पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
भजन संहिता
1. {(भजनसंहिता 1—41) } [QS]सचमुच वह जन धन्य होगा [QE][QS2]यदि वह दुष्टों की सलाह को न मानें, [QE][QS]और यदि वह किसी पापी के जैसा जीवन न जीए [QE][QS2]और यदि वह उन लोगों की संगति न करे जो परमेश्वर की राह पर नहीं चलते। [QE]
2. [QS]वह नेक मनुष्य है जो यहोवा के उपदेशों से प्रीति रखता है। [QE][QS2]वह तो रात दिन उन उपदेशों का मनन करता है। [QE]
3. [QS]इससे वह मनुष्य उस वृक्ष जैसा सुदृढ़ बनता है [QE][QS2]जिसको जलधार के किनारे रोपा गया है। [QE][QS]वह उस वृक्ष समान है, जो उचित समय में फलता [QE][QS2]और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। [QE][QS]वह जो भी करता है सफल ही होता है। [QE][PBR]
4. [QS]किन्तु दुष्ट जन ऐसे नहीं होते। [QE][QS2]दुष्ट जन उस भूसे के समान होते हैं जिन्हें पवन का झोका उड़ा ले जाता है। [QE]
5. [QS]इसलिए दुष्ट जन न्याय का सामना नहीं कर पायेंगे। [QE][QS2]सज्जनों की सभा में वे दोषी ठहरेंगे और उन पापियों को छोड़ा नहीं जायेगा। [QE]
6. [QS]ऐसा भला क्यों होगा क्योंकि यहोवा सज्जनों की रक्षा करता है [QE][QS2]और वह दुर्जनों का विनाश करता है। [QE][PBR]
Total 150 अध्याय, Selected अध्याय 1 / 150
(भजनसंहिता 1—41) 1 सचमुच वह जन धन्य होगा यदि वह दुष्टों की सलाह को न मानें, और यदि वह किसी पापी के जैसा जीवन न जीए और यदि वह उन लोगों की संगति न करे जो परमेश्वर की राह पर नहीं चलते। 2 वह नेक मनुष्य है जो यहोवा के उपदेशों से प्रीति रखता है। वह तो रात दिन उन उपदेशों का मनन करता है। 3 इससे वह मनुष्य उस वृक्ष जैसा सुदृढ़ बनता है जिसको जलधार के किनारे रोपा गया है। वह उस वृक्ष समान है, जो उचित समय में फलता और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। वह जो भी करता है सफल ही होता है। 4 किन्तु दुष्ट जन ऐसे नहीं होते। दुष्ट जन उस भूसे के समान होते हैं जिन्हें पवन का झोका उड़ा ले जाता है। 5 इसलिए दुष्ट जन न्याय का सामना नहीं कर पायेंगे। सज्जनों की सभा में वे दोषी ठहरेंगे और उन पापियों को छोड़ा नहीं जायेगा। 6 ऐसा भला क्यों होगा क्योंकि यहोवा सज्जनों की रक्षा करता है और वह दुर्जनों का विनाश करता है।
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