3. मैं लगभग मर चुका था। मेरे चारों तरफ मौत के रस्से बंध चुके थे। कब्र मुझको निगल रही थी। मैं भयभीत था और मैं चिंतित था।
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8. हे परमेश्वर, तूने मेरे प्राण मृत्यु से बचाये। मेरे आँसुओं को तूने रोका और गिरने से मुझको तूने थाम लिया।
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14. जो कुछ मन्नतें मैंने मागी हैं वे सभी मैं यहोवा को अर्पित करूँगा, और उसके सभी भक्तों के सामने अब जाऊँगा।
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15. किसी एक की भी मृत्यु जो यहोवा का अनुयायी है, यहोवा के लिये अति महत्त्वपूर्ण है। हे यहोवा, मैं तो तेरा एक सेवक हूँ!
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16. मैं तेरा सेवक हूँ। मैं तेरी किसी एक दासी का सन्तान हूँ। यहोवा, तूने ही मुझको मेरे बंधनों से मुक्त किया!
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18. मैं यहोवा को जो कुछ भी मन्नतें मानी है वे सभी अर्पित करूँगा, और उसके सभी भक्तों के सामने अब जाऊँगा।
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