पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
भजन संहिता
1. हे यहोवा, तूने मुझे परखा है। [QBR2] मेरे बारे में तू सब कुछ जानता है। [QBR]
2. तू जानता है कि मैं कब बैठता और कब खड़ा होता हूँ। [QBR2] तू दूर रहते हुए भी मेरी मन की बात जानता है। [QBR]
3. हे यहोवा, तुझको ज्ञान है कि मैं कहाँ जाता और कब लेटता हूँ। [QBR2] मैं जो कुछ करता हूँ सब को तू जानता है। [QBR]
4. हे यहोवा. इससे पहले की शब्द मेरे मुख से निकले तुझको पता होता है [QBR2] कि मैं क्या कहना चाहता हूँ। [QBR]
5. हे यहोवा, तू मेरे चारों ओर छाया है। [QBR2] मेरे आगे और पीछे भी तू अपना निज हाथ मेरे ऊपर हौले से रखता है। [QBR]
6. मुझे अचरज है उन बातों पर जिनको तू जानता है। [QBR2] जिनका मेरे लिये समझना बहुत कठिन है। [QBR]
7. हर जगह जहाँ भी मैं जाता हूँ, वहाँ तेरी आत्मा रची है। [QBR2] हे यहोवा, मैं तुझसे बचकर नहीं जा सकता। [QBR]
8. हे यहोवा, यदि मैं आकाश पर जाऊँ वहाँ पर तू ही है। [QBR2] यदि मैं मृत्यु के देश पाताल में जाऊँ वहाँ पर भी तू है। [QBR]
9. हे यहोवा, यदि मैं पूर्व में जहाँ सूर्य निकलता है जाऊँ [QBR2] वहाँ पर भी तू है। [QBR]
10. वहाँ तक भी तेरा दायाँ हाथ पहुँचाता है। [QBR2] और हाथ पकड़ कर मुझको ले चलता है।
11. हे यहोवा, सम्भव है, मैं तुझसे छिपने का जतन करुँ और कहने लगूँ, [QBR2] “दिन रात में बदल गया है [QBR2] तो निश्चय ही अंधकार मुझको ढक लेगा।” [QBR]
12. किन्तु यहोवा अन्धेरा भी तेरे लिये अंधकार नहीं है। [QBR2] तेरे लिये रात भी दिन जैसी उजली है। [QBR]
13. हे यहोवा, तूने मेरी समूची देह को बनाया। [QBR2] तू मेरे विषय में सबकुछ जानता था जब मैं अभी माता की कोख ही में था। [QBR]
14. हे यहोवा, तुझको उन सभी अचरज भरे कामों के लिये मेरा धन्यवाद, [QBR2] और मैं सचमुच जानता हूँ कि तू जो कुछ करता है वह आश्चर्यपूर्ण है।
15. मेरे विषय में तू सब कुछ जानता है। [QBR2] जब मैं अपनी माता की कोख में छिपा था, जब मेरी देह रूप ले रही थी तभी तूने मेरी हड्डियों को देखा। [QBR]
16. हे यहोवा, तूने मेरी देह को मेरी माता के गर्भ में विकसते देखा। ये सभी बातें तेरी पुस्तक में लिखीं हैं। [QBR2] हर दिन तूने मुझ पर दृष्टी की। एक दिन भी तुझसे नहीं छूटा। [QBR]
17. हे परमेश्वर, तेरे विचार मेरे लिये कितने महत्वपूर्ण हैं। [QBR2] तेरा ज्ञान अपरंपार है। [QBR]
18. तू जो कुछ जानता है, उन सब को यदि मैं गिन सकूँ तो वे सभी धरती के रेत के कणों से अधिक होंगे। [QBR2] किन्तु यदि मैं उनको गिन पाऊँ तो भी मैं तेरे साथ में रहूँगा।
19. हे परमेश्वर, दुर्जन को नष्ट कर। [QBR] उन हत्यारों को मुझसे दूर रख। [QBR2]
20. वे बुरे लोग तेरे लिये बुरी बातें कहते हैं। [QBR2] वे तेरे नाम की निन्दा करते हैं। [QBR]
21. हे यहोवा, मुझको उन लोगों से घृणा है! [QBR2] जो तुझ से घृणा करते हैं मुझको उन लोगों से बैर है जो तुझसे मुड़ जाते हैं। [QBR]
22. मुझको उनसे पूरी तरह घृणा है! [QBR2] तेरे शत्रु मेरे भी शत्रु हैं। [QBR]
23. हे यहोवा, मुझ पर दृष्टि कर और मेरा मन जान ले। [QBR2] मुझ को परख ले और मेरा इरादा जान ले। [QBR]
