1. हे यहोवा, मेरे स्वामी, तेरा नाम सारी धरती पर अति अद्भुत है। तेरा नाम स्वर्ग में हर कहीं तुझे प्रशंसा देता है।
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2. बालकों और छोटे शिशुओं के मुख से, तेरे प्रशंसा के गीत उच्चरित होते हैं। तू अपने शत्रुओं को चुप करवाने के लिये ऐसा करता है।
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3. हे यहोवा, जब मेरी दृष्टि गगन पर पड़ती है, जिसको तूने अपने हाथों से रचा है और जब मैं चाँद तारों को देखता हूँ जो तेरी रचना है, तो मैं अचरज से भर उठता हूँ।
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4. लोग तेरे लिये क्यों इतने महत्त्वपूर्ण हो गये तू उनको याद भी किस लिये करता है मनुष्य का पुत्र तेरे लिये क्यों महत्त्वपूर्ण है क्यों तू उन पर ध्यान तक देता है
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5. किन्तु तेरे लिये मनुष्य महत्त्वपूर्ण है! तूने मनुष्य को ईश्वर का प्रतिरुप बनाया है, और उनके सिर पर महिमा और सम्मान का मुकुट रखा है।
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