पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
नीतिवचन
1. {उत्तम जीवन से संपन्नता} [PS] हे मेरे पुत्र, मेरी शिक्षा मत भूल, बल्कि तू मेरे आदेश अपने हृदय में बसा ले।
2. क्योंकि इनसे तेरी आयु वर्षों वर्ष बढ़ेगी और ये तुझको समपन्न कर देगें। [PE][PS]
3. प्रेम, विश्वसनीयता कभी तुझको छोड़ न जाये, तू इनका हार अपने गले में डाल, इन्हें अपने मन के पटल पर लिख ले।
4. फिर तू परमेश्वर और मनुज की दृष्टि में उनकी कृपा और यश पायेगा। [PE][PS]
5. अपने पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रख! तू अपनी समझ पर भरोसा मत रख।
6. उसको तू अपने सब कामों में याद रख। वहीं तेरी सब राहों को सीधी करेगा।
7. अपनी ही आँखों में तू बुद्धिमान मत बन, यहोवा से डरता रह और पाप से दूर रह।
8. इससे तेरा शरीर पूर्ण स्वस्थ रहेगा और तेरी अस्थियाँ पुष्ट हो जायेंगी। [PE][PS]
9. अपनी सम्पत्ति से, और अपनी उपज के पहले फलों से यहोवा का मान कर।
10. तेरे भण्डार ऊपर तक भर जायेंगे, और तेरे मधुपात्र नये दाखमधु से उफनते रहेंगे। [PE][PS]
11. हे मेरे पुत्र, यहोवा के अनुशासन का तिरस्कार मत कर, उसकी फटकार का बुरा कभी मत मान।
12. क्यों क्योंकि यहोवा केवल उन्हीं को डाँटता है जिनसे वह प्यार करता है। वैसे ही जैसे पिता उस पुत्र को डाँटे जो उसको अति प्रिय है। [PE][PS]
13. धन्य है वह मनुष्य, जो बुद्धि पाता है। वह मनुष्य धन्य है जो समझ प्राप्त करें।
14. बुद्धि, मूल्यवान चाँदी से अधिक लाभदायक है, और वह सोने से उत्तम प्रतिदान देती है!
15. बुद्धि मणि माणिक से अधिक मूल्यवान है। उसकी तुलना कभी किसी उस वस्तु से नहीं हो सकती है जिसे तू चाह सके! [PE][PS]
16. बुद्धि के दाहिने हाथ में सुदीर्घ जीवन है, उसके बायें हाथ में सम्पत्ति और सम्मान है।
17. उसके मार्ग मनोहर हैं और उसके सभी पथ शांति के रहते हैं।
18. बुद्धि उनके लिये जीवन वृक्ष है जो इसे अपनाते हैं, वे सदा धन्य रहेंगे जो दृढ़ता से बुद्धि को थामे रहते हैं! [PE][PS]
19. यहोवा ने धरती की नींव बुद्धि से धरी, उसने समझ से आकाश को स्थिर किया।
20. उसके ही ज्ञान से गहरे सोते फूट पड़े और बादल ओस कण बरसाते हैं। [PE][PS]
21. हे मेरे पुत्र, तू अपनी दृष्टि से भले बुरे का भेद और बुद्धि के विवेक को ओझल मत होने दे।
22. वे तो तेरे लिये जीवन बन जायेंगे, और तेरे कंठ को सजाने का एक आभूषण।
23. तब तू सुरक्षित बना निज मार्ग विचरेगा और तेरा पैर कभी ठोकर नहीं खायेगा।
24. तुझको सोने पर कभी भय नहीं व्यापेगा और सो जाने पर तेरी नींद मधुर होगी।
25. आकस्मिक नाश से तू कभी मत डर, या उस विनाश से जो दृष्टों पर आ पड़ता है।
26. क्योंकि तेरा विश्वास यहोवा बन जायेगा और वह ही तेरे पैर को फंदे में फँसने से बचायेगा। [PE][PS]
27. जब तक ऐसा करना तेरी शक्ति में हो अच्छे को उनसे बचा कर मत रख जो जन अच्छा फल पाने योग्य है।
28. जब अपने पड़ोसी को देने तेरे पास रखा हो तो उससे ऐसा मत कह कि “बाद में आना कल तुझे दूँगा।” [PE][PS]
29. तेरा पड़ोसी विश्वास से तेरे पास रहता हो तो उसके विरुद्ध उसको हानि पहुँचाने के लिये कोई षड़यंत्र मत रच। [PE][PS]
30. बिना किसी कारण के किसी को मत कोस, जबकि उस जन ने तुझे क्षति नहीं पहुँचाई है। [PE][PS]
31. किसी बुरे जन से तू द्वेष मत रख और उसकी सी चाल मत चल। तू अपनी चल।
32. क्यों क्योंकि यहोवा कुटिल जन से घृणा करता है और सच्चरित्र जन को अपनाता है। [PE][PS]
33. दुष्ट के घर पर यहोवा का शाप रहता है, वह नेक के घर को आर्शीवाद देता है। [PE][PS]
34. वह गर्वीले उच्छृंखल की हंसी उड़ाता है किन्तु दीन जन पर वह कृपा करता है। [PE][PS]
35. विवेकी जन तो आदर पायेंगे, किन्तु वह मूर्खो को, लज्जित ही करेगा। [PE]