24. मुझ पर दृष्टि कर और देख कि मेरे विचार बुरे नहीं है। [QBR2] तू मुझको उस पथ पर ले चल जो सदा बना रहता है। [PE]

Notes

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Total 150 अध्याय, Selected अध्याय 139 / 150
भजन संहिता 139:55
1 हे यहोवा, तूने मुझे परखा है। मेरे बारे में तू सब कुछ जानता है। 2 तू जानता है कि मैं कब बैठता और कब खड़ा होता हूँ। तू दूर रहते हुए भी मेरी मन की बात जानता है। 3 हे यहोवा, तुझको ज्ञान है कि मैं कहाँ जाता और कब लेटता हूँ। मैं जो कुछ करता हूँ सब को तू जानता है। 4 हे यहोवा. इससे पहले की शब्द मेरे मुख से निकले तुझको पता होता है कि मैं क्या कहना चाहता हूँ। 5 हे यहोवा, तू मेरे चारों ओर छाया है। मेरे आगे और पीछे भी तू अपना निज हाथ मेरे ऊपर हौले से रखता है। 6 मुझे अचरज है उन बातों पर जिनको तू जानता है। जिनका मेरे लिये समझना बहुत कठिन है। 7 हर जगह जहाँ भी मैं जाता हूँ, वहाँ तेरी आत्मा रची है। हे यहोवा, मैं तुझसे बचकर नहीं जा सकता। 8 हे यहोवा, यदि मैं आकाश पर जाऊँ वहाँ पर तू ही है। यदि मैं मृत्यु के देश पाताल में जाऊँ वहाँ पर भी तू है। 9 हे यहोवा, यदि मैं पूर्व में जहाँ सूर्य निकलता है जाऊँ वहाँ पर भी तू है। 10 वहाँ तक भी तेरा दायाँ हाथ पहुँचाता है। और हाथ पकड़ कर मुझको ले चलता है। 11 हे यहोवा, सम्भव है, मैं तुझसे छिपने का जतन करुँ और कहने लगूँ, “दिन रात में बदल गया है तो निश्चय ही अंधकार मुझको ढक लेगा।” 12 किन्तु यहोवा अन्धेरा भी तेरे लिये अंधकार नहीं है। तेरे लिये रात भी दिन जैसी उजली है। 13 हे यहोवा, तूने मेरी समूची देह को बनाया। तू मेरे विषय में सबकुछ जानता था जब मैं अभी माता की कोख ही में था। 14 हे यहोवा, तुझको उन सभी अचरज भरे कामों के लिये मेरा धन्यवाद, और मैं सचमुच जानता हूँ कि तू जो कुछ करता है वह आश्चर्यपूर्ण है। 15 मेरे विषय में तू सब कुछ जानता है। जब मैं अपनी माता की कोख में छिपा था, जब मेरी देह रूप ले रही थी तभी तूने मेरी हड्डियों को देखा। 16 हे यहोवा, तूने मेरी देह को मेरी माता के गर्भ में विकसते देखा। ये सभी बातें तेरी पुस्तक में लिखीं हैं। हर दिन तूने मुझ पर दृष्टी की। एक दिन भी तुझसे नहीं छूटा। 17 हे परमेश्वर, तेरे विचार मेरे लिये कितने महत्वपूर्ण हैं। तेरा ज्ञान अपरंपार है। 18 तू जो कुछ जानता है, उन सब को यदि मैं गिन सकूँ तो वे सभी धरती के रेत के कणों से अधिक होंगे। किन्तु यदि मैं उनको गिन पाऊँ तो भी मैं तेरे साथ में रहूँगा। 19 हे परमेश्वर, दुर्जन को नष्ट कर। उन हत्यारों को मुझसे दूर रख। 20 वे बुरे लोग तेरे लिये बुरी बातें कहते हैं। वे तेरे नाम की निन्दा करते हैं। 21 हे यहोवा, मुझको उन लोगों से घृणा है! जो तुझ से घृणा करते हैं मुझको उन लोगों से बैर है जो तुझसे मुड़ जाते हैं। 22 मुझको उनसे पूरी तरह घृणा है! तेरे शत्रु मेरे भी शत्रु हैं। 23 हे यहोवा, मुझ पर दृष्टि कर और मेरा मन जान ले। मुझ को परख ले और मेरा इरादा जान ले। 24 मुझ पर दृष्टि कर और देख कि मेरे विचार बुरे नहीं है। तू मुझको उस पथ पर ले चल जो सदा बना रहता है।
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