पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
अय्यूब
1. तब शूही बिल्दद ने कहा,
2. तुम कब तक फन्दे लगा लगाकर वचन पकड़ते रहोगे? चित्त लगाओ, तब हम बोलेंगे।
3. हम लोग तुम्हारी दृष्टि में क्यों पशु के तुल्य समझे जाते, और अशुठ्ठ ठहरे हैं।
4. हे अपने को क्रोध में फाड़नेवाले क्या तेरे निमित्त पृथ्वी उजड़ जाएगी, और चट्टान अपने स्थान से हट जाएगी?
5. तौभी दुष्टों का दीपक बुझ जाएगा, और उसकी आग की लौ न चमकेगी।
6. उसके डेरे में का उजियाला अन्धेरा हो जाएगा, और उसके ऊपर का दिया बुझ जाएगा।
7. उसके बड़े बड़े फाल छोटे हो जाएंगे और वह अपनी ही युक्ति के द्वारा गिरेगा।
8. वह अपना ही पांव जाल में फंसाएगा, वह फन्दों पर चलता है।
9. उसकी एड़ी फन्दे में फंस जाएगी, और वह जाल में पकड़ा जाएगा।
10. फन्दे की रस्सियां उसके लिये भूमि में, और जाल रास्ते में छिपा दिया गया है।
11. चारों ओर से डरावनी वस्तुएं उसे डराएंगी और उसके पीछे पड़कर उसको भगाएंगी।
12. उसका बल दु:ख से घट जाएगा, और विपत्ति उसके पास ही तैयार रहेगी।
13. वह उसके अंग को खा जाएगी, वरन काल का पहिलौठा उसके अंगों को खा लेगा।
14. अपने जिस डेरे का भरोसा वह करता है, उस से वह छीन लिया जाएगा; और वह भयंकरता के राजा के पास पहुंचाया जाएगा।
15. जो उसके यहां का नहीं है वह उसके डेरे में वास करेगा, और उसके घर पर गन्धक छितराई जाएगी।
16. उसकी जड़ तो सूख जाएगी, और डालियां कट जाएंगी।
17. पृथ्वी पर से उसका स्मरण मिट जाएगा, और बाज़ार में उसका नाम कभी न सुन पड़ेगा।
18. वह उजियाले से अन्धियारे में ढकेल दिया जाएगा, और जगत में से भी भगाया जाएगा।
19. उसके कुटुम्बियों में उसके कोई पुत्रापौत्रा न रहेगा, और जहां वह रहता था, वहां कोई बचा न रहेगा।
20. उसका दिन देखकर पूरबी लोग चकित होंगे, और पश्चिम के निवासियों के रोएं खड़े हो जाएंगे।
21. निेसन्देह कुटिल लोगों के निवास ऐसे हो जाते हैं, और जिसको ईश्वर का ज्ञान नहीं रहता उसका स्थान ऐसा ही हो जाता है।

Notes

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Total 42 Chapters, Current Chapter 18 of Total Chapters 42
अय्यूब 18:1
1. तब शूही बिल्दद ने कहा,
2. तुम कब तक फन्दे लगा लगाकर वचन पकड़ते रहोगे? चित्त लगाओ, तब हम बोलेंगे।
3. हम लोग तुम्हारी दृष्टि में क्यों पशु के तुल्य समझे जाते, और अशुठ्ठ ठहरे हैं।
4. हे अपने को क्रोध में फाड़नेवाले क्या तेरे निमित्त पृथ्वी उजड़ जाएगी, और चट्टान अपने स्थान से हट जाएगी?
5. तौभी दुष्टों का दीपक बुझ जाएगा, और उसकी आग की लौ चमकेगी।
6. उसके डेरे में का उजियाला अन्धेरा हो जाएगा, और उसके ऊपर का दिया बुझ जाएगा।
7. उसके बड़े बड़े फाल छोटे हो जाएंगे और वह अपनी ही युक्ति के द्वारा गिरेगा।
8. वह अपना ही पांव जाल में फंसाएगा, वह फन्दों पर चलता है।
9. उसकी एड़ी फन्दे में फंस जाएगी, और वह जाल में पकड़ा जाएगा।
10. फन्दे की रस्सियां उसके लिये भूमि में, और जाल रास्ते में छिपा दिया गया है।
11. चारों ओर से डरावनी वस्तुएं उसे डराएंगी और उसके पीछे पड़कर उसको भगाएंगी।
12. उसका बल दु:ख से घट जाएगा, और विपत्ति उसके पास ही तैयार रहेगी।
13. वह उसके अंग को खा जाएगी, वरन काल का पहिलौठा उसके अंगों को खा लेगा।
14. अपने जिस डेरे का भरोसा वह करता है, उस से वह छीन लिया जाएगा; और वह भयंकरता के राजा के पास पहुंचाया जाएगा।
15. जो उसके यहां का नहीं है वह उसके डेरे में वास करेगा, और उसके घर पर गन्धक छितराई जाएगी।
16. उसकी जड़ तो सूख जाएगी, और डालियां कट जाएंगी।
17. पृथ्वी पर से उसका स्मरण मिट जाएगा, और बाज़ार में उसका नाम कभी सुन पड़ेगा।
18. वह उजियाले से अन्धियारे में ढकेल दिया जाएगा, और जगत में से भी भगाया जाएगा।
19. उसके कुटुम्बियों में उसके कोई पुत्रापौत्रा रहेगा, और जहां वह रहता था, वहां कोई बचा रहेगा।
20. उसका दिन देखकर पूरबी लोग चकित होंगे, और पश्चिम के निवासियों के रोएं खड़े हो जाएंगे।
21. निेसन्देह कुटिल लोगों के निवास ऐसे हो जाते हैं, और जिसको ईश्वर का ज्ञान नहीं रहता उसका स्थान ऐसा ही हो जाता है।
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