पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
भजन संहिता
1. आओ हम यहोवा के गुण गाएं! [QBR2] आओ हम उस चट्टान का जय जयकार करें जो हमारी रक्षा करता है। [QBR]
2. आओ हम यहोवा के लिये धन्यवाद के गीत गाएं। [QBR2] आओ हम उसके प्रशंसा के गीत आनन्दपूर्वक गायें। [QBR]
3. क्यों क्योंकि यहोवा महान परमेश्वर है। [QBR2] वह महान राजा सभी अन्य “देवताओं”पर शासन करता है। [QBR]
4. गहरी गुफाएँ और ऊँचे पर्वत यहोवा के हैं। [QBR]
5. सागर उसका है, उसने उसे बनाया है। [QBR2] परमेश्वर ने स्वयं अपने हाथों से धरती को बनाया है। [QBR]
6. आओ, हम उसको प्रणाम करें और उसकी उपासना करें। [QBR2] आओ हम परमेश्वर के गुण गाये जिसने हमें बनाया है। [QBR]
7. वह हमारा परमेश्वर [QBR2] और हम उसके भक्त हैं। [QBR2] यदि हम उसकी सुने तो हम आज उसकी भेड़ हैं। [QBR]
8. परमेश्वर कहता है, “तुम जैसे मरिबा और मरूस्थल के मस्सा में कठोर थे [QBR2] वैसे कठोर मत बनो। [QBR]
9. तेरे पूर्वजों ने मुझको परखा था। [QBR2] उन्होंने मुझे परखा, पर तब उन्होंने देखा कि मैं क्या कर सकता हूँ। [QBR]
10. मैं उन लोगों के साथ चालीस वर्ष तक धीरज बनाये रखा। [QBR2] मैं यह भी जानता था कि वे सच्चे नहीं हैं। [QBR2] उन लोगों ने मेरी सीख पर चलने से नकारा। [QBR]
11. सो मैं क्रोधित हुआ और मैंने प्रतिज्ञा की [QBR2] वे मेरे विशाल कि धरती पर कभी प्रवेश नहीं कर पायेंगे।” [PE]

Notes

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Total 150 अध्याय, Selected अध्याय 95 / 150
भजन संहिता 95:140
1 आओ हम यहोवा के गुण गाएं! आओ हम उस चट्टान का जय जयकार करें जो हमारी रक्षा करता है। 2 आओ हम यहोवा के लिये धन्यवाद के गीत गाएं। आओ हम उसके प्रशंसा के गीत आनन्दपूर्वक गायें। 3 क्यों क्योंकि यहोवा महान परमेश्वर है। वह महान राजा सभी अन्य “देवताओं”पर शासन करता है। 4 गहरी गुफाएँ और ऊँचे पर्वत यहोवा के हैं। 5 सागर उसका है, उसने उसे बनाया है। परमेश्वर ने स्वयं अपने हाथों से धरती को बनाया है। 6 आओ, हम उसको प्रणाम करें और उसकी उपासना करें। आओ हम परमेश्वर के गुण गाये जिसने हमें बनाया है। 7 वह हमारा परमेश्वर और हम उसके भक्त हैं। यदि हम उसकी सुने तो हम आज उसकी भेड़ हैं। 8 परमेश्वर कहता है, “तुम जैसे मरिबा और मरूस्थल के मस्सा में कठोर थे वैसे कठोर मत बनो। 9 तेरे पूर्वजों ने मुझको परखा था। उन्होंने मुझे परखा, पर तब उन्होंने देखा कि मैं क्या कर सकता हूँ। 10 मैं उन लोगों के साथ चालीस वर्ष तक धीरज बनाये रखा। मैं यह भी जानता था कि वे सच्चे नहीं हैं। उन लोगों ने मेरी सीख पर चलने से नकारा। 11 सो मैं क्रोधित हुआ और मैंने प्रतिज्ञा की वे मेरे विशाल कि धरती पर कभी प्रवेश नहीं कर पायेंगे।”
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