1. हे यहोवा, तू ही एक परमेश्वर है जो लोगों को दण्ड देता है। तू ही एक परमेश्वर है जो आता है और लोगों के लिये दण्ड लाता है।
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6. वे दुष्ट लोग विधवाओं और उन अतिथियों की जो उनके देश में ठहरे हैं, हत्या करते हैं। वे उन अनाथ बालकों की जिनके माता पिता नहीं हैं हत्या करते हैं।
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7. वे कहा करते हैं, यहोवा उनको बुरे काम करते हुए देख नहीं सकता। और कहते हैं, इस्राएल का परमेश्वर उन बातों को नहीं समझता है, जो घट रही हैं।
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8. अरे ओ दुष्ट जनों तुम बुद्धिहीन हो। तुम कब अपना पाठ सीखोगे अरे ओ दुर्जनों तुम कितने मूर्ख हो! तुम्हें समझने का जतन करना चाहिए।
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9. परमेश्वर ने हमारे कान बनाएँ हैं, और निश्चय ही उसके भी कान होंगे। सो वह उन बातों को सुन सकता है, जो घटिन हो रहीं हैं। परमेश्वर ने हमारी आँखें बनाई हैं, सो निश्चय ही उसकी भी आँख होंगी। सो वह उन बातों को देख सकता है, जो घटित हो रही है।
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10. परमेश्वर उन लोगों को अनुशासित करेगा। परमेश्वर उन लोगों को उन सभी बातों की शिक्षा देगा जो उन्हें करनी चाहिए।
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11. सो जिन बातों को लोग सोच रहे हैं, परमेश्वर जानता है, और परमेश्वर यह जानता है कि लोग हवा की झोंके हैं।
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13. हे परमेश्वर, जब उस जन पर दु:ख आयेंगे तब तू उस जन को शांत होने में सहायक होगा। तू उसको शांत रहने में सहायता देगा जब तक दुष्ट लोग कब्र में नहीं रख दिये जायेंगे।
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16. मुझको दुष्टों के विरूद्ध युद्ध करने में किसी व्यक्ति ने सहारा नहीं दिया। कुकर्मियों के विरूद्ध युद्ध करने में किसी ने मेरा साथ नहीं दिया।
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20. हे यहोवा, तू कुटिल न्यायाधीशों की सहायता नहीं करता। वे बुरे न्यायाधीश नियम का उपयोग लोगों का जीवन कठिन बनाने में करते हैं।
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21. वे न्यायाधीश सज्जनों पर प्रहार करते हैं। वे कहते हैं कि निर्दोष जन अपराधी हैं। और वे उनको मार डालते हैं।
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23. परमेश्वर उन न्यायाधीशों को उनके बुरे कामों का दण्ड देगा। परमेश्वर उनको नष्ट कर देगा। क्योंकि उन्होंने पाप किया है। हमारा परमेश्वर यहोवा उन दुष्ट न्यायाधीशों को नष्ट कर देगा।
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