1. जब लोगों ने मुझ से कहा, कि हम यहोवा के भवन को चलें, तब मैं आनन्दित हुआ।
2. हे यरूशलेम, तेरे फाटकों के भीतर, हम खड़े हो गए हैं!
3. हे यरूशलेम, तू ऐसे नगर के समान बना है, जिसके घर एक दूसरे से मिले हुए हैं।
4. वहां याह के गोत्र गोत्र के लोग यहोवा के नाम का धन्यवाद करने को जाते हैं; यह इस्राएल के लिये साक्षी है।
5. वहां तो न्याय के सिंहासन, दाऊद के घराने के लिये धरे हुए हैं॥
6. यरूशलेम की शान्ति का वरदान मांगो, तेरे प्रेमी कुशल से रहें!
7. तेरी शहरपनाह के भीतर शान्ति, और तेरे महलों में कुशल होवे!
8. अपने भाइयों और संगियों के निमित्त, मैं कहूंगा कि तुझ में शान्ति होवे!
9. अपने परमेश्वर यहोवा के भवन के निमित्त, मैं तेरी भलाई का यत्न करूंगा॥