पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
1 इतिहास
1. जब दाऊद सिकलग में कीश के पुत्र शाऊल के डर के मारे छिपा रहता था, तब ये उसके पास वहां आए, और ये उन वीरोंमें से थे जो युद्ध में उसके सहायक थे।
2. ये धनुर्धारी थे, जो दाहिने-बायें, दोनों हाथों से गोफन के पत्थर और धनुष के तीर चला सकते थे; और ये शाऊल के भाइयों में से बिन्यामीनी थे।
3. मुख्य तो अहीएजेर और दूसरा योआश था जो गिबावासी शमाआ का पुत्र था; फिर अजमावेत के पुत्र यजीएल और पेलेत, फिर बराका और अनातोती येहू।
4. और गिबोनी यिशमायाह जो तीसों में से एक वीर और उनके ऊपर भी था; फिर यिर्मयाह, यहजीएल, योहानान, गदेरावासी योजाबाद।
5. एलूजै, यरीमोत, बाल्याह, शमर्याह, हारूपी शपत्याह।
6. एल्काना, यिशिय्याह, अजरेल, योएजेर, याशोबाम, जो सब कोरहवंशी थे।
7. और गदोरवासी यरोहाम के पुत्र योएला और जबद्याह।
8. फिर जब दाऊद जंगल के गढ़ में रहता था, तब ये गादी जो शूरवीर थे, और युद्ध विद्या सीखे हुए और ढाल और भाला काम में लाने वाले थे, और उनके मुह सिंह के से और वे पहाड़ी मृग के समान वेग से दौड़ने वाले थे, ये और गादियों से अलग हो कर उसके पास आए।
9. अर्थात मुख्य तो एजेर, दूसरा ओबद्याह, तीसरा एलीआब।
10. चौथा मिश्मन्ना, पांचवां यिर्मयाह।
11. छठा अत्तै, सातवां एलीएल।
12. आठवां योहानान, नौवां एलजाबाद।
13. दसवां यिर्मयाह और ग्यारहवां मकबन्नै था।
14. ये गादी मुख्य योद्धा थे, उन में से जो सब से छोटा था वह तो एक सौ के ऊपर, और जो सब से बड़ा था, वह हजार के ऊपर था।
15. ये ही वे हैं, जो पहिले महीने में जब यरदन नदी सब कड़ाड़ों के ऊपर ऊपर बहती थी, तब उसके पार उतरे; और पूर्व और पश्चिम दानों ओर के सब तराई के रहने वालों को भगा दिया।
16. और कई एक बिन्यामीनी और यहूदी भी दाऊद के पास गढ़ में आए।
17. उन से मिलने को दाऊद निकला और उन से कहा, यदि तुम मेरे पास मित्रभाव से मेरी सहायता करने को आए हो, तब तो मेरा मन तुम से लगा रहेगा; परन्तु जो तुम मुझे धोखा देकर मेरे शत्रुओं के हाथ पकड़वाने आए हो, तो हमारे पितरों का परमेश्वर इस पर दृष्टि कर के डांटे, क्योंकि मेरे हाथ से कोई उपद्रव नहीं हुआ।
18. अब आत्मा अमासै में समाया, जो तीसों वीरों में मुख्य था, और उसने कहा, हे दाऊद! हम तेरे हैं; हे यिशै के पुत्र! हम तेरी ओर के हैं, तेरा कुशल ही कुशल हो और तेरे सहायकों का कुशल हो, क्योंकि तेरा परमेश्वर तेरी सहायता किया करता है। इसलिये दाऊद ने उन को रख लिया, और अपने दल के मुखिये ठहरा दिए।
19. फिर कुछ मनश्शेई भी उस समय दाऊद के पास भाग गए, जब वह पलिश्तियों के साथ हो कर शाऊल से लड़ने को गया, परन्तु उसकी कुछ सहायता न की, क्योंकि पलिश्तियों के सरदारों ने सम्मति लेने पर यह कह कर उसे बिदा किया, कि वह हमारे सिर कटवा कर अपने स्वामी शाऊल से फिर मिल जाएगा।
