1. हे इस्राएलियो, यह वचन सुनो जो यहोवा ने तुम्हारे विषय में अर्थात् उस सारे कुल के विषय में कहा है जिस मैं मि देश से लाया हूं:
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2. पृथ्वी के सारे कुलों में से मैं ने केवल तुम्हीं पर मन लगाया है, इस कारण मैं तुम्हारे सारे अधर्म के कामों का दण्ड दूंगा।।
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4. क्या सिंह बिना अहेर पाए वन में गरजेंगे? क्या जवान सिंह बिना कुछ पकड़े अपनी मांद में से गुर्राएगा?
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6. क्या किसी नगर में नरसिंगा फूंकने पर लोग न थरथराएंगे? क्या यहोवा के बिना भेजे किसी नगर में कोई विपत्ति पड़ेगी?
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9. अश्दोद के भवन और मि देश के राजभवन पर प्रकार करके कहो, सामरिया के पहाड़ों पर इकट्ठे होकर देखो कि उस में क्या ही बड़ा कोलाहल और उसके बीच क्या ही अन्धेर के काम हो रहे हैं।
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10. यहोवा की यह वाणी है, कि जो लो अपने भवनों में उपद्रव और डकैती का धन बटोर रखते हैं, वे सीधाई से काम करना जानते ही नहीं।
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11. इस कारण परमेश्वर यहोवा यों कहता है, देश का घेरनेवाला एक शत्रु होगा, और वह तेरा बल तोड़ेगा, और तेरे भवन लूटे जाएंगे।।
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12. यहोवा यों कहता है, जिस भांति चरवाहा सिंह के मुंह से दो टांगे वा कान का एक टुकड़ा छुड़ाता है, वैसे ही इस्राएली लोग, जो सामरिया में बिछौने के एक कोने वा रेशमी गद्दी पर बैठा करते हैं, वे भी छुड़ाए जाएंगे।।
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14. जिस समय मैं इस्राएल को उसके अपराधों का दण्ड दूंगा, उसी समय मैं बेतेल की वेदियों को भी दण्ड दूंगा, और वेदी के सींग टूटकर भमि पर गिर पड़ेंगे।
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15. और मैं जाड़े के भवन को और धूपकाल के भवन, दोनों को गिराऊंगा; और हाथीदांत के बने भवन भी नाश होंगे, और बड़े बड़े घर नाश हो जएंगे, यहोवा की यही वाणी है।।
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