1. हे यहोवा, जैसे दाऊद ने यातनाएँ भोगी थी, उसको याद कर। [QBR]
2. किन्तु दाऊद ने यहोवा की एक मन्नत मानी थी। [QBR2] दाऊद ने इस्राएल के पराक्रमी परमेश्वर की एक मन्नत मानी थी। [QBR]
3. दाऊद ने कहा था: “मैं अपने घर में तब तक न जाऊँगा, [QBR2] अपने बिस्तर पर न ही लेटूँगा, [QBR]
4. न ही सोऊँगा। [QBR2] अपनी आँखों को मैं विश्राम तक न दूँगा। [QBR]
5. इसमें से मैं कोई बात भी नहीं करूँगा जब तक मैं यहोवा के लिए एक भवन न प्राप्त कर लूँ। [QBR2] मैं इस्राएल के शक्तिशाली परमेश्वर के लिए एक मन्दिर पा कर रहूँगा!”
6. एप्राता में हमने इसके विषय में सुना, [QBR2] हमें किरीयथ योरीम के वन में वाचा की सन्दूक मिली थी। [QBR]
7. आओ, पवित्र तम्बू में चलो। [QBR2] आओ, हम उस चौकी पर आराधना करें, जहाँ पर परमेश्वर अपने चरण रखता है। [QBR]
8. हे यहोवा, तू अपनी विश्राम की जगह से उठ बैठ, [QBR2] तू और तेरी सामर्थ्यवान सन्दूक उठ बैठ। [QBR]
9. हे यहोवा, तेरे याजक धार्मिकता धारण किये रहते हैं। [QBR2] तेरे जन बहुत प्रसन्न रहते हैं। [QBR]
10. तू अपने चुने हुये राजा को [QBR2] अपने सेवक दाऊद के भले के लिए नकार मत। [QBR]
11. यहोवा ने दाऊद को एक वचन दिया है कि दाऊद के प्रति वह सच्चा रहेगा। [QBR2] यहोवा ने वचन दिया है कि दाऊद के वंश से राजा आयेंगे। [QBR]
12. यहोवा ने कहा था, “यदि तेरी संतानें मेरी वाचा पर और मैंने उन्हें जो शिक्षाएं सिखाई उन पर चलेंगे तो [QBR2] फिर तेरे परिवार का कोई न कोई सदा ही राजा रहेगा।”
13. अपने मन्दिर की जगह के लिए यहोवा ने सिय्योन को चुना था। [QBR2] यह वह जगह है जिसे वह अपने भवन के लिये चाहता था। [QBR]
14. यहोवा ने कहा था, “यह मेरा स्थान सदा सदा के लिये होगा। [QBR2] मैंने इसे चुना है ऐसा स्थान बनने को जहाँ पर मैं रहूँगा। [QBR]
15. भरपूर भोजन से मैं इस नगर को आशीर्वाद दूँगा, [QBR2] यहाँ तक कि दीनों के पास खाने को भर—पूर होगा। [QBR]
16. याजकोंको मैं उद्धार का वस्त्र पहनाऊँगा, [QBR2] और यहाँ मेरे भक्त बहुत प्रसन्न रहेंगे। [QBR]
17. इस स्थान पर मैं दाऊद को सुदृढ करुँगा। [QBR2] मैं अपने चुने राजा को एक दीपक दूँगा। [QBR]
18. मैं दाऊद के शत्रुओं को लज्जा से ढक दूँगा [QBR2] और दाऊद का राज्य बढाऊँगा।” [PE]