पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
भजन संहिता
1. न्यायाधीशों, तुम पक्षपात रहित नहीं रहे। [QBR2] तुम लोगों का न्याय निज निर्णयों में निष्पक्ष नहीं करते हो। [QBR]
2. नहीं, तुम तो केवल बुरी बातें ही सोचते हो। [QBR2] इस देश में तुम हिंसापुर्ण अपराध करते हो। [QBR]
3. वे दुष्ट लोग जैसे ही पैदा होते हैं, बुरे कामों को करने लग जाते हैं। [QBR2] वे पैदा होते ही झूठ बोलने लग जाते हैं। [QBR]
4. वे उस भयानक साँप और नाग जैसे होते हैं जो सुन नहीं सकता। [QBR2] वे दुष्ट जन भी अपने कान सत्य से मूंद लेते हैं। [QBR]
5. बुरे लोगवैसे ही होते हैं जैसे सपेरों के गीतों को [QBR2] या उनके संगीतों को काला नाग नहीं सुन सकता।
6. हे यहोवा! वे लोग ऐसे होते हैं जैसे सिंह। [QBR2] इसलिए हे यहोवा, उनके दाँत तोड़। [QBR]
7. जैसे बहता जल विलुप्त हो जाता है, वैसे ही वे लोग लुप्त हो जायें। [QBR2] और जैसे राह की उगी दूब कुचल जाती है, वैसे वे भी कुचल जायें। [QBR]
8. वे घोंघे के समान हो जो चलने में गल जाते। [QBR2] वे उस शिशु से हो जो मरा ही पैदा हुआ, जिसने दिन का प्रकाश कभी नहीं देखा। [QBR]
9. वे उस बाड़ के काँटों की तरह शीघ्र ही नष्ट हो, [QBR2] जो आग पर चढ़ी हाँड़ी गर्माने के लिए शीघ्र जल जाते हैं।
10. जब सज्जन उन लोगों को दण्ड पाते देखता है [QBR2] जिन्होंने उसके साथ बुर किया है, वह हर्षित होता है। [QBR] वह अपना पाँव उन दुष्टों के खून में धोयेगा। [QBR]
11. जब ऐसा होता है, तो लोग कहने लगते है, “सज्जनों को उनका फल निश्चय मिलता है। [QBR2] सचमुच परमेश्वर जगत का न्यायकर्ता है!” [PE]

Notes

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भजन संहिता 58:136
1 न्यायाधीशों, तुम पक्षपात रहित नहीं रहे। तुम लोगों का न्याय निज निर्णयों में निष्पक्ष नहीं करते हो। 2 नहीं, तुम तो केवल बुरी बातें ही सोचते हो। इस देश में तुम हिंसापुर्ण अपराध करते हो। 3 वे दुष्ट लोग जैसे ही पैदा होते हैं, बुरे कामों को करने लग जाते हैं। वे पैदा होते ही झूठ बोलने लग जाते हैं। 4 वे उस भयानक साँप और नाग जैसे होते हैं जो सुन नहीं सकता। वे दुष्ट जन भी अपने कान सत्य से मूंद लेते हैं। 5 बुरे लोगवैसे ही होते हैं जैसे सपेरों के गीतों को या उनके संगीतों को काला नाग नहीं सुन सकता। 6 हे यहोवा! वे लोग ऐसे होते हैं जैसे सिंह। इसलिए हे यहोवा, उनके दाँत तोड़। 7 जैसे बहता जल विलुप्त हो जाता है, वैसे ही वे लोग लुप्त हो जायें। और जैसे राह की उगी दूब कुचल जाती है, वैसे वे भी कुचल जायें। 8 वे घोंघे के समान हो जो चलने में गल जाते। वे उस शिशु से हो जो मरा ही पैदा हुआ, जिसने दिन का प्रकाश कभी नहीं देखा। 9 वे उस बाड़ के काँटों की तरह शीघ्र ही नष्ट हो, जो आग पर चढ़ी हाँड़ी गर्माने के लिए शीघ्र जल जाते हैं। 10 जब सज्जन उन लोगों को दण्ड पाते देखता है जिन्होंने उसके साथ बुर किया है, वह हर्षित होता है। वह अपना पाँव उन दुष्टों के खून में धोयेगा। 11 जब ऐसा होता है, तो लोग कहने लगते है, “सज्जनों को उनका फल निश्चय मिलता है। सचमुच परमेश्वर जगत का न्यायकर्ता है!”
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