3. और यहोवा के लिये क्या होमबलि, क्या मेलबलि, कोई हव्य चढ़ावो, चाहे वह विशेष मन्नत पूरी करने का हो चाहे स्वेच्छाबलि का हो, चाहे तुम्हारे नियत समयों में का हो, या वह चाहे गाय- बैल चाहे भेड़- बकरियों में का हो, जिस से यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्ध हो;
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4. तब उस होमबलि वा मेलबलि के संग भेड़ के बच्चे पीछे यहोवा के लिये चौथाई हिन तेल से सना हुआ एपा का दसवां अंश मैदा अन्नबलि करके चढ़ाना,
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9. तब बछड़े का चढ़ानेवाला उसके संग आध हिन तेल से सना हुआ एपा का तीन दसवां अंश मैदा अन्नबलि करके चढ़ाए।
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13. जितने देशी हों वे यहोवा को सुखदायक सुगन्ध देनेवाला हव्य चढ़ाते समय ये काम इसी रीति से किया करें।
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14. और यदि कोई परदेशी तुम्हारे संग रहता हो, वा तुम्हारी किसी पीढ़ी में तुम्हारे बीच कोई रहनेवाला हो, और वह यहोवा को सुखदायक सुगन्ध देनेवाला हव्य चढ़ाना चाहे, तो जिस प्रकार तुम करोगे उसी प्रकार वह भी करे।
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15. मण्डली के लिये, अर्थात् तुम्हारे और तुम्हारे संग रहनेवाले परदेशी दोनों के लिये एक ही विधि हो; तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी में यह सदा की विधि ठहरे, कि जैसे तुम हो वैसे ही परदेशी भी यहोवा के लिये ठहरता है।
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20. अपने पहिले गूंधे हुए आटे की एक पपड़ी उठाई हुई भेंट करके यहोवा के लिये चढ़ाना; जैसे तुम खलिहान में से उठाई हुई भेंट चढ़ाओगे वैसे ही उसको भी उठाया करना।
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23. अर्थात् जिस दिन से यहोवा आज्ञा देने लगा, और आगे की तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी में उस दिन से उस ने जितनी आज्ञाएं मूसा के द्वारा दी हैं,
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24. उस में यदि भूल से किया हुआ पाप मण्डली के बिना जाने हुआ हो, तो सारी मण्डली यहोवा को सुखदायक सुगन्ध देनेवाला होमबलि करके एक बछड़ा, और उसके संग नियम के अनुसार उसका अन्नबलि और अर्घ चढ़ाए, और पापबलि करके एक बकरा चढ़ाए।
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25. जब याजक इस्त्राएलियों की सारी मण्डली के लिये प्रायश्चित्त करे, और उनकी क्षमा की जाएगी; क्योंकि उनका पाप भूल से हुआ, और उन्हों ने अपनी भूल के लिये अपना चढ़ावा, अर्थात् यहोवा के लिये हव्य और अपना पापबलि उसके साम्हने चढ़ाया।
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26. सो इस्त्राएलियों की सारी मण्डली का, और उसके बीच रहनेवाले परदेशी का भी, वह पाप क्षमा किया जाएगा, क्योंकि वह सब लोगों के अनजान में हुआ।
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28. और याजक भूल से पाप करनेवाले प्राणी के लिये यहोवा के साम्हने प्रायश्चित्त करे; सो इस प्रायश्चित्त के कारण उसका वह पाप क्षमा किया जाएगा।
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30. परन्तु क्या देशी क्या परदेशी, जो प्राणी ढिठाई से कुछ करे, वह यहोवा का अनादर करनेवाला ठहरेगा, और वह प्राणी अपने लोगों में से नाश किया जाए।
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31. वह जो यहोवा का वचन तुच्छ जानता है, और उसकी आज्ञा का टालनेवाला है, इसलिये वह प्राणी निश्चय नाश किया जाए; उसका अधर्म उसी के सिर पड़ेगा।।
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34. उन्हों ने उसको हवालात में रखा, क्योंकि ऐसे मनुष्य से क्या करना चाहिये वह प्रकट नहीं किया गया था।
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35. तब यहोवा ने मूसा से कहा, वह मनुष्य निश्चय मार डाला जाए; सारी मण्डली के लोग छावनी के बाहर उस पर पत्थरवाह करें।
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36. सो जैसा यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी उसी के अनुसार सारी मण्डली के लोगों ने उसको छावनी से बाहर ले जाकर पत्थरवाह किया, और वह मर गया।
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38. इस्त्राएलियों से कह, कि अपनी पीढ़ी पीढ़ी में अपने वस्त्रों के कोर पर झालर लगाया करना, और एक एक कोर की झालर पर एक नीला फीता लगाया करना;
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39. और वह तुम्हारे लिये ऐसी झालर ठहरे, जिस से जब जब तुम उसे देखो तब तब यहोवा की सारी आज्ञाएं तुम हो स्मरण आ जाएं; और तुम उनका पालन करो, और तुम अपने अपने मन और अपनी अपनी दृष्टि के वश में होकर व्यभिचार न करते फिरो जैसे करते आए हो।
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40. परन्तु तुम यहोवा की सब आज्ञाओं को स्मरण करके उनका पालन करो, और अपने परमेश्वर के लिये पवित्रा बनो।
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41. मैं यहोवा तुम्हारा परमेश्वर हूं, जो तुम्हे मि देश से निकाल ले आया कि तुम्हारा परमेश्वर ठहरूं; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।।
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