1. फिर यहोवा ने मूसा से कहा, हारून के पुत्रा जो याजक है उन से कह, कि तुम्हारे लोगों में से कोई भी मरे, तो उसके कारण तुम में से कोई अपने को अशुद्ध न करे;
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3. वा अपनी कुंवारी बहिन जिसका विवाह न हुआ हो जिनका समीपी सम्बन्ध है; उनके लिये वह अपने को अशुद्ध कर सकता है।
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4. पर याजक होने के नाते से वह अपने लोगों में प्रधान है, इसलिये वह अपने को ऐसा अशुद्ध न करे कि अपवित्रा हो जाए।
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6. वे अपने परमेश्वर के लिये पवित्रा बने रहें, और अपने परमेश्वर का नाम अपवित्रा न करें; क्योंकि वे यहोवा के हव्य को जो उनके परमेश्वर का भोजन है चढ़ाया करते हैं; इस कारण वे पवित्रा बने रहें।
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7. वे वेश्या वा भ्रष्टा को ब्याह न लें; और न त्यागी हुई को ब्याह लें; क्योंकि याजक अपने परमेश्वर के लिये पवित्रा होता है।
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8. इसलिये तू याजक को पवित्रा जानना, क्योंकि वह तुम्हारे परमेश्वर का भोजन चढ़ाया करता है; इसलिये वह तेरी दृष्टि में पवित्रा ठहरे; क्योंकि मैं यहोवा, जो तुम को पवित्रा करता हूं, पवित्रा हूं।
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9. और यदि याजक की बेटी वेश्या बनकर अपने आप को अपवित्रा करे, तो वह अपने पिता को अपवित्रा ठहराती है; वह आग में जलाई जाए।।
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10. और जो अपने भाइयों में महायाजक हो, जिसके सिर पर अभिषेक का तेल डाला गया हो, और जिसका पवित्रा वस्त्रों को पहिनने के लिये संस्कार हुआ हो, वह अपने सिर के बाल बिखरने न दे, और अपने वस्त्रा फाड़े;
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12. और वह पवित्रास्थान से बाहर भी न निकले, और न अपने परमेश्वर के पवित्रास्थान को अपवित्रा ठहराए; क्योंकि वह अपने परमेश्वर के अभिषेक का तेलरूपी मुकुट धारण किए हुए है; मैं यहोवा हूं।
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14. जो विधवा, वा त्यागी हुई, वा भ्रष्ट, वा वेश्या हो, ऐसी किसी को वह न ब्याहे, वह अपने ही लोगों के बीच में की किसी कुंवारी कन्या को ब्याहे;
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15. और वह अपने वीरर्य को अपने लोगों में अपवित्रा न करे; क्योंकि मैं उसका पवित्रा करनेवाला यहोवा हूं।
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17. हारून से कह, कि तेरे वंश की पीढ़ी पीढ़ी में जिस किसी के कोई भी दोष हों वह अपने परमेश्वर का भोजन चढ़ाने के लिये समीप न आए।
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18. कोई क्यों न हो जिस में दोष हो वह समीप न आए, चाहे वह अन्धा हो, चाहे लंगड़ा, चाहे नकचपटा हो, चाहे उसके कुछ अधिक अंग हो,
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20. वा वह कुबड़ा, वा बौना हो, वा उसकी आंख में दोष हो, वा उस मनुष्य के चाईं वा खजुली हो, वा उसके अंड पिचके हों;
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21. हारून याजक के वंश में से जिस किसी में कोई भी दोष हो वह यहोवा के हव्य चढ़ाने के लिये समीप न आए; वह जो दोषयुक्त है कभी भी अपने परमेश्वर का भोजन चढ़ाने के लिये समीप न आए।
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23. परन्तु उसके दोष के कारण वह न तो बीचवाले पर्दे के भीतर आए और न वेदी के समीप, जिस से ऐसा न हो कि वह मेरे पवित्रास्थानों को अपवित्रा करे; क्योंकि मैं उनका पवित्रा करनेवाला यहोवा हूं।
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