1. हे यहोवा, मैं अभिमानी नहीं हूँ। मैं महत्वपूर्ण होने का जतन नहीं करता हूँ। मैं वो काम करने का जतन नहीं करता हूँ जो मेरे लिये बहुत कठिन हैं। ऐसी उन बातों की मुझे चिंता नहीं है।
2. मैं निश्चल हूँ, मेरी आत्मा शांत है।
3. मेरी आत्मा शांत और अचल है, जैसे कोई शिशु अपनी माता की गोद में तृप्त होता है।