1. हे परमेश्वर, क्या तूने हमें सदा के लिये बिसराया हैय? [QBR2] क्योंकि तू अभी तक अपने निज जनों से क्रोधित है? [QBR]
2. उन लोगों को स्मरण कर जिनको तूने बहुत पहले मोल लिया था। [QBR2] हमको तूने बचा लिया था। हम तेरे अपने हैं। [QBR] याद कर तेरा निवास सिय्योन के पहाड़ पर था। [QBR]
3. हे परमेश्वर, आ और इन अति प्राचीन खण्डहरों से हो कर चल। [QBR2] तू उस पवित्र स्थान पर लौट कर आजा जिसको शत्रु ने नष्ट कर दिया है।
4. मन्दिर में शत्रुओं ने विजय उद्घोष किया। [QBR2] उन्होंने मन्दिर में निज झंडों को यह प्रकट करने के लिये गाड़ दिया है कि उन्होंने युद्ध जीता है। [QBR]
5. शत्रुओं के सैनिक ऐसे लग रहे थे, [QBR2] जैसे कोई खुरपी खरपतवार पर चलाती हो। [QBR]
6. हे परमेश्वर, इन शत्रु सैनिकों ने निज कुल्हाडे और फरसों का प्रयोग किया, [QBR2] और तेरे मन्दिर की नक्काशी फाड़ फेंकी। [QBR]
7. परमेश्वर इन सैनिकों ने तेरा पवित्र स्थान जला दिया। [QBR2] तेरे मन्दिर को धूल में मिला दिया, [QBR2] जो तेरे नाम को मान देने हेतु बनाया गया था। [QBR]
8. उस शत्रु ने हमको पूरी तरह नष्ट करने की ठान ली थी। [QBR2] सो उन्होंने देश के हर पवित्र स्थल को फूँक दिया। [QBR]
9. कोई संकेत हम देख नहीं पाये। [QBR2] कोई भी नबी बच नहीं पाया था। [QBR2] कोई भी जानता नहीं था क्या किया जाये। [QBR]
10. हे परमेश्वर, ये शत्रु कब तक हमारी हँसी उड़ायेंगे [QBR2] क्या तू इन शत्रुओं को तेरे नाम का अपमान सदा सर्वदा करने देगा। [QBR]
11. हे परमेश्वर, तूने इतना कठिन दण्ड हमकों [QBR2] क्यों दिया तूने अपनी महाशक्ति का प्रयोग किया और हमें पूरी तरह नष्ट किया! [QBR]
12. हे परमेश्वर, बहुत दिनों से तू ही हमारा शासक रहा। [QBR2] इस देश में तूने अनेक युद्ध जीतने में हमारी सहायता की। [QBR]
13. हे परमेश्वर, तूने अपनी महाशक्ति से लाल सागर के दो भाग कर दिये। [QBR]
14. तूने विशालकाय समुद्री दानवों को पराजित किया! [QBR2] तूने लिव्यातान के सिर कुचल दिये, और उसके शरीर को जंगली पशुओं को खाने के लिये छोड़ दिया। [QBR]
15. तूने नदी, झरने रचे, फोड़कर जल बहाया। [QBR2] तूने उफनती हुई नदियों को सुखा दिया। [QBR]
16. हे परमेश्वर, तू दिन का शासक है, और रात का भी शासक तू ही है। [QBR2] तूने ही चाँद और सूरज को बनाया। [QBR]
17. तू धरती पर सब की सीमाएं बाँधता है। [QBR2] तूने ही गर्मी और सर्दी को बनाया। [QBR]
18. हे परमेश्वर, इन बातों को याद कर। और याद कर कि शत्रु ने तेरा अपमान किया है। [QBR2] वे मूर्ख लोग तेरे नाम से बैर रखते हैं! [QBR]
19. हे परमेश्वर, उन जंगली पशुओं को निज कपोत मत लेने दे! [QBR2] अपने दीन जनों को तू सदा मत बिसरा। [QBR]
20. हमने जो आपस में वाचा की है उसको याद कर, [QBR2] इस देश में हर किसी अँधेरे स्थान पर हिंसा है। [QBR]
21. हे परमेश्वर, तेरे भक्तों के साथ अत्याचार किये गये, [QBR2] अब उनको और अधिक मत सताया जाने दे। [QBR2] तेरे असहाय दीन जन, तेरे गुण गाते है। [QBR]
22. हे परमेश्वर, उठ और प्रतिकार कर! [QBR2] स्मरण कर की उन मूर्ख लोगों ने सदा ही तेरा अपमान किया है। [QBR]
23. वे बुरी बातें मत भूल जिन्हें तेरे शत्रुओं ने प्रतिदिन तेरे लिये कही। [QBR2] भूल मत कि वे किस तरह से युद्ध करते समय गुरर्ये। [PE]