3. वे तेरे भक्तों के विरूद्ध षड़यन्त्र रचते हैं। तेरे शत्रु उन लोगों के विरोध में जो तुझको प्यारे हैं योजनाएँ बना रहे हैं।
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4. वे शत्रु कह रहे हैं, “आओ, हम उन लोगों को पूरी तरह मिटा डाले, फिर कोई भी व्यक्ति ‘इस्राएल’ का नाम याद नहीं करेगा।”
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5. हे परमेश्वर, वे सभी लोग तेरे विरोध में और तेरे उस वाचा के विरोध में जो तूने हमसे किया है, युद्ध करने के लिये एक जुट हो गए।
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6. ये शत्रु हमसे युद्ध करने के लिये एक जुट हुए हैं: एदोमी, इश्माएली, मोआबी और हाजिरा की संताने, गबाली और
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11. हे परमेश्वर, तू शत्रुओं के सेनापति को वैसे पराजित कर जैसे तूने ओरेब और जायेब के साथ किया था, कर जैसे तूने जेबह और सलमुन्ना के साथ किया।
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13. उन लोगों को तू उखड़े हुए पौधा सा बना जिसको पवन उड़ा ले जाती है। उन लोगों को ऐसे बिखेर दे जैसे भूसे को आँधी बिखेर देती है।
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15. हे परमेश्वर, उन लोगों का पीछा कर भगा दे, जैसे आँधी से धूल उड़ जाती है। उनको कँपा और फूँक में उड़ा दे जैसे चक्रवात करता है।
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16. हे परमेश्वर, उनको ऐसा पाठ पढ़ा दे, कि उनको अहसास हो जाये कि वे सचमुच दुर्बल हैं। तभी वे तेरे काम को पूजना चाहेंगे!
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18. वे लोग तभी जानेंगे कि तू परमेश्वर है। तभी वे जानेंगे तेरा नाम यहोवा है। तभी वे जानेंगे तू ही सारे जगत का परम परमेश्वर है!
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