पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
भजन संहिता
1. हे परमेश्वर, उठ, अपने शत्रु को तितर बितर कर। [QBR2] उसके सभी शत्रु उसके पास से भाग जायें। [QBR]
2. जैसे वायु से उड़ाया हुआ धुँआ बिखर जाता है, [QBR2] वैसे ही तेरे शत्रु बिखर जायें। [QBR] जैसे अग्नि में मोम पिघल जाती है, [QBR2] वैसे ही तेरे शत्रुओं का नाश हो जाये। [QBR]
3. परमेश्वर के साथ सज्जन सुखी होते हैं, और सज्जन सुखद पल बिताते। [QBR2] सज्जन अपने आप आनन्द मनाते और स्वयं अति प्रसन्न रहते हैं। [QBR]
4. परमेश्वर के गीत गाओ। उसके नाम का गुणगान करों। [QBR2] परमेश्वर के निमित राह तैयार करों। [QBR] निज रथ पर सवार होकर, वह मरूभूमि पार करता। [QBR2] याह के नाम का गुण गाओ! [QBR]
5. परमेश्वर अपने पवित्र मन्दिर में, [QBR2] पिता के समान अनाथों का और विधवाओं का ध्यान रखता है। [QBR]
6. जिसका कोई घर नहीं होता, ऐसे अकेले जन को परमेश्वर घर देता है। [QBR2] निज भक्तों को परमेश्वर बंधन मुक्त करता है। वे अति प्रसन्न रहते हैं। [QBR2] किन्तु जो परमेश्वर के विरूद्ध होते, उनको तपती हुयी धरती पर रहना होगा।
7. हे परमेश्वर, तूने निज भक्तों को मिस्र से निकाला [QBR2] और मरूभूमि से पैदल ही पार निकाला। [QBR]
8. इस्राएल का परमेश्वर जब सिय्योन पर्वत पर आया था, [QBR2] धरती काँप उठी थी, और आकाश पिघला था। [QBR]
9. हे परमेश्वर, वर्षा को तूने भेजा था, [QBR2] और पुरानी तथा दुर्बल पड़ी धरती को तूने फिर सशक्त किया। [QBR]
10. उसी धरती पर तेरे पशु वापस आ गये। [QBR2] हे परमेश्वर, वहाँ के दीन लोगों को तूने उत्तम वस्तुएँ दी। [QBR]
11. परमेश्वर ने आदेश दिया [QBR2] और बहुत जन सुसन्देश को सुनाने गये; [QBR]
12. “बलशाली राजाओं की सेनाएं इधर—उधर भाग गयी! [QBR2] युद्ध से जिन वस्तुओं को सैनिक लातें हैं, उनको घर पर रूकी स्त्रियाँ बाँट लेंगी। जो लोग घर में रूके हैं, वे उस धन को बाँट लेंगे। [QBR]
13. वे चाँदी से मढ़े हुए कबुतर के पंख पायेंगे। [QBR2] वे सोने से चमकते हुए पंखों को पायेंगे।”
14. परमेश्वर ने जब सल्मूल पर्वत पर शत्रु राजाओं को बिखेरा, [QBR2] तो वे ऐसे छितराये जैसे हिम गिरता है। [QBR]
15. बाशान पर्वत, महान पर्वत है, [QBR2] जिसकी चोटियाँ बहुत सी हैं। [QBR]
16. बाशान पर्वत, तुम क्यों सिय्योन पर्वत को छोटा समझते हो [QBR2] परमेश्वर उससे प्रेम करता है। [QBR2] परमेश्वर ने उसे वहाँ सदा रहने के लिए चुना है। [QBR]
17. यहोवा पवित्र पर्वत सिय्योन पर आ रहा है। [QBR2] और उसके पीछे उसके लाखों ही रथ हैं [QBR]
18. वह ऊँचे पर चढ़ गया। [QBR2] उसने बंदियों कि अगुवाई की; [QBR] उसने मनुष्यों से यहाँ तक कि [QBR2] अपने विरोधियों से भी भेंटे ली। [QBR] यहोवा परमेश्वर वाहाँ रहने गया। [QBR]
19. यहोवा के गुण गाओ! [QBR2] वह प्रति दिन हमारी, हमारे संग भार उठाने में सहायता करता है। [QBR2] परमेश्वर हमारी रक्षा करता है!
