1. यहोवा की प्रशंसा करो! यहोवा का धन्यवाद करो क्योंकि वह उत्तम है! परमेश्वर का प्रेम सदा ही रहता है!
|
2. सचमुच यहोवा कितना महान है, इसका बखान कोई व्यक्ति कर नहीं सकता। परमेश्वर की पूरी प्रशंसा कोई नहीं कर सकता।
|
5. यहोवा, मुझको भी उन भली बातों में हिस्सा बँटाने दे जिन को तू अपने लोगों के लिये करता है। तू अपने भक्तों के साथ मुझको भी प्रसन्न होने दे। तुझ पर तेरे भक्तों के साथ मुझको भी गर्व करने दे।
|
7. हे यहोवा, मिस्र में हमारे पूर्वजों ने आश्चर्य कर्मो से कुछ भी नहीं सीखा। उन्होंने तेरे प्रेम को और तेरी करूणा को याद नहीं रखा। हमारे पूर्वज वहाँ लाल सागर के किनारे तेरे विरूद्ध हुए।
|
8. किन्तु परमेश्वर ने निज नाम के हेतु हमारे पूर्वजों को बचाया था। परमेश्वर ने अपनी महान शक्ति दिखाने को उनको बचाया था।
|
9. परमेश्वर ने आदेश दिया और लाल सागर सूखा। परमेश्वर हमारे पूर्वजों को उस गहरे समुद्र से इतनी सूखी धरती से निकाल ले आया जैसे मरूभूमि हो।
|
10. परमेश्वर ने हमारे पूर्वजों को उनके शत्रुओं से बचाया! परमेश्वर उनको उनके शत्रुओं से बचा कर निकाल लाया।
|
13. किन्तु हमारे पूर्वज उन बातों को शीघ्र भूले जो परमेश्वर ने की थी। उन्होंने परमेश्वर की सम्मति पर कान नहीं दिया।
|
15. किन्तु हमारे पूर्वजों ने जो कुछ भी माँगा परमेश्वर ने उनको दिया। किन्तु परमेश्वर ने उनको एक महामारी भी दे दी थी।
|
17. सो परमेश्वर ने उन ईर्ष्यालु लोगों को दण्ड दिया। धरती फट गयी और दातान को निगला और फिर धरती बन्द हो गयी। उसने अविराम के समूह को निगल लिया।
|
21. हमारे पूर्वज परमेश्वर को भूले जिसने उन्हें बचाया था। वे परमेशवर के विषय में भूले जिसने मिस्र में आश्चर्य कर्म किये थे।
|
22. परमेश्वर ने हाम के देश में आश्चर्य कर्म किये थे। परमेश्वर ने लाल सागर के पास भय विस्मय भरे काम किये थे।
|
23. परमेश्वर उन लोगों को नष्ट करना चाहता था, किन्तु परमेश्वर के चुने दास मूसा ने उनको रोक दिया। परमेश्वर बहुत कुपित था किन्तु मूसा आड़े आया कि परमेश्वर उन लोगों का कहीं नाश न करे।
|
24. फिर उन लोगों ने उस अद्भुत देश कनान में जाने से मना कर दिया। लोगों को विश्वास नहीं था कि परमेश्वर उन लोगों को हराने में सहायता करेगा जो उस देश में रह रहे थे।
|
27. परमेश्वर ने कसम खाई कि उनकी सन्तानों को अन्य लोगों को हराने देगा। परमेश्वर ने कसम उठाई कि वह हमारे पूर्वजों को देशों में छितरायेगा।
|
28. फिर परमेश्वर के लोग ‘बालपोर’ में ‘बाल’ के पूजने में सम्मिलित हो गये। परमेश्वर के लोग वह माँस खाने लगे जिस को निर्जीव देवताओं पर चढ़ाया गया था।
|
31. किन्तु परमेश्वर जानता था कि पीनहास ने अति उत्तम कर्म किया है। और परमेश्वर उसे सदा सदा याद रखेगा।
|
34. यहोवा ने लोगों से कहा कि कनान में रह रहे अन्य लोगों को वे नष्ट करें। किन्तु इस्राएली लोगों ने परमेश्वर की नहीं मानी।
|
35. इस्राएल के लोग अन्य लोगों से हिल मिल गये, और वे भी वैसे काम करने लगे जैसे अन्य लोग किया करते थे।
|
36. वे अन्य लोग परमेश्वर के जनों के लिये फँदा बन गये। परमेश्वर के लोग उन देवों को पूजने लगेजिनकी वे अन्य लोग पूजा किया करते थे।
|
37. यहाँ तक कि परमेश्वर के जन अपने ही बालकों की हत्या करने लगे। और वे उन बच्चों को उन दानवों की प्रतिमा को अर्पित करने लगे।
|
38. परमेश्वर के लोगों ने अबोध भोले जनों की हत्या की। उन्होंने अपने ही बच्चों को मार डाला और उन झूठे देवों को उन्हें अर्पित किया।
|
39. इस तरह परमेश्वर के जन उन पापों से अशुद्ध हुए जो अन्य लोगों के थे। वे लोग अपने परमेश्वर के अविश्वासपात्र हुए। और वे लोग वैसे काम करने लगे जैसे अन्य लोग करते थे।
|
41. फिर परमेश्वर ने अपने उन लोगों को अन्य जातियों को दे दिया। परमेश्वर ने उन पर उनके शत्रुओं का शासन करा दिया।
|
43. परमेश्वर ने निज भक्तों को बहुत बार बचाया, किन्तु उन्होंने परमेश्वर से मुख मोड़ लिया। और वे ऐसी बातें करने लगे जिन्हें वे करना चाहते थे। परमेश्वर के लोगों ने बहुत बहुत बुरी बातें की।
|
44. किन्तु जब कभी परमेश्वर के जनों पर विपद पड़ी उन्होंने सदा ही सहायाता पाने को परमेश्वर को पुकारा। परमेश्वर ने हर बार उनकी प्रार्थनाएँ सुनी।
|
46. परमेश्वर के भक्तों को उन अन्य लोगों ने बंदी बना लिया, किन्तु परमेश्वर ने उनके मन में उनके लिये दया उपजाई।
|
47. यहोवा हमारे परमेश्वर, ने हमारी रक्षा की। परमेश्वर उन अन्य देशों से हमको एकत्र करके ले आया, ताकि हम उसके पवित्र नाम का गुण गान कर सके: ताकि हम उसके प्रशंसा गीत गा सकें।
|
48. इस्राएल के परमेश्वर यहोवा को धन्य कहो। परमेश्वर सदा ही जीवित रहता आया है। वह सदा ही जीवित रहेगा। और सब जन बोले, “आमीन।” यहोवा के गुण गाओ।
|