2. जैसे ही उस ने मुझ से यह कहा, त्योंही आत्मा ने मुझ में समाकर मुझे पांवों के बल खड़ा कर दिया; और जो मुझ से बातें करता था मैं ने उसकी सुनी।
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3. और उस ने मुझ से कहा, हे मनुष्य के सन्तान, मैं तुझे इस्राएलियों के पास अर्थात् बलवा करनेवाली जाति के पास भेजता हूँ, जिन्हों ने मेरे विरूद्ध बलवा किया है; उनके पुरखा और वे भी आज के दिल तक मेरा अपराध करते चले आए हैं।
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5. और तू उन से कहना, प्रभु यहोवा यों कहता हे, इस से वे, जो बलवा करनेवाले घराने के हैं, चाहे वे सुनें व न सुनें, तौभी वे इतना जान लेंगे कि हमारे बीच एक भविष्यद्वक्ता प्रगट हुआ है।
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6. और हे मनुष्य के सन्तान, तू उन से न डरना; चाहे तुझे कांटों, ऊंटकटारों ओर बिच्चुओं के बीच भी रहना पड़े, तौभी उनके वचनों से न डरना; यद्यपि वे बलवई घराने के हैं, तौभी न तो उनके वचनों से डरना, और न उनके मुंह देखकर तेरा मन कच्चा हो।
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8. परन्तु हे मनुष्य के सन्तान, जो मैं तुझ से कहता हूँ, उसे तू सुन ले, उस बलवई घराने के समान तू भी बलवई न बनना; जो में तुझे देता हूँ, उसे मुंह खोलकर खा ले।
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10. उसको उस ने मेरे साम्हने खोलकर फैलाया, ओर वह दोनों ओर लिखी हुई थी; और जो उस में लिखा था, वे विलाप और शोक और दु:खभरे वचन थे।
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