20. वह हमारा परमेश्वर है। [QBR] वह वही परमेश्वर है जो हमको बचाता है। [QBR2] हमारा यहोवा परमेश्वर मृत्यु से हमारी रक्षा करता है! [QBR]
21. परमेश्वर दिखा देगा कि अपने शत्रुओं को उसने हरा दिया है। [QBR2] ऐसे उन व्यक्तियों को जो उसके विरूद्ध लड़े, वह दण्ड देगा। [QBR]
22. मेरे स्वमी ने कहा, “मैं बाशान से शत्रु को वापस लाऊँगा, [QBR2] मैं शत्रु को समुद्र की गहराई से वापस लाऊँगा, [QBR]
23. ताकि तुम उनके रक्त में विचर सको, [QBR2] तुम्हारे कुत्ते उनका रक्त चाट जायें।”
24. लोग देखते हैं, परमेश्वर को विजय अभियान की अगुवाई करते हुए। [QBR2] लोग मेरे पवित्र परमेश्वर, मेरे राजा को विजय अभियान का अगुवाई करते देखते हैं। [QBR]
25. आग—आगे गायकों की मण्डली चलती है, पीछे—पीछे वादकों की मण्डली आ रही हैं, [QBR2] और बीच में कुमारियाँ तम्बूरें बजा रही है। [QBR]
26. परमेश्वर की प्रशंसा महासभा के बीच करो! [QBR2] इस्राएल के लोगों, तुम यहोवा के गुण गाओ! [QBR]
27. छोटा बिन्यामीन उनकी अगुवायी कर रहा है। [QBR2] यहूदा का बड़ा परीवार वहाँ है। [QBR2] जबूलून तथा नपताली के नेता वहाँ पर हैं।
28. हे परमेश्वर, हमें निज शक्ति दिखा। [QBR2] हमें वह निज शक्ति दिखा जिसका उपयोग तूने हमारे लिए बीते हुए काल में किया था। [QBR]
29. राजा लोग, यरूशलेम में तेरे मन्दिर के लिए [QBR2] निज सम्पति लायेंगे। [QBR]
30. उन “पशुओं” से काम वांछित कराने के लिये निज छड़ी का प्रयोग कर। [QBR2] उन जातियों के “बैलो” और “गायों” को आज्ञा मानने वालें बना। [QBR] तूने जिन राष्ट्रों को युद्ध में हराया [QBR2] अब तू उनसे चाँदी मंगवा ले। [QBR]
31. तू उनसे मिस्र से धन मँगवा ले। [QBR2] हे परमेश्वर, तू अपने धन कूश से मँगवा ले। [QBR]
32. धरती के राजाओं, परमेश्वर के लिए गाओं! [QBR2] हमारे स्वामी के लिए तुम यशगान गाओ!
33. परमेश्वर के लिए गाओ! वह रथ पर चढ़कर सनातन आकाशों से निकलता है। [QBR2] तुम उसके शक्तिशाली स्वर को सुनों! [QBR]
34. इस्राएल का परमेश्वर तुम्हारे किसी भी देवों से अधिक बलशाली है। [QBR2] वह जो निज भक्तों को सुदृढ़ बनाता। [QBR]
35. परमेश्वर अपने मन्दिर में अदृभुत है। [QBR2] इस्राएल का परमेश्वर भक्तों को शक्ति और सामर्थ्य देता है। परमेश्वर के गुण गाओ! [PE]

Notes

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भजन संहिता 68:87
1 हे परमेश्वर, उठ, अपने शत्रु को तितर बितर कर। उसके सभी शत्रु उसके पास से भाग जायें। 2 जैसे वायु से उड़ाया हुआ धुँआ बिखर जाता है, वैसे ही तेरे शत्रु बिखर जायें। जैसे अग्नि में मोम पिघल जाती है, वैसे ही तेरे शत्रुओं का नाश हो जाये। 3 परमेश्वर के साथ सज्जन सुखी होते हैं, और सज्जन सुखद पल बिताते। सज्जन अपने आप आनन्द मनाते और स्वयं अति प्रसन्न रहते हैं। 4 परमेश्वर के गीत गाओ। उसके नाम का गुणगान करों। परमेश्वर के निमित राह तैयार करों। निज रथ पर सवार होकर, वह मरूभूमि पार करता। याह के नाम का गुण गाओ! 5 परमेश्वर अपने पवित्र मन्दिर में, पिता के समान अनाथों का और विधवाओं का ध्यान रखता है। 6 जिसका कोई घर नहीं होता, ऐसे अकेले जन को परमेश्वर घर देता है। निज भक्तों को परमेश्वर बंधन मुक्त करता है। वे अति प्रसन्न रहते हैं। किन्तु जो परमेश्वर के विरूद्ध होते, उनको तपती हुयी धरती पर रहना होगा। 7 हे परमेश्वर, तूने निज भक्तों को मिस्र से निकाला और मरूभूमि से पैदल ही पार निकाला। 