1. जैसे एक हिरण शीतल सरिता का जल पीने को प्यासा है। [QBR2] वैसे ही, हे परमेश्वर, मेरा प्राण तेरे लिये प्यासा है। [QBR]
2. मेरा प्राण जीवित परमेश्वर का प्यासा है। [QBR2] मै उससे मिलने के लिये कब आ सकता हुँ [QBR]
3. रात दिन मेरे आँसू ही मेरा खाना और पीना है! [QBR2] हर समय मेरे शत्रु कहते हैं, “तेरा परमेश्वर कहाँ है”
4. सो मुझे इन सब बातों को याद करने दे। मुझे अपना हृदय बाहर ऊँडेलने दे। [QBR2] मुझे याद है मैं परमेश्वर के मन्दिर में चला और भीड़ की अगुवाई करता था। [QBR] मुझे याद है वह लोगों के साथ आनन्द भरे प्रशंसा गीत गाना [QBR2] और वह उत्सव मनाना।
5. (5-6) मैं इतना दुखी क्यों हूँ? [QBR2] मैं इतना व्याकुल क्यों हूँ? [QBR] मुझे परमेश्वर के सहारे की बाट जोहनी चाहिए। [QBR2] मुझे अब भी उसकी स्तुति का अवसर मिलेगा। [QBR2] वह मुझे बचाएगा। [QBR] हे मेरे परमेश्वर, मैं अति दुखी हूँ। इसलिए मैंने तुझे यरदन की घाटी में, [QBR2] हेर्मोन की पहाड़ी पर और मिसगार के पर्वत पर से पुकारा। [QBR]
6. जैसे सागर से लहरे उठ उठ कर आती हैं। [QBR2] मैं सागर तंरगों का कोलाहल करता शब्द सुनता हूँ, वैसे ही मुझको विपतियाँ बारम्बार घेरी रहीं। [QBR] हे यहोवा, तेरी लहरों ने मुझको दबोच रखा है। [QBR2] तेरी तरंगों ने मुझको ढाप लिया है।
7. यदि हर दिन यहोवा सच्चा प्रेम दिखएगा, फिर तो मैं रात में उसका गीत गा पाऊँगा। [QBR2] मैं अपने सजीव परमेश्वर की प्रार्थना कर सकूँगा। [QBR]
8. मैं अपने परमेश्वर, अपनी चट्टान से बातें करता हूँ। [QBR2] मैं कहा करता हूँ, “हे यहोवा, तूने मूझको क्यों बिसरा दिया हे [QBR2] यहोवा, तूने मुझको यह क्यों नहीं दिखाया कि मैं अपने शत्रुऔं से बच कैसे निकलूँ?” [QBR]
9. मेरे शत्रुओं ने मुझे मारने का जतन किया। [QBR2] वे मुझ पर निज घृणा दिखाते हैं जब वे कहते हैं, “तेरा परमेश्वर कहाँ है?”
10. मैं इतना दुखी क्यों हूँ? [QBR2] मैं क्यों इतना व्याकुल हूँ? [QBR] मुझे परमेश्वर के सहारे की बाट जोहनी चाहिए। [QBR2] मुझे अब भी उसकी स्तुति करने का अवसर मिलगा। [QBR2] वह मुझे बचाएगा। [PE]
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