पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
1 इतिहास
1. तब दाऊद कहने लगा, यहोवा परमेश्वर का भवन यही है, और इस्राएल के लिये होमबलि की वेदी यही है।
2. तब दाऊद ने इस्राएल के देश में जो परदेशी थे उनको इकट्ठा करने की आज्ञा दी, और परमेश्वर का भवन बनाने को पत्थर गढ़ने के लिये राज ठहरा दिए।
3. फिर दाऊद ने फाटकों के किवाड़ों की कीलों और जोड़ों के लिये बहुत सा लोहा, और तौल से बाहर बहुत पीतल,
4. और गिनती से बाहर देवदार के पेड़ इकट्ठे किए; क्योंकि सीदोन और सोर के लोग दाऊद के पास बहुत से देवदार के पेड़ लाए थे।
5. और दाऊद ने कहा, मेरा पुत्रा सुलैमान सुकुमार और लड़का है, और जो भवन यहोवा के लिये बनाना है, उसे अत्यन्त तेजोमय और सब देशों में प्रसिठ्ठ और शोभायमान होना चाहिये; इसलिये मैं उसके लिये तैयारी करूंगा। सो दाऊद ने मरने से पहिले बहुत तैयारी की।
6. फिर उस ने अपने पुत्रा सुलैमान को बुलाकर इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के लिये भवन बनाने की आज्ञा दी।
7. दाऊद ने अपने पुत्रा सुलैमान से कहा, मेरी मनसा तो थी, कि अपने परमेश्वर यहोवा के नाम का एक भवन बनाऊं।
8. परन्तु यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा, कि तू ने लोहू बहुत बहाया और बढ़े बड़े युठ्ठ किए हैं, सो तू मेरे नाम का भवन न बनाने पाएगा, क्योंकि तू ने भूमि पर मेरी दृष्टि में बहुत लोहू बहाया है।
9. देख, तुझ से एक पुत्रा उत्पन्न होगा, जो शान्त पुरूष होगा; और मैं उसको चारों ओर के शत्रुऔं से शान्ति दूंगा; उसका नाम तो सुलैमान होगा, और उसके दिनों में मैं इस्राएल को शान्ति और चैन दूंगा।
10. वही मेरे नाम का भवन बनाएगा। और वही मेरा पुत्रा ठहरेगा और मैं उसका पिता ठहरूंगा, और उसकी राजगद्दी को मैं इस्राएल के ऊपर सदा के लिये स्थिर रखूंगा।
11. अब हे मेरे पुत्रा, यहोवा तेरे संग रहे, और तू कृतार्थ होकर उस वचन के अनुसार जो तेरे परमेश्वर यहोवा ने तेरे विषय कहा है, उसका भवन बनाना।
12. अब यहोवा तुझे बुध्दि और समझ दे और इस्राएल का अधिकारी ठहरा दे, और तू अपने परमेश्वर यहोवा की रयवस्था को मानता रहे।
13. तू तब ही कृतार्थ होगा जब उन विधियों और नियमों पर चलने की चौकसी करेगा, जिनकी आज्ञा यहोवा ने इस्राएल के लिये मूसा को दी थी। हियाब बान्ध और दृढ़ हो। मत डर; और तेरा मन कच्चा न हो।
14. सुन, मैं ने अपने क्लेश के समय यहोवा के भवन के लिये एक लाख किक्कार सोना, और दस लाख किक्कार चान्दी, और पीतल और लोहा इतना इकट्ठा किया है, कि बहुतायत के कारण तौल से बाहर है; और लकड़ी और पत्थर मैं ने इकट्ठे किए हैं, और तू उनको बढ़ा सकेगा।
15. और तेरे पास बहुत कारीगर हैं, अर्थात् पत्थर और लकड़ी के काटने और गढ़नेवाले वरन सब भांति के काम के लिये सब प्रकार के प्रवीण पुरूष हैं।
16. सोना, चान्दी, पीतल और लोहे की तो कुछ गिनती नहीं है, सो तू उस काम में लग जा ! यहोवा तेरे संग नित रहे।
17. फिर दाऊद ने इस्राएल के सब हाकिमों को अपने पुत्रा सुलैमान की सहायता करने की आज्ञाा यह कहकर दी,
18. कि क्या तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे संग नहीं है? क्या उस ने नुम्हें चारों ओर से विश्राम नहीं दिया? उस ने तो देश के निवासियों को मेरे वश में कर दिया है; और देश यहोवा और उसकी प्रजा के साम्हने दबा हुआ है।
19. सब तन मन से अपने परमेश्वर यहोवा के पास जाया करो, और जी लगाकर यहोवा परमेश्वर का पवित्रास्थान बनाना, कि तुम यहोवा की वाचा का सन्दूक और परमेश्वर के पवित्रा पात्रा उस भवन में लाओ जो यहोवा के नाम का बननेवाला है।

Notes

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1 इतिहास 22
1. तब दाऊद कहने लगा, यहोवा परमेश्वर का भवन यही है, और इस्राएल के लिये होमबलि की वेदी यही है।
2. तब दाऊद ने इस्राएल के देश में जो परदेशी थे उनको इकट्ठा करने की आज्ञा दी, और परमेश्वर का भवन बनाने को पत्थर गढ़ने के लिये राज ठहरा दिए।
3. फिर दाऊद ने फाटकों के किवाड़ों की कीलों और जोड़ों के लिये बहुत सा लोहा, और तौल से बाहर बहुत पीतल,
4. और गिनती से बाहर देवदार के पेड़ इकट्ठे किए; क्योंकि सीदोन और सोर के लोग दाऊद के पास बहुत से देवदार के पेड़ लाए थे।
5. और दाऊद ने कहा, मेरा पुत्रा सुलैमान सुकुमार और लड़का है, और जो भवन यहोवा के लिये बनाना है, उसे अत्यन्त तेजोमय और सब देशों में प्रसिठ्ठ और शोभायमान होना चाहिये; इसलिये मैं उसके लिये तैयारी करूंगा। सो दाऊद ने मरने से पहिले बहुत तैयारी की।
6. फिर उस ने अपने पुत्रा सुलैमान को बुलाकर इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के लिये भवन बनाने की आज्ञा दी।
7. दाऊद ने अपने पुत्रा सुलैमान से कहा, मेरी मनसा तो थी, कि अपने परमेश्वर यहोवा के नाम का एक भवन बनाऊं।
8. परन्तु यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा, कि तू ने लोहू बहुत बहाया और बढ़े बड़े युठ्ठ किए हैं, सो तू मेरे नाम का भवन बनाने पाएगा, क्योंकि तू ने भूमि पर मेरी दृष्टि में बहुत लोहू बहाया है।
9. देख, तुझ से एक पुत्रा उत्पन्न होगा, जो शान्त पुरूष होगा; और मैं उसको चारों ओर के शत्रुऔं से शान्ति दूंगा; उसका नाम तो सुलैमान होगा, और उसके दिनों में मैं इस्राएल को शान्ति और चैन दूंगा।
10. वही मेरे नाम का भवन बनाएगा। और वही मेरा पुत्रा ठहरेगा और मैं उसका पिता ठहरूंगा, और उसकी राजगद्दी को मैं इस्राएल के ऊपर सदा के लिये स्थिर रखूंगा।
11. अब हे मेरे पुत्रा, यहोवा तेरे संग रहे, और तू कृतार्थ होकर उस वचन के अनुसार जो तेरे परमेश्वर यहोवा ने तेरे विषय कहा है, उसका भवन बनाना।
12. अब यहोवा तुझे बुध्दि और समझ दे और इस्राएल का अधिकारी ठहरा दे, और तू अपने परमेश्वर यहोवा की रयवस्था को मानता रहे।
13. तू तब ही कृतार्थ होगा जब उन विधियों और नियमों पर चलने की चौकसी करेगा, जिनकी आज्ञा यहोवा ने इस्राएल के लिये मूसा को दी थी। हियाब बान्ध और दृढ़ हो। मत डर; और तेरा मन कच्चा हो।
14. सुन, मैं ने अपने क्लेश के समय यहोवा के भवन के लिये एक लाख किक्कार सोना, और दस लाख किक्कार चान्दी, और पीतल और लोहा इतना इकट्ठा किया है, कि बहुतायत के कारण तौल से बाहर है; और लकड़ी और पत्थर मैं ने इकट्ठे किए हैं, और तू उनको बढ़ा सकेगा।
15. और तेरे पास बहुत कारीगर हैं, अर्थात् पत्थर और लकड़ी के काटने और गढ़नेवाले वरन सब भांति के काम के लिये सब प्रकार के प्रवीण पुरूष हैं।
16. सोना, चान्दी, पीतल और लोहे की तो कुछ गिनती नहीं है, सो तू उस काम में लग जा ! यहोवा तेरे संग नित रहे।
17. फिर दाऊद ने इस्राएल के सब हाकिमों को अपने पुत्रा सुलैमान की सहायता करने की आज्ञाा यह कहकर दी,
18. कि क्या तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे संग नहीं है? क्या उस ने नुम्हें चारों ओर से विश्राम नहीं दिया? उस ने तो देश के निवासियों को मेरे वश में कर दिया है; और देश यहोवा और उसकी प्रजा के साम्हने दबा हुआ है।
19. सब तन मन से अपने परमेश्वर यहोवा के पास जाया करो, और जी लगाकर यहोवा परमेश्वर का पवित्रास्थान बनाना, कि तुम यहोवा की वाचा का सन्दूक और परमेश्वर के पवित्रा पात्रा उस भवन में लाओ जो यहोवा के नाम का बननेवाला है।
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