1. {राजा लमुएल की सूक्तियाँ} PS ये सूक्तियाँ राजा लमूएल की, जिन्हें उसे उसकी माता ने सिखाया था। PEPS
|
3. तू व्यर्थ अपनी शक्ति स्त्रियों पर मत व्यय करो स्त्री ही राजाओं का विनाश करती हैं। इसलिये तू उन पर अपना क्षय मत कर।
|
5. नहीं तो, वे मदिरा का बहुत अधिक पान करके, विधान की व्यवस्था को भूल जायेगें और वे सारे दीन दलितों के अधिकारों को छीन लेंगे।
|
8. तू बोल उनके लिये जो कभी भी अपने लिये बोल नहीं पाते हैं; और उन सब के, अधिकारों के लिये बोल जो अभागे हैं।
|
9. तू डट करके खड़ा रह उन बातों के हेतू जिनको तू जानता है कि वे उचित, न्यायपूर्ण, और बिना पक्ष—पात के सबका न्याय कर। तू गरीब जन के अधिकारों की रक्षा कर और उन लोगों के जिनको तेरी अपेक्षा हो।
|
21. जब शीत पड़ती तो वह अपने परिवार हेतु चिंतित नहीं होती है।
क्योंकि उसने सभी को उत्तम गर्म वस्त्र दे रख है। |
24. वह अति उत्तम व्यापारी बनती है।
वह वस्त्रों और कमरबंदों को बनाकर के उन्हें व्यापारी लोगों को बेचती है। |
29. उसका पति कहता है, “बहुत सी स्त्रियाँ होती हैं।
किन्तु उन सब में तू ही सर्वोत्तम अच्छी पत्नी है।” |
31. उसे वह प्रतिफल मिलना चाहिये जिसके वह योग्य है, और जो काम उसने किये हैं,
उसके लिये चाहिये कि सारे लोग के बीच में उसकी प्रशंसा करें। PE |