पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
लैव्यवस्था
1. फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
2. इस्त्राएलियों की सारी मण्डली से कह, कि तुम पवित्रा बने रहो; क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा पवित्रा हूं।
3. तुम अपनी अपनी माता और अपने अपने पिता का भय मानना, और मेरे विश्राम दिनों को मानना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।
4. तुम मूरतों की ओर न फिरना, और देवताओं की प्रतिमाएं ढालकर न बना लेना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।
5. जब तुम यहोवा के लिये मेलबलि करो, तब ऐसा बलिदान करना जिससे मैं तुम से प्रसन्न हो जाऊं।
6. उसका मांस बलिदान के दिन और दूसरे दिन खाया जाए, परन्तु तीसरे दिन तक जो रह जाए वह आग में जला दिया जाए।
7. और यदि उस में से कुछ भी तीसरे दिन खाया जाए, तो यह घृणित ठहरेगा, और ग्रहण न किया जाएगा।
8. और उसका खानेवाला यहोवा के पवित्रा पदार्थ को अपवित्रा ठहराता है, इसलिये उसको अपने अधर्म का भार स्वयं उठाना पड़ेगा; और वह प्राणी अपने लोगों में से नाश किया जाएगा।।
9. फिर जब तुम अपने देश के खेत काटो तब अपने खेत के कोने कोने तक पूरा न काटना, और काटे हुए खेत की गिरी पड़ी बालों को न चुनना।
10. और अपनी दाख की बारी का दाना दाना न तोड़ लेना, और अपनी दाख की बारी के झंड़े हुए अंगूरों को न बटोरना; उन्हें दीन और परदेशी लोगों के लिये छोड़ देना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।
11. तुम चोरी न करना, और एक दूसरे से न तो कपट करना, और न झूठ बोलना।
12. तुम मेरे नाम की झूठी शपथ खाके अपने परमेश्वर का नाम अपवित्रा न ठहराना; मैं यहोवा हूं।
13. एक दूसरे पर अन्धेर न करना, और न एक दूसरे को लूट लेना। और मजदूर की मजदूरी तेरे पास सारी रात बिहान तक न रहने पाएं।
14. बहिरे को शाप न देना, और न अन्धे के आगे ठोकर रखना; और अपने परमेश्वर का भय मानना; मैं यहोवा हूं।
15. न्याय में कुटिलता न करना; और न तो कंगाल का पक्ष करना और न बड़े मनुष्यों का मुंह देखा विचार करना; उस दूसरे का न्याय धर्म से करना।
16. लूतरा बनके अपने लोगों में न फिरा करना, और एक दूसरे के लोहू बहाने की युक्तियां न बान्धना; मैं यहोवा हूं।
17. अपने मन में एक दूसरे के प्रति बैर न रखना; अपने पड़ोसी को अवश्य डांटना नहीं, तो उसके पाप का भार तुझ को उठाना पड़ेगा।
18. पलटा न लेना, और न अपने जाति भाइयों से बैर रखना, परन्तु एक दूसरे से अपने समान प्रेम रखना; मैं यहोवा हूं।
19. तुम मेरी विधियों को निरन्तर मानना। अपने पशुओं को भिन्न जाति के पशुओं से मेल न खाने देना; अपने खेत में दो प्रकार के बीज इकट्ठे न बोना; और सनी और ऊन की मिलावट से बना हुआ वस्त्रा न पहिनना।
20. फिर कोई स्त्री दासी हो, और उसकी मंगनी किसी पुरूष से हुई हो, परन्तु वह न तो दास से और न सेंतमेंत स्वाधीन की गई हो; उस से यदि कोई कुकर्म करे, तो उन दोनों को दण्ड तो मिले, पर उस स्त्री के स्वाधीन न होने के कारण वे दोनों मार न डाले जाएं।
21. पर वह पुरूष मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा के पास एक मेढ़ा दोषबलि के लिये ले आए।
22. और याजक उसके किये हुए पाप के कारण दोषबलि के मेढ़े के द्वारा उसके लिये यहोवा के साम्हने प्रायश्चित्त करे; तब उसका किया हुआ पाप क्षमा किया जाएगा।
23. फिर जब तुम कनान देश में पंहुचकर किसी प्रकार के फल के वृक्ष लगाओ, तो उनके फल तीन वर्ष तक तुम्हारे लिये मानों खतनारहित ठहरें रहें; इसलिये उन में से कुछ न खाया जाए।