20. जब वह सिक्लग को जा रहा था, तब ये मनश्शेई उसके पास भाग गए; अर्थात अदना, योजाबाद, यदीएल, मीकाएल, योजाबाद, एलीहू और सिल्लतै जो मनश्शे के हजारों के मुखिये थे।
21. इन्होंने लुटेरों के दल के विरुद्ध दाऊद की सहायता की, क्योंकि ये सब शूरवीर थे, और सेना के प्रधान भी बन गए।
22. वरन प्रतिदिन लोग दाऊद की सहायता करने को उसके पास आते रहे, यहां तक कि परमेश्वर की सेना के समान एक बड़ी सेना बन गई।
23. फिर लोग लड़ने के लिये हथियार बान्धे हुए होब्रोन में दाऊद के पास इसलिये आए कि यहोवा के वचन के अनुसार शाऊल का राज्य उसके हाथ में कर दें: उनके मुखियों की गिनती यह है।
24. यहूदा के ढाल और भाला लिए हुए छ: हजार आठ सौ हथियार बन्ध लड़ने को आए।
25. शिमोनी सात हजार एक सौ तैयार शूरवीर लड़ने को आए।
26. लेवीय चार हजार छ: सौ आए।
27. और हारून के घराने का प्रधान यहोयादा था, और उसके साथ तीन हजार सात सौ आए।
28. और सादोक नाम एक जवान वीर भी आया, और उसके पिता के घराने के बाईस प्रधान आए।
29. और शाऊल के भाई बिन्यामीनियों में से तीन हजार आए, क्योंकि उस समय तक आधे बिन्यामीनियों से अधिक शाऊल के घराने का पक्ष करते रहे।
30. फिर एप्रैमियों में से बड़े वीर और अपने अपने पितरों के घरानों में नामी पुरुष बीस हजार आठ सौ आए।
31. और मनश्शे के आधे गोत्र में से दाऊद को राजा बनाने के लिये अठारह हजार आए, जिनके नाम बताए गए थे।
32. और इस्साकारियों में से जो समय को पहचानते थे, कि इस्राएल को क्या करना उचित है, उनके प्रधान दो सौ थे; और उनके सब भाई उनकी आज्ञा में रहते थे।
33. फिर जबूलून में से युद्ध के सब प्रकार के हथियार लिए हुए लड़ने को पांति बान्धने वाले योद्धा पचास हजार आए, वे पांति बान्ध्ने वाले थे: और चंचल न थे।
34. फिर नप्ताली में से प्रधान तो एक हजार, और उनके संग ढाल और भाला लिए सैंतीस हजार आए।
35. और दानियों में से लड़ने के लिये पांति बान्धने वाले अठाईस हजार छ: सौ आए।
36. और आशेर में से लड़ने को पांति बान्धने वाले चालीस हजार योद्धा आए।
37. और यरदन पार रहने वाले रूबेनी, गादी और मनश्शे के आधे गोत्रियों में से युद्ध के सब प्रकार के हथियार लिए हुए एक लाख बीस हजार आए।
38. ये सब युद्ध के लिये पांति बान्धने वाले दाऊद को सारे इस्राएल का राजा बनाने के लिये हेब्रोन में सच्चे मन से आए, और और सब इस्राएली भी दाऊद को राजा बनाने के लिये सहमत थे।
39. और वे वहां तीन दिन दाऊद के संग खाते पीते रहे, क्योंकि उनके भाइयों ने उनके लिये तैयारी की थी।
40. और जो उनके निकट वरन इस्साकार, जबूलून और नप्ताली तक रहते थे, वे भी गदहों, ऊंटों, खच्चरों और बैलों पर मैदा, अंजीरों और किशमिश की टिकियां, दाखमधु और तेल आदि भोजनवस्तु लादकर लाए, और बैल और भेड़-बकरियां बहुतायत से लाए; क्योंकि इस्राएल में आनन्द मनाया जा रहा था।
