पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
भजन संहिता
1. बुरा व्यक्ति बहुत बुरा करता है जब वह स्वयं से कहता है, [QBR2] “मैं परमेश्वर का आदर नहीं करता और न ही डरता हूँ।” [QBR]
2. वह मनुष्य स्वयं से झूठ बोलता है। [QBR2] वह मनुष्य स्वयं अपने खोट को नहीं देखता। [QBR2] इसलिए वहक्षमा नहीं माँगता। [QBR]
3. उसके वचन बस व्यर्थ और झूठे होते हैं। [QBR2] वह विवेकी नहीं होता और न ही अच्छे काम सीखता है। [QBR]
4. रात को वह अपने बिस्तर में कुचक्र रचता है। [QBR2] वह जाग कर कोई भी अच्छा काम नहीं करता। [QBR2] वह कुकर्म को छोड़ना नहीं चाहता।
5. हे यहोवा, तेरा सच्चा प्रेम आकाश से भी ऊँचा है। [QBR2] हे यहोवा, तेरी सच्चाई मेघों से भी ऊँची है। [QBR]
6. हे यहोवा, तेरी धार्मिकता सर्वोच्च पर्वत से भी ऊँची है। [QBR2] तेरी शोभा गहरे सागर से गहरी है। [QBR] हे यहोवा, तू मनुष्यों और पशुओ का रक्षक है। [QBR]
7. तेरी करुणा से अधिक मूल्यवान कुछ भी नहीं हैं। [QBR2] मनुष्यऔर दूत तेरे शरणागत हैं। [QBR]
8. हे यहोवा, तेरे मन्दिर की उत्तम बातों से वे नयी शक्ति पाते हैं। [QBR2] तू उन्हें अपने अद्भुत नदी के जल को पीने देता है। [QBR]
9. हे यहोवा, तुझसे जीवन का झरना फूटता है! [QBR2] तेरी ज्योति ही हमें प्रकाश दिखाती है। [QBR]
10. हे यहोवा, जो तुझे सच्चाई से जानते हैं, उनसे प्रेम करता रह। [QBR2] उन लोगों पर तू अपनी निज नेकी बरसा जो तेरे प्रति सच्चे हैं। [QBR]
11. हे यहोवा, तू मुझे अभिमानियों के जाल में मत फँसने दे। [QBR2] दुष्ट जन मुझको कभी न पकड़ पायें।
12. उनके कब्रों के पत्थरो पर यह लिख दे: [QBR2] “दुष्ट लोग यहाँ पर गिरे हैं। [QBR2] वे कुचले गए। [QBR2] वे फिर कभी खड़े नहीं हो पायेंगे।” [PE]

Notes

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भजन संहिता 36:169
1 बुरा व्यक्ति बहुत बुरा करता है जब वह स्वयं से कहता है, “मैं परमेश्वर का आदर नहीं करता और न ही डरता हूँ।” 2 वह मनुष्य स्वयं से झूठ बोलता है। वह मनुष्य स्वयं अपने खोट को नहीं देखता। इसलिए वहक्षमा नहीं माँगता। 3 उसके वचन बस व्यर्थ और झूठे होते हैं। वह विवेकी नहीं होता और न ही अच्छे काम सीखता है। 4 रात को वह अपने बिस्तर में कुचक्र रचता है। वह जाग कर कोई भी अच्छा काम नहीं करता। वह कुकर्म को छोड़ना नहीं चाहता। 5 हे यहोवा, तेरा सच्चा प्रेम आकाश से भी ऊँचा है। हे यहोवा, तेरी सच्चाई मेघों से भी ऊँची है। 6 हे यहोवा, तेरी धार्मिकता सर्वोच्च पर्वत से भी ऊँची है। तेरी शोभा गहरे सागर से गहरी है। हे यहोवा, तू मनुष्यों और पशुओ का रक्षक है। 7 तेरी करुणा से अधिक मूल्यवान कुछ भी नहीं हैं। मनुष्यऔर दूत तेरे शरणागत हैं। 8 हे यहोवा, तेरे मन्दिर की उत्तम बातों से वे नयी शक्ति पाते हैं। तू उन्हें अपने अद्भुत नदी के जल को पीने देता है। 9 हे यहोवा, तुझसे जीवन का झरना फूटता है! तेरी ज्योति ही हमें प्रकाश दिखाती है। 10 हे यहोवा, जो तुझे सच्चाई से जानते हैं, उनसे प्रेम करता रह। उन लोगों पर तू अपनी निज नेकी बरसा जो तेरे प्रति सच्चे हैं। 11 हे यहोवा, तू मुझे अभिमानियों के जाल में मत फँसने दे। दुष्ट जन मुझको कभी न पकड़ पायें। 12 उनके कब्रों के पत्थरो पर यह लिख दे: “दुष्ट लोग यहाँ पर गिरे हैं। वे कुचले गए। वे फिर कभी खड़े नहीं हो पायेंगे।”
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