24. और चौथे वर्ष में उनके सब फल यहोवा की स्तुति करने के लिये पवित्रा ठहरें।
25. तब पांचवें वर्ष में तुम उनके फल खाना, इसलिये कि उन से तुम को बहुत फल मिलें; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।
26. तुम लोहू लगा हुआ कुछ मांस न खाना। और न टोना करना, और न शुभ वा अशुभ मुहूर्तों को मानना।
27. अपने सिर में घेरा रखकर न मुंड़ाना, और न अपने गाल के बालों को मुंड़ाना।
28. मुर्दों के कारण अपने शरीर को बिलकुल न चीरना, और न उस में छाप लगाना; मैं यहोवा हूं।
29. अपनी बेटियों को वेश्या बनाकर अपवित्रा न करना, ऐसा न हो कि देश वेश्यागमन के कारण महापाप से भर जाए।
30. मेरे विश्रामदिन को माना करना, और मेरे पवित्रास्थान का भय निरन्तर मानना; मैं यहोवा हूं।
31. ओझाओं और भूत साधने वालों की ओर न फिरना, और ऐसों को खोज करके उनके कारण अशुद्ध न हो जाना; मै तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।
32. पक्के बालवाले के साम्हने उठ खड़े होना, और बूढ़े का आदरमान करना, और अपने परमेश्वर का भय निरन्तर मानना; मैं यहोवा हूं।
33. और यदि कोई परदेशी तुम्हारे देश में तुम्हारे संग रहे, तो उसको दु:ख न देना।
34. जो परदेशी तुम्हारे संग रहे वह तुम्हारे लिये देशी के समान हो, और उस से अपने ही समान प्रेम रखना; क्योंकि तुम भी मि देश में परदेशी थे; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।
35. तुम न्याय में, और परिमाण में, और तौल में, और नाप में कुटिलता न करना।
36. सच्चा तराजू, धर्म के बटखरे, सच्चा एपा, और धर्म का हीन तुम्हारे पास रहें; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं जो तुम को मि देश से निकाल ले आया।
37. इसलिये तुम मेरी सब विधियों और सब नियमों को मानते हुए निरन्तर पालन करो; मैं यहोवा हूं।।

Notes

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लैव्यवस्था 19:25
1. फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
2. इस्त्राएलियों की सारी मण्डली से कह, कि तुम पवित्रा बने रहो; क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा पवित्रा हूं।
3. तुम अपनी अपनी माता और अपने अपने पिता का भय मानना, और मेरे विश्राम दिनों को मानना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।
4. तुम मूरतों की ओर फिरना, और देवताओं की प्रतिमाएं ढालकर बना लेना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।
5. जब तुम यहोवा के लिये मेलबलि करो, तब ऐसा बलिदान करना जिससे मैं तुम से प्रसन्न हो जाऊं।
6. उसका मांस बलिदान के दिन और दूसरे दिन खाया जाए, परन्तु तीसरे दिन तक जो रह जाए वह आग में जला दिया जाए।
7. और यदि उस में से कुछ भी तीसरे दिन खाया जाए, तो यह घृणित ठहरेगा, और ग्रहण किया जाएगा।
8. और उसका खानेवाला यहोवा के पवित्रा पदार्थ को अपवित्रा ठहराता है, इसलिये उसको अपने अधर्म का भार स्वयं उठाना पड़ेगा; और वह प्राणी अपने लोगों में से नाश किया जाएगा।।
9. फिर जब तुम अपने देश के खेत काटो तब अपने खेत के कोने कोने तक पूरा काटना, और काटे हुए खेत की गिरी पड़ी बालों को चुनना।
10. और अपनी दाख की बारी का दाना दाना तोड़ लेना, और अपनी दाख की बारी के झंड़े हुए अंगूरों को बटोरना; उन्हें दीन और परदेशी लोगों के लिये छोड़ देना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।
11. तुम चोरी करना, और एक दूसरे से तो कपट करना, और झूठ बोलना।
12. तुम मेरे नाम की झूठी शपथ खाके अपने परