5. मैं संकट में था सो सहारा पाने को मैंने यहोवा को पुकारा। यहोवा ने मुझको उत्तर दिया और यहोवा ने मुझको मुक्त किया।
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12. शत्रुओं ने मुझे मधु मक्खियों के झुण्ड सा घेरा। किन्तु, वे एक शीघ्र जलती हुई झाड़ी के समान नष्ट हुआ। यहोवा की शक्ति से मैंने उनको हराया।
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13. मेरे शत्रुओं ने मुझ पर प्रहार किया और मुझे लगभग बर्बाद कर दिया किन्तु यहोवा ने मुझको सहारा दिया।
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15. सज्जनों के घर में जो विजय पर्व मन रहा तुम उसको सुन सकते हो। देखो, यहोवा ने अपनी महाशक्ति फिर दिखाई है।
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21. हे यहोवा, मेरी विनती का उत्तर देने के लिये तेरा धन्यवाद। मेरी रक्षा के लिये मैं तुझे धन्यवाद देता हूँ।
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26. उस सब का स्वागत करो जो यहोवा के नाम में आ रहे हैं।” याजकों ने उत्तर दिया, “यहोवा के घर में हम तुम्हारा स्वागत करते हैं!
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27. यहोवा परमेश्वर है, और वह हमें अपनाता है। बलि के लिये मेमने को बाँधों और वेदी के कंगूरों पर मेमने को ले जाओ।”
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