8 इस्राएल का परमेश्वर जब सिय्योन पर्वत पर आया था, धरती काँप उठी थी, और आकाश पिघला था। 9 हे परमेश्वर, वर्षा को तूने भेजा था, और पुरानी तथा दुर्बल पड़ी धरती को तूने फिर सशक्त किया। 10 उसी धरती पर तेरे पशु वापस आ गये। हे परमेश्वर, वहाँ के दीन लोगों को तूने उत्तम वस्तुएँ दी। 11 परमेश्वर ने आदेश दिया और बहुत जन सुसन्देश को सुनाने गये; 12 “बलशाली राजाओं की सेनाएं इधर—उधर भाग गयी! युद्ध से जिन वस्तुओं को सैनिक लातें हैं, उनको घर पर रूकी स्त्रियाँ बाँट लेंगी। जो लोग घर में रूके हैं, वे उस धन को बाँट लेंगे। 13 वे चाँदी से मढ़े हुए कबुतर के पंख पायेंगे। वे सोने से चमकते हुए पंखों को पायेंगे।” 14 परमेश्वर ने जब सल्मूल पर्वत पर शत्रु राजाओं को बिखेरा, तो वे ऐसे छितराये जैसे हिम गिरता है। 15 बाशान पर्वत, महान पर्वत है, जिसकी चोटियाँ बहुत सी हैं। 16 बाशान पर्वत, तुम क्यों सिय्योन पर्वत को छोटा समझते हो परमेश्वर उससे प्रेम करता है। परमेश्वर ने उसे वहाँ सदा रहने के लिए चुना है। 17 यहोवा पवित्र पर्वत सिय्योन पर आ रहा है। और उसके पीछे उसके लाखों ही रथ हैं 18 वह ऊँचे पर चढ़ गया। उसने बंदियों कि अगुवाई की; उसने मनुष्यों से यहाँ तक कि अपने विरोधियों से भी भेंटे ली। यहोवा परमेश्वर वाहाँ रहने गया। 19 यहोवा के गुण गाओ! वह प्रति दिन हमारी, हमारे संग भार उठाने में सहायता करता है। परमेश्वर हमारी रक्षा करता है! 20 वह हमारा परमेश्वर है। वह वही परमेश्वर है जो हमको बचाता है। हमारा यहोवा परमेश्वर मृत्यु से हमारी रक्षा करता है! 21 परमेश्वर दिखा देगा कि अपने शत्रुओं को उसने हरा दिया है। ऐसे उन व्यक्तियों को जो उसके विरूद्ध लड़े, वह दण्ड देगा। 22 मेरे स्वमी ने कहा, “मैं बाशान से शत्रु को वापस लाऊँगा, मैं शत्रु को समुद्र की गहराई से वापस लाऊँगा, 23 ताकि तुम उनके रक्त में विचर सको, तुम्हारे कुत्ते उनका रक्त चाट जायें।” 24 लोग देखते हैं, परमेश्वर को विजय अभियान की अगुवाई करते हुए। लोग मेरे पवित्र परमेश्वर, मेरे राजा को विजय अभियान का अगुवाई करते देखते हैं। 25 आग—आगे गायकों की मण्डली चलती है, पीछे—पीछे वादकों की मण्डली आ रही हैं, और बीच में कुमारियाँ तम्बूरें बजा रही है। 26 परमेश्वर की प्रशंसा महासभा के बीच करो! इस्राएल के लोगों, तुम यहोवा के गुण गाओ! 27 छोटा बिन्यामीन उनकी अगुवायी कर रहा है। यहूदा का बड़ा परीवार वहाँ है। जबूलून तथा नपताली के नेता वहाँ पर हैं। 28 हे परमेश्वर, हमें निज शक्ति दिखा। हमें वह निज शक्ति दिखा जिसका उपयोग तूने हमारे लिए बीते हुए काल में किया था। 29 राजा लोग, यरूशलेम में तेरे मन्दिर के लिए निज सम्पति लायेंगे। 30 उन “पशुओं” से काम वांछित कराने के लिये निज छड़ी का प्रयोग कर। उन जातियों के “बैलो” और “गायों” को आज्ञा मानने वालें बना। तूने जिन राष्ट्रों को युद्ध में हराया अब तू उनसे चाँदी मंगवा ले। 31 तू उनसे मिस्र से धन मँगवा ले। हे परमेश्वर, तू अपने धन कूश से मँगवा ले। 32 धरती के राजाओं, परमेश्वर के लिए गाओं! हमारे स्वामी के लिए तुम यशगान गाओ! 33 परमेश्वर के लिए गाओ! वह रथ पर चढ़कर सनातन आकाशों से निकलता है। तुम उसके शक्तिशाली स्वर को सुनों! 34 इस्राएल का परमेश्वर तुम्हारे किसी भी देवों से अधिक बलशाली है। वह जो निज भक्तों को सुदृढ़ बनाता। 35 परमेश्वर अपने मन्दिर में अदृभुत है। इस्राएल का परमेश्वर भक्तों को शक्ति और सामर्थ्य देता है। परमेश्वर के गुण गाओ!
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