1. हे परमेश्वर, तू मुझको मेरे शत्रुओं से बचा ले। मेरी सहायता उनसे विजयी बनने में कर जो मेरे विरूद्ध में युद्ध करने आये हैं।
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3. देख! मेरी घात में बलवान लोग हैं। वे मुझे मार डालने की बाट जोह रहे हैं। इसलिए नहीं कि मैंने कोई पाप किया अथवा मुझसे कोई अपराध बन पड़ा है।
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4. वे मेरे पीछे पड़े हैं, किन्तु मैंने कोई भी बुरा काम नहीं किया है। हे यहोवा, आ! तू स्वयं अपने आप देख ले!
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5. हे परमेश्वर! इस्राएल के परमेश्वर! तू सर्वशक्ति शाली है। तू उठ और उन लोगों को दण्डित कर। उन विश्वासघातियों उन दुर्जनों पर किंचित भी दया मत दिखा।
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6. वे दुर्जन साँझ के होते ही नगर में घुस आते हैं। वे लोग गुरर्ते कुत्तों से नगर के बीच में घूमते रहते हैं।
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7. तू उनकी धमकियों और अपमानों को सुन। वे ऐसी क्रूर बातें कहा करते हैं। वे इस बात की चिंता तक नहीं करते कि उनकी कौन सुनता है।
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9. हे परमेश्वर, तू मेरी शक्ति है। मैं तेरी बाट जोह रहा हूँ। हे परमेश्वर, तू ऊँचे पहाड़ों पर मेरा सुरक्षा स्थान है।
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10. परमेश्वर, मुझसे प्रेम करता है, और वह जीतने में मेरा सहाय होगा। वह मेरे शत्रुओं को पराजित करने में मेरी सहायता करेगा।
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11. जब ऐसा होता है, तो लोग कहने लगते है, “सज्जनों को उनका फल निश्चय मिलता है। सचमुच परमेश्वर जगत का न्यायकर्ता है!” का उस समय का एक भक्ति गीत जब शाऊल ने लोगों को दाऊद के घर पर निगरानी रखते हुए उसे मार डालने की जुगत करने के लिये भेजा था।
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12. वे बुरे लोग कोसते और झूठ बोलते रहते हैं। उन बुरी बातों का दण्ड उनको दे, जो उन्होंने कही हैं। उनको अपने अभिमान में फँसने दे।
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13. तू अपने क्रोध से उनको नष्ट कर। उन्हें पूरी तरह नष्ट कर! लोग तभी जानेंगे कि परमेश्वर, याकूब के लोगों का और वह सारे संसर का राजा है।
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15. तो वे खाने को कोई वस्तु ढूँढते फिरेंगे, और खाने को कुछ भी नहीं पायेंगे और न ही सोने का कोई ठौर पायेंगे।
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16. किन्तु मैं तेरी प्रशंसा के गीत गाऊँगा। हर सुबह मैं तेरे प्रेम में आनन्दित होऊँगा। क्यों क्योंकि तू पर्वतों के ऊपर मेरा शरणस्थल है। मैं तेरे पास आ सकता हूँ, जब मुझे विपत्तियाँ घेरेंगी।
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