Notes

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नीतिवचन 3:18
1. {उत्तम जीवन से संपन्नता} PS हे मेरे पुत्र, मेरी शिक्षा मत भूल, बल्कि तू मेरे आदेश अपने हृदय में बसा ले।
2. क्योंकि इनसे तेरी आयु वर्षों वर्ष बढ़ेगी और ये तुझको समपन्न कर देगें। PEPS
3. प्रेम, विश्वसनीयता कभी तुझको छोड़ जाये, तू इनका हार अपने गले में डाल, इन्हें अपने मन के पटल पर लिख ले।
4. फिर तू परमेश्वर और मनुज की दृष्टि में उनकी कृपा और यश पायेगा। PEPS
5. अपने पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रख! तू अपनी समझ पर भरोसा मत रख।
6. उसको तू अपने सब कामों में याद रख। वहीं तेरी सब राहों को सीधी करेगा।
7. अपनी ही आँखों में तू बुद्धिमान मत बन, यहोवा से डरता रह और पाप से दूर रह।
8. इससे तेरा शरीर पूर्ण स्वस्थ रहेगा और तेरी अस्थियाँ पुष्ट हो जायेंगी। PEPS
9. अपनी सम्पत्ति से, और अपनी उपज के पहले फलों से यहोवा का मान कर।
10. तेरे भण्डार ऊपर तक भर जायेंगे, और तेरे मधुपात्र नये दाखमधु से उफनते रहेंगे। PEPS
11. हे मेरे पुत्र, यहोवा के अनुशासन का तिरस्कार मत कर, उसकी फटकार का बुरा कभी मत मान।
12. क्यों क्योंकि यहोवा केवल उन्हीं को डाँटता है जिनसे वह प्यार करता है। वैसे ही जैसे पिता उस पुत्र को डाँटे जो उसको अति प्रिय है। PEPS
13. धन्य है वह मनुष्य, जो बुद्धि पाता है। वह मनुष्य धन्य है जो समझ प्राप्त करें।
14. बुद्धि, मूल्यवान चाँदी से अधिक लाभदायक है, और वह सोने से उत्तम प्रतिदान देती है!
15. बुद्धि मणि माणिक से अधिक मूल्यवान है। उसकी तुलना कभी किसी उस वस्तु से नहीं हो सकती है जिसे तू चाह सके! PEPS
16. बुद्धि के दाहिने हाथ में सुदीर्घ जीवन है, उसके बायें हाथ में सम्पत्ति और सम्मान है।
17. उसके मार्ग मनोहर हैं और उसके सभी पथ शांति के रहते हैं।
18. बुद्धि उनके लिये जीवन वृक्ष है जो इसे अपनाते हैं, वे सदा धन्य रहेंगे जो दृढ़ता से बुद्धि को थामे रहते हैं! PEPS
19. यहोवा ने धरती की नींव बुद्धि से धरी, उसने समझ से आकाश को स्थिर किया।
20. उसके ही ज्ञान से गहरे सोते फूट पड़े और बादल ओस कण बरसाते हैं। PEPS
21. हे मेरे पुत्र, तू अपनी दृष्टि से भले बुरे का भेद और बुद्धि के विवेक को ओझल मत होने दे।
22. वे तो तेरे लिये जीवन बन जायेंगे, और तेरे कंठ को सजाने का एक आभूषण।
23. तब तू सुरक्षित बना निज मार्ग विचरेगा और तेरा पैर कभी ठोकर नहीं खायेगा।
24. तुझको सोने पर कभी भय नहीं व्यापेगा और सो जाने पर तेरी नींद मधुर होगी।
25. आकस्मिक नाश से तू कभी मत डर, या उस विनाश से जो दृष्टों पर पड़ता है।
26. क्योंकि तेरा विश्वास यहोवा बन जायेगा और वह ही तेरे पैर को फंदे में फँसने से बचायेगा। PEPS
27. जब तक ऐसा करना तेरी शक्ति में हो अच्छे को उनसे बचा कर मत रख जो जन अच्छा फल पाने योग्य है।
28. जब अपने पड़ोसी को देने तेरे पास रखा हो तो उससे ऐसा मत कह कि “बाद में आना कल तुझे दूँगा।” PEPS
29. तेरा पड़ोसी विश्वास से तेरे पास रहता हो तो उसके विरुद्ध उसको हानि पहुँचाने के लिये कोई षड़यंत्र मत रच। PEPS
30. बिना किसी कारण के किसी को मत कोस, जबकि उस जन ने तुझे क्षति नहीं पहुँचाई है। PEPS
31. किसी बुरे जन से तू द्वेष मत रख और उसकी सी चाल मत चल। तू अपनी चल।
32. क्यों क्योंकि यहोवा कुटिल जन से घृणा करता है और सच्चरित्र जन को अपनाता है। PEPS
33. दुष्ट के घर पर यहोवा का शाप रहता है, वह नेक के घर को आर्शीवाद देता है। PEPS
34. वह गर्वीले उच्छृंखल की हंसी उड़ाता है किन्तु दीन जन पर वह कृपा करता है। PEPS
35. विवेकी जन तो आदर पायेंगे, किन्तु वह मूर्खो को, लज्जित ही करेगा। PE
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