1. हे मेरी आत्मा, तू यहोवा के गुण गा! [QBR2] हे मेरी अंग—प्रत्यंग, उसके पवित्र नाम की प्रशंसा कर। [QBR]
2. हे मेरी आत्मा, यहोवा को धन्य कह [QBR2] और मत भूल की वह सचमुच कृपालु है! [QBR]
3. उन सब पापों के लिये परमेश्वर हमको क्षमा करता है जिनको हम करते हैं। [QBR2] हमारी सब व्याधि को वह ठीक करता है। [QBR]
4. परमेश्वर हमारे प्राण को कब्र से बचाता है, [QBR2] और वह हमे प्रेम और करुणा देता है। [QBR]
5. परमेश्वर हमें भरपूर उत्तम वस्तुएँ देता है। [QBR2] वह हमें फिर उकाब सा युवा करता है। [QBR]
6. यहोवा खरा है। [QBR2] परमेश्वर उन लोगों को न्याय देता है, जिन पर दूसरे लोगों ने अत्याचार किये। [QBR]
7. परमेश्वर ने मूसा को व्यवस्था का विधान सिखाया। [QBR2] परमेश्वर जो शक्तिशाली काम करता है, वह इस्राएलियों के लिये प्रकट किये। [QBR]
8. यहोवा करुणापूर्ण और दयालु है। [QBR2] परमेश्वर सहनशील और प्रेम से भरा है। [QBR]
9. यहोवा सदैव ही आलोचना नहीं करता। [QBR2] यहोवा हम पर सदा को कुपित नहीं रहता है। [QBR]
10. हम ने परमेश्वर के विरुद्ध पाप किये, [QBR2] किन्तु परमेश्वर हमें दण्ड नहीं देता जो हमें मिलना चाहिए। [QBR]
11. अपने भक्तों पर परमेश्वर का प्रेम वैसे महान है [QBR2] जैसे धरती पर है ऊँचा उठा आकाश। [QBR]
12. परमेश्वर ने हमारे पापों को हमसे इतनी ही दूर हटाया [QBR2] जितनी पूरब कि दूरी पश्चिम से है। [QBR]
13. अपने भक्तों पर यहोवा वैसे ही दयालु है, [QBR2] जैसे पिता अपने पुत्रों पर दया करता है। [QBR]
14. परमेश्वर हमारा सब कुछ जानता है। [QBR2] परमेश्वर जानता है कि हम मिट्टी से बने हैं। [QBR]
15. परमेश्वर जानता है कि हमारा जीवन छोटा सा है। [QBR2] वह जानता है हमारा जीवन घास जैसा है। [QBR] परमेश्वर जानता है कि हम एक तुच्छ बनफूल से हैं। वह फूल जल्दी ही उगता है। [QBR]
16. फिर गर्म हवा चलती है और वह फूल मुरझाता है। [QBR2] औप फिर शीघ्र ही तुम देख नहीं पातेकि वह फूल कैसे स्थान पर उग रहा था। [QBR]
17. किन्तु यहोवा का प्रेम सदा बना रहता है। [QBR2] परमेश्वर सदा—सर्वदा निज भक्तों से प्रेम करता है [QBR] परमेश्वर की दया उसके बच्चों से बच्चों तक बनी रहती है। [QBR2]
18. परमेश्वर ऐसे उन लोगों पर दयालु है, जो उसकी वाचा को मानते हैं। [QBR2] परमेश्वर ऐसे उन लोगों पर दयालु है जो उसके आदेशों का पालन करते हैं। [QBR]
19. परमेश्वर का सिंहासन स्वर्ग में संस्थापित है। [QBR2] हर वस्तु पर उसका ही शासन है। [QBR]
20. हे स्वर्गदूत, यहोवा के गुण गाओ। [QBR2] हे स्वर्गदूतों, तुम वह शक्तिशाली सैनिक हो जो परमेश्वर के आदेशों पर चलते हो। [QBR2] परमेश्वर की आज्ञाएँ सुनते और पालते हो। [QBR]
21. हे सब उसके सैनिकों, यहोवा के गुण गाओ, तुम उसके सवक हो। [QBR2] तुम वही करते हो जो परमेश्वर चाहता है। [QBR]
22. हर कहीं हर वस्तु यहोवा ने रची है। परमेश्वर का शासन हर कहीं वस्तु पर है। [QBR2] सो हे समूची सृष्टि, यहोवा को तू धन्य कह। [QBR] ओ मेरे मन यहोवा की प्रशंसा कर। [PE]