1. सचमुच, इस्राएल के प्रति परमेश्वर भला है। परमेश्वर उन लोगों के लिए भला होता है जिनके हृदय स्वच्छ है।
|
3. जब मैंने देखा कि पापी सफल हो रहे हैं और शांति से रह रहे हैं, तो उन अभिमानी लोगों से मुझको जलन हुयी।
|
5. वे अभिमानी लोग पीड़ायें नहीं उठाते है। जैसे हमलोग दु;ख झेलते हैं, वैसे उनको औरों की तरह यातनाएँ नहीं होती।
|
6. इसलिए वे अहंकार से भरे रहते हैं। और वे घृणा से भरे हुए रहते हैं। ये वैसा ही साफ दिखता है, जैसे रत्न और वे सुन्दर वस्र जिनको वे पहने हैं।
|
7. वे लोग ऐसे है कि यदि कोई वस्तु देखते हैं और उनको पसन्द आ जाती है, तो उसे बढ़कर झपट लेते हैं। वे वैसे ही करते हैं, जैसे उन्हें भाता है।
|
8. वे दूसरों के बारें में क्रूर बातें और बुरी बुरी बातें कहते है। वे अहंकारी और हठी है। वे दूसरे लोगों से लाभ उठाने का रास्ता बनाते है।
|
10. यहाँ तक कि परमेश्वर के जन, उन दुष्टों की ओर मुड़ते और जैसा वे कहते है, वैसा विश्वास कर लेते हैं।
|
15. हे परमेश्वर, मैं ये बातें दूसरो को बताना चाहता था। किन्तु मैं जानता था और मैं ऐसे ही तेरे भक्तों के विरूद्ध हो जाता था।
|
18. हे परमेश्वर, सचमुच तूने उन लोगों को भयंकर परिस्थिति में रखा है। उनका गिर जाना बहुत ही सरल है। उनका नष्ट हो जाना बहुत ही सरल है।
|
19. सहसा उन पर विपत्ति पड़ सकती है, और वे अहंकारी जन नष्ट हो जाते हैं। उनके साथ भयंकर घटनाएँ घट सकती हैं, और फिर उनका अंत हो जाता है।
|
20. हे यहोवा, वे मनुष्य ऐसे होंगे जैसे स्वप्न जिसको हम जागते ही भुल जाते हैं। तू ऐसे लोगों को हमारे स्वप्न के भयानक जन्तु की तरह अदृश्य कर दे।
|
23. वह सब कुछ मेरे पास है, जिसकी मुझे अपेक्षा है। मैं तेरे साथ हरदम हूँ। हे परमेश्वर, तू मेरा हाथ थामें है।
|
24. हे परमेश्वर, तू मुझे मार्ग दिखलाता, और मुझे सम्मति देता है। अंत में तू अपनी महिमा में मेरा नेतृत्व करेगा।
|
26. चाहे मेरा मन टूट जाये और मेरी काया नष्ट हो जाये किन्तु वह चट्टान मेरे पास है, जिसे मैं प्रेम करता हूँ। परमेश्वरमेरे पास सदा है!
|
27. परमेश्वर, जो लोग तुझको त्यागते हैं, वे नष्ट हो जाते है। जिनका विश्वास तुझमें नहीं तू उन लोगों को नष्ट कर देगा।
|
28. किन्तु, मैं परमेश्वर के निकट आया। मेरे साथ परमेश्वर भला है, मैंने अपना सुरक्षास्थान अपने स्वामी यहोवा को बनाया है। हे परमेश्वर, मैं उन सभी बातों का बखान करूँगा जिनको तूने किया है।
|