Total 29 अध्याय, Selected अध्याय 12 / 29
1 जब दाऊद सिकलग में कीश के पुत्र शाऊल के डर के मारे छिपा रहता था, तब ये उसके पास वहां आए, और ये उन वीरोंमें से थे जो युद्ध में उसके सहायक थे। 2 ये धनुर्धारी थे, जो दाहिने-बायें, दोनों हाथों से गोफन के पत्थर और धनुष के तीर चला सकते थे; और ये शाऊल के भाइयों में से बिन्यामीनी थे। 3 मुख्य तो अहीएजेर और दूसरा योआश था जो गिबावासी शमाआ का पुत्र था; फिर अजमावेत के पुत्र यजीएल और पेलेत, फिर बराका और अनातोती येहू। 4 और गिबोनी यिशमायाह जो तीसों में से एक वीर और उनके ऊपर भी था; फिर यिर्मयाह, यहजीएल, योहानान, गदेरावासी योजाबाद। 5 एलूजै, यरीमोत, बाल्याह, शमर्याह, हारूपी शपत्याह। 6 एल्काना, यिशिय्याह, अजरेल, योएजेर, याशोबाम, जो सब कोरहवंशी थे। 7 और गदोरवासी यरोहाम के पुत्र योएला और जबद्याह। 8 फिर जब दाऊद जंगल के गढ़ में रहता था, तब ये गादी जो शूरवीर थे, और युद्ध विद्या सीखे हुए और ढाल और भाला काम में लाने वाले थे, और उनके मुह सिंह के से और वे पहाड़ी मृग के समान वेग से दौड़ने वाले थे, ये और गादियों से अलग हो कर उसके पास आए। 9 अर्थात मुख्य तो एजेर, दूसरा ओबद्याह, तीसरा एलीआब। 10 चौथा मिश्मन्ना, पांचवां यिर्मयाह। 11 छठा अत्तै, सातवां एलीएल। 12 आठवां योहानान, नौवां एलजाबाद। 13 दसवां यिर्मयाह और ग्यारहवां मकबन्नै था। 14 ये गादी मुख्य योद्धा थे, उन में से जो सब से छोटा था वह तो एक सौ के ऊपर, और जो सब से बड़ा था, वह हजार के ऊपर था। 15 ये ही वे हैं, जो पहिले महीने में जब यरदन नदी सब कड़ाड़ों के ऊपर ऊपर बहती थी, तब उसके पार उतरे; और पूर्व और पश्चिम दानों ओर के सब तराई के रहने वालों को भगा दिया। 16 और कई एक बिन्यामीनी और यहूदी भी दाऊद के पास गढ़ में आए। 17 उन से मिलने को दाऊद निकला और उन से कहा, यदि तुम मेरे पास मित्रभाव से मेरी सहायता करने को आए हो, तब तो मेरा मन तुम से लगा रहेगा; परन्तु जो तुम मुझे धोखा देकर मेरे शत्रुओं के हाथ पकड़वाने आए हो, तो हमारे पितरों का परमेश्वर इस पर दृष्टि कर के डांटे, क्योंकि मेरे हाथ से कोई उपद्रव नहीं हुआ। 18 अब आत्मा अमासै में समाया, जो तीसों वीरों में मुख्य था, और उसने कहा, हे दाऊद! हम तेरे हैं; हे यिशै के पुत्र! हम तेरी ओर के हैं, तेरा कुशल ही कुशल हो और तेरे सहायकों का कुशल हो, क्योंकि तेरा परमेश्वर तेरी सहायता किया करता है। इसलिये दाऊद ने उन को रख लिया, और अपने दल के मुखिये ठहरा दिए। 19 फिर कुछ मनश्शेई भी उस समय दाऊद के पास भाग गए, जब वह पलिश्तियों के साथ हो कर शाऊल से लड़ने को गया, परन्तु उसकी कुछ सहायता न की, क्योंकि पलिश्तियों के सरदारों ने सम्मति लेने पर यह कह कर उसे बिदा किया, कि वह हमारे सिर कटवा कर अपने स्वामी शाऊल से फिर मिल जाएगा। 20 जब वह सिक्लग को जा रहा था, तब ये मनश्शेई उसके पास भाग गए; अर्थात अदना, योजाबाद, यदीएल, मीकाएल, योजाबाद, एलीहू और सिल्लतै जो मनश्शे के हजारों के मुखिये थे। 21 इन्होंने लुटेरों के दल के विरुद्ध दाऊद की सहायता की, क्योंकि ये सब शूरवीर थे, और सेना के प्रधान भी बन गए। 22 वरन प्रतिदिन लोग दाऊद की सहायता करने को उसके पास आते रहे, यहां तक कि परमेश्वर की सेना के समान एक बड़ी सेना बन गई। 23 फिर लोग लड़ने के लिये हथियार बान्धे हुए होब्रोन में दाऊद के पास इसलिये आए कि यहोवा के वचन के अनुसार शाऊल का राज्य उसके हाथ में कर दें: उनके मुखियों की गिनती यह है। 24 यहूदा के ढाल और भाला लिए हुए छ: हजार आठ सौ हथियार बन्ध लड़ने को आए। 25 शिमोनी सात हजार एक सौ तैयार शूरवीर लड़ने को आए। 26 लेवीय चार हजार छ: सौ आए। 27 और हारून के घराने का प्रधान यहोयादा था, और उसके साथ तीन हजार सात सौ आए। 28 और सादोक नाम एक जवान वीर भी आया, और उसके पिता के घराने के बाईस प्रधान आए। 29 और शाऊल के भाई बिन्यामीनियों में से तीन हजार आए, क्योंकि उस समय तक आधे बिन्यामीनियों से अधिक शाऊल के घराने का पक्ष करते रहे। 30 फिर एप्रैमियों में से बड़े वीर और अपने अपने पितरों के घरानों में नामी पुरुष बीस हजार आठ सौ आए। 31 और मनश्शे के आधे गोत्र में से दाऊद को राजा बनाने के लिये अठारह हजार आए, जिनके नाम बताए गए थे। 32 और इस्साकारियों में से जो समय को पहचानते थे, कि इस्राएल को क्या करना उचित है, उनके प्रधान दो सौ थे; और उनके सब भाई उनकी आज्ञा में रहते थे। 33 फिर जबूलून में से युद्ध के सब प्रकार के हथियार लिए हुए लड़ने को पांति बान्धने वाले योद्धा पचास हजार आए, वे पांति बान्ध्ने वाले थे: और चंचल न थे। 34 फिर नप्ताली में से प्रधान तो एक हजार, और उनके संग ढाल और भाला लिए सैंतीस हजार आए। 35 और दानियों में से लड़ने के लिये पांति बान्धने वाले अठाईस हजार छ: सौ आए। 36 और आशेर में से लड़ने को पांति बान्धने वाले चालीस हजार योद्धा आए। 37 और यरदन पार रहने वाले रूबेनी, गादी और मनश्शे के आधे गोत्रियों में से युद्ध के सब प्रकार के हथियार लिए हुए एक लाख बीस हजार आए। 38 ये सब युद्ध के लिये पांति बान्धने वाले दाऊद को सारे इस्राएल का राजा बनाने के लिये हेब्रोन में सच्चे मन से आए, और और सब इस्राएली भी दाऊद को राजा बनाने के लिये सहमत थे। 39 और वे वहां तीन दिन दाऊद के संग खाते पीते रहे, क्योंकि उनके भाइयों ने उनके लिये तैयारी की थी। 40 और जो उनके निकट वरन इस्साकार, जबूलून और नप्ताली तक रहते थे, वे भी गदहों, ऊंटों, खच्चरों और बैलों पर मैदा, अंजीरों और किशमिश की टिकियां, दाखमधु और तेल आदि भोजनवस्तु लादकर लाए, और बैल और भेड़-बकरियां बहुतायत से लाए; क्योंकि इस्राएल में आनन्द मनाया जा रहा था।
Total 29 अध्याय, Selected अध्याय 12 / 29
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