगा। 28 यहोवा का दीपक जन की आत्मा को जाँच लेता, और उसके अन्तरात्मा स्वरूप को खोज लेता है। 29 राजा को सत्य और निष्ठा सुरक्षित रखते, किन्तु उसका सिंहासन करुणा पर टिकता है। 30 युवकों की महिमा उनके बल से होती है और वृद्धों का गौरव उनके पके बाल हैं। यदि हमें दण्ड दिया जाये तो हम बुरा करना छोड़ देते हैं। दर्द मनुष्य का परिवर्तन कर सकता है।
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