1. ईश्वरों के परमेश्वर यहोवा ने कहा है, [QBR2] पूर्व से पश्चिम तक धरती के सब मनुष्यों को उसने बुलाया। [QBR]
2. सिय्योन से परमेश्वर की सुन्दरता प्रकाशित हो रही है। [QBR]
3. हमारा परमेश्वर आ रहा है, और वह चुप नही रहेगा। [QBR2] उसके सामने जलती ज्वाला है, [QBR2] उसको एक बड़ा तूफान घेरे हुए है। [QBR]
4. हमारा परमेश्वर आकाश और धरती को पुकार कर [QBR2] अपने निज लोगों को न्याय करने बुलाता है। [QBR]
5. “मेरे अनुयायियों. मेरे पास जुटों। [QBR2] मेरे उपासकों आओ हमने आपस में एक वाचा किया है।”
6. परमेश्वर न्यायाधीश है, [QBR2] आकाश उसकी धार्मिकता को घोषित करता है।
7. परमेश्वर कहता है, “सुनों मेरे भक्तों! [QBR2] इस्राएल के लोगों, मैं तुम्हारे विरूद्ध साक्षी दूँगा। [QBR2] मैं परमेश्वर हूँ, तुम्हारा परमेश्वर। [QBR]
8. मुझको तुम्हारी बलियों से शिकायत नहीं। [QBR2] इस्राएल के लोगों, तुम सदा होमबलियाँ मुझे चढ़ाते रहो। तुम मुझे हर दिन अर्पित करो। [QBR]
9. मैं तेरे घर से कोई बैल नहीं लूँगा। [QBR2] मैं तेरे पशु गृहों से बकरें नहीं लूँगा। [QBR]
10. मुझे तुम्हारे उन पशुओं की आवश्यकता नहीं। मैं ही तो वन के सभी पशुओं का स्वामी हूँ। [QBR2] हजारों पहाड़ों पर जो पशु विचरते हैं, उन सब का मैं स्वामी हूँ। [QBR]
11. जिन पक्षियों का बसेरा उच्चतम पहाड़ पर है. उन सब को मैं जानता हूँ। [QBR2] अचलों पर जो भी सचल है वे सब मेरे ही हैं। [QBR]
12. मैं भूखा नहीं हूँ! यदि मैं भूखा होता, तो भी तुमसे मुझे भोजन नहीं माँगना पड़ता। [QBR2] मैं जगत का स्वामी हूँ और उसका भी हर वस्तु जो इस जगत में है। [QBR]
13. मैं बैलों का माँस खायानहीं करता हूँ। [QBR] बकरों का रक्त नहीं पीता।”
14. सचमुच जिस बलि की परमेश्वर को अपेक्षा है, वह तुम्हारी स्तुति है। तुम्हारी मनौतियाँ उसकी सेवा की हैं। [QBR2] सो परमेश्वर को निज धन्यवाद की भेटें चढ़ाओ। उस सर्वोच्च से जो मनौतियाँ की हैं उसे पूरा करो। [QBR]
15. “इस्रएल के लोगों, जब तुम पर विपदा पड़े, मेरी प्रार्थना करो, [QBR2] मैं तुम्हें सहारा दूँगा। तब तुम मेरा मान कर सकोगे।”
16. दुष्ट लोगों से परमेश्वर कहता है, [QBR2] “तुम मेरी व्यवस्था की बातें करते हो, [QBR2] तुम मेरे वाचा की भी बातें करते हो। [QBR]
17. फिर जब मैं तुमको सुधारता हूँ, तब भला तुम मुझसे बैर क्यों रखते हो। [QBR2] तुम उन बातों की उपेक्षा क्यों करते हो जिन्हें मैं तुम्हें बताता हूँ [QBR]
18. तुम चोर को देखकर उससे मिलने के लिए दौड़ जाते हो, [QBR2] तुम उनके साथ बिस्तर में कूद पड़ते हो जो व्यभिचार कर रहे हैं। [QBR]
19. तुम बुरे वचन और झूठ बोलते हो। [QBR]
20. तुम दूसरे लोगों की यहाँ तक की [QBR2] अपने भाईयों की निन्दा करते हो। [QBR]
21. तुम बुरे कर्म करते हो, और तुम सोचते हो मुझे चुप रहना चाहिए। [QBR2] तुम कुछ नहीं कहते हो और सोचते हो कि मुझे चुप रहना चहिए। [QBR] देखो, मैं चुप नहीं रहूँगा, तुझे स्पष्ट कर दूँगा। [QBR2] तेरे ही मुख पर तेरे दोष बताऊँगा। [QBR]
22. तुम लोग परमेश्वर को भूल गये हो। [QBR2] इसके पहले कि मैं तुम्हे चीर दूँ, अच्छी तरह समझ लो। [QBR] जब वैसा होगा कोई भी व्यक्ति तुम्हें बचा नहीं पाएगा! [QBR]
23. यदि कोई व्यक्ति मेरी स्तुति और धन्यवादों की बलि चढ़ाये, तो वह सचमुच मेरा मान करेगा। [QBR2] यदि कोई व्यक्ति अपना जीवन बदल डाले तो उसे मैं परमेश्वर की शक्ति दिखाऊँगा जो बचाती है।” [PE]