पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
जकर्याह
1. {#1यहोवा अपने लोगों की वापसी चाहता है }
2. [PS]बेरेक्याह के पुत्र जकर्याह ने यहोवा का सन्देश पाया। फारस में दारा के राज्यकाल के दूसरे वर्ष के आठवें महीने में यह हुआ। (जकर्याह बेरेक्याह का पुत्र था। बेरेक्याह इद्दो नबी का पुत्र था।) सन्देश यह है: [PE][PS]यहोवा तुम्हारे पूर्वजों पर बहुत क्राधित हुआ है।
3. अत: तुम्हें लोगों से यह सब कहना चाहिये। यहोवा कहता हैं, “मेरे पास वापस आओ तो मैं तम्हारे पास वापस लौटूंगा।” यह सब सर्वशक्तिमान यहोवा ने कहा। [PE]
4.
5. [PS]यहोवा ने कहा, “अपने पूर्वजों के समान न बनो। बीते समय में, नबी ने उनसे बातें कीं।उन्होंने कहा, ‘सर्वशक्तिमान यहोवा चाहता है कि तुम अपने बुरे रहन सहन को छोङ दो। बुरे काम बन्द कर दो!’ किन्तु तुम्हारे पूर्वजों ने मेरी एक न सुनी।” यहोवा ने यह बातें कही। [PE][PS]परमेश्वर ने कहा, “तुम्हारे पूर्वज जा चुके और वे नबी सदैव जीवित न रहे।
6. नबी मेरे सेवक थे। मैंने उनका उपयोग तुम्हारे पूर्वजों को अपने व्यवस्था और अपनी शिक्षा देने के लिये किया और तम्हारे पूर्वजों ने अन्त में शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने कहा, ‘सर्वशक्तिमान यहोवा ने वह किया जिसे करने को उसने कहा था। उसने हमारे बुरे रहन—सहन और सभी बुरे किये गए कामों के लिये दण्ड दिया।’ इस प्रकार वे परमेश्वर के पास वापस लौटे।” [PE]
7. {#1घोड़ों का दर्शन }
8. [PS]जकर्याह ने फारस में दारा के राज्यकाल के दूसरे वर्ष के ग्यारहवें महीने के चौबीसवें दिन (अर्थात् शबात) यहोवा का दूसरा सन्देश पाया। (जकर्याह बेरेक्याह का पुत्र था और बेरेक्याह इद्दो नबी का पुत्र था।) सन्देश यह है: [PE][PS]रात को, मैंने एक व्यक्ति को लाल घोड़े पर बैठे देखा। वह घाटी में कुछ मालती की झाड़ियों के बीच खड़ा था। उसके पीछे लाल, भूरे और श्वेत रंग के घोड़े थे।
9. मैंने पूछा, “महोदय, ये घोड़े किसलिये हैं” [PE]
10. [PS]तब मुझसे बात करते हुए, स्वर्गदूत ने कहा, “मैं तुम्हें दिखाऊँगा कि ये घोड़े किसलिये हैं।” [PE]
11. [PS]तब मालती की झाड़ियों के बीच स्थित उस व्यक्ति ने कहा, “यहोवा ने इन घोड़ों को पृथ्वी पर इधर—उधर घूमने के लिये भेजे हैं।” [PE]
12. [PS]तब घोड़ों ने मालती की झाड़ियों में स्थित यहोवा के दूत से बातें कीं। उन्होंने कहा, “हम लोग पृथ्वी पर इधर— उधर घूम चुके हैं, और सब कुछ शान्त और व्यवस्थित हैं।” [PE]
13. [PS]तब यहोवा के दूत ने कहा, “यहोवा, आप यरूशलेम और यहूदा के नगर को कब तक आराम दिलायेंगे अब तो आप इन नगरों पर सत्तर वर्ष तक अपना क्रोध प्रकट कर चुके हैं।” [PE]
14. [PS]तब यहोवा ने उस दूत को उत्तर दिया जो मुझसे बातें कर रहा था। यहोवा ने अच्छे शान्तिदायक शब्द कहे। [PE][PS]तब यहोवा के दूत ने मुझे लोगों से यह सब कहने को कहा: [PE][PS]सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है: [PE][PBR] [QS]“मैं यरूशलेम और सिय्योन से विशेष प्रेम रखता हूँ [QE]
[QS2]15. और मैं उन राष्ट्रों पर बहुत क्रोधित हूँ जो अपने को इतना सुरक्षित अनुभव करते हैं। [QE][QS]मैं कुछ क्रोधित हो गया था [QE][QS2]और मैंने उन राष्ट्रों का उपयोग अपने लोगों को दण्ड देने के लिये किया। [QE][QS2]किन्तु उन राष्ट्रों ने बहुत अधिक विनाश किया।” [QE]
16. [QS]अत: यहोवा कहता है, “मैं यरूशलेम लौटूँगा और उसे आराम दूँगा।” [QE][QS2]सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “यरूशलम का निर्माण पुन: होगा। [QE][QS2]और वहां मेरा मंदिर बनेगा।” [QE]
17. [QS]स्वर्गदूत ने कहा, “लोगों से यह भी कहो: [QE][QS2]‘सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, [QE][QS]‘मेरे नगर फिर सम्पन्न होंगे, मैं सिय्योन को आराम दूँगा। [QE][QS2]मैं यरूशलेम को अपना विशेष नगर चुनूँगा।’ ” [QE]
18. {#1सींगों का दर्शन } [PS]तब मैंने ऊपर नजर उठाई और चार सींगों को देखा।
19. तब मैंने उस दूत से जो मुझसे बातें कर रहा था, पूछा, “इन सींगों का अर्थ क्या हैं” [PE]
20. [PS]उसने कहा, “ये वे सींगे है, जिन्होंने इस्राइल, यहूदा और यरूशलेम के लोगों को विदेशों में जाने को विवश किया।” [PE][PS]तब यहोवा ने मुझे चार कारीगर दिखाये।
21. मैंने उनसे पूछा, “ये चार कारीगर क्या करने आ रहे हैं” [PE][PS]उसने कहा, “ये लोग उन सींगों को नष्ट करने आए हैं। उन सींगों ने यहूदा के लोगों को विदेशों में जाने को विवश किया। उन सींगों ने किसी पर दया नहीं दिखाई। ये सींगे उन राष्ट्रों का प्रतीक है जिन्होंने यहूदा के लोगों पर आक्रमण किया था और उन्हें विदेशों में जाने को विवश किया था।” [PE]
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यहोवा अपने लोगों की वापसी चाहता है 1 2 बेरेक्याह के पुत्र जकर्याह ने यहोवा का सन्देश पाया। फारस में दारा के राज्यकाल के दूसरे वर्ष के आठवें महीने में यह हुआ। (जकर्याह बेरेक्याह का पुत्र था। बेरेक्याह इद्दो नबी का पुत्र था।) सन्देश यह है: यहोवा तुम्हारे पूर्वजों पर बहुत क्राधित हुआ है। 3 अत: तुम्हें लोगों से यह सब कहना चाहिये। यहोवा कहता हैं, “मेरे पास वापस आओ तो मैं तम्हारे पास वापस लौटूंगा।” यह सब सर्वशक्तिमान यहोवा ने कहा। 4 5 यहोवा ने कहा, “अपने पूर्वजों के समान न बनो। बीते समय में, नबी ने उनसे बातें कीं।उन्होंने कहा, ‘सर्वशक्तिमान यहोवा चाहता है कि तुम अपने बुरे रहन सहन को छोङ दो। बुरे काम बन्द कर दो!’ किन्तु तुम्हारे पूर्वजों ने मेरी एक न सुनी।” यहोवा ने यह बातें कही। परमेश्वर ने कहा, “तुम्हारे पूर्वज जा चुके और वे नबी सदैव जीवित न रहे। 6 नबी मेरे सेवक थे। मैंने उनका उपयोग तुम्हारे पूर्वजों को अपने व्यवस्था और अपनी शिक्षा देने के लिये किया और तम्हारे पूर्वजों ने अन्त में शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने कहा, ‘सर्वशक्तिमान यहोवा ने वह किया जिसे करने को उसने कहा था। उसने हमारे बुरे रहन—सहन और सभी बुरे किये गए कामों के लिये दण्ड दिया।’ इस प्रकार वे परमेश्वर के पास वापस लौटे।” घोड़ों का दर्शन 7 8 जकर्याह ने फारस में दारा के राज्यकाल के दूसरे वर्ष के ग्यारहवें महीने के चौबीसवें दिन (अर्थात् शबात) यहोवा का दूसरा सन्देश पाया। (जकर्याह बेरेक्याह का पुत्र था और बेरेक्याह इद्दो नबी का पुत्र था।) सन्देश यह है: रात को, मैंने एक व्यक्ति को लाल घोड़े पर बैठे देखा। वह घाटी में कुछ मालती की झाड़ियों के बीच खड़ा था। उसके पीछे लाल, भूरे और श्वेत रंग के घोड़े थे। 9 मैंने पूछा, “महोदय, ये घोड़े किसलिये हैं” 10 तब मुझसे बात करते हुए, स्वर्गदूत ने कहा, “मैं तुम्हें दिखाऊँगा कि ये घोड़े किसलिये हैं।” 11 तब मालती की झाड़ियों के बीच स्थित उस व्यक्ति ने कहा, “यहोवा ने इन घोड़ों को पृथ्वी पर इधर—उधर घूमने के लिये भेजे हैं।” 12 तब घोड़ों ने मालती की झाड़ियों में स्थित यहोवा के दूत से बातें कीं। उन्होंने कहा, “हम लोग पृथ्वी पर इधर— उधर घूम चुके हैं, और सब कुछ शान्त और व्यवस्थित हैं।” 13 तब यहोवा के दूत ने कहा, “यहोवा, आप यरूशलेम और यहूदा के नगर को कब तक आराम दिलायेंगे अब तो आप इन नगरों पर सत्तर वर्ष तक अपना क्रोध प्रकट कर चुके हैं।” 14 तब यहोवा ने उस दूत को उत्तर दिया जो मुझसे बातें कर रहा था। यहोवा ने अच्छे शान्तिदायक शब्द कहे। तब यहोवा के दूत ने मुझे लोगों से यह सब कहने को कहा: सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है: “मैं यरूशलेम और सिय्योन से विशेष प्रेम रखता हूँ 15 और मैं उन राष्ट्रों पर बहुत क्रोधित हूँ जो अपने को इतना सुरक्षित अनुभव करते हैं। मैं कुछ क्रोधित हो गया था और मैंने उन राष्ट्रों का उपयोग अपने लोगों को दण्ड देने के लिये किया। किन्तु उन राष्ट्रों ने बहुत अधिक विनाश किया।” 16 अत: यहोवा कहता है, “मैं यरूशलेम लौटूँगा और उसे आराम दूँगा।” सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “यरूशलम का निर्माण पुन: होगा। और वहां मेरा मंदिर बनेगा।” 17 स्वर्गदूत ने कहा, “लोगों से यह भी कहो: ‘सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, ‘मेरे नगर फिर सम्पन्न होंगे, मैं सिय्योन को आराम दूँगा। मैं यरूशलेम को अपना विशेष नगर चुनूँगा।’ ” सींगों का दर्शन 18 तब मैंने ऊपर नजर उठाई और चार सींगों को देखा। 19 तब मैंने उस दूत से जो मुझसे बातें कर रहा था, पूछा, “इन सींगों का अर्थ क्या हैं” 20 उसने कहा, “ये वे सींगे है, जिन्होंने इस्राइल, यहूदा और यरूशलेम के लोगों को विदेशों में जाने को विवश किया।” तब यहोवा ने मुझे चार कारीगर दिखाये। 21 मैंने उनसे पूछा, “ये चार कारीगर क्या करने आ रहे हैं” उसने कहा, “ये लोग उन सींगों को नष्ट करने आए हैं। उन सींगों ने यहूदा के लोगों को विदेशों में जाने को विवश किया। उन सींगों ने किसी पर दया नहीं दिखाई। ये सींगे उन राष्ट्रों का प्रतीक है जिन्होंने यहूदा के लोगों पर आक्रमण किया था और उन्हें विदेशों में जाने को विवश किया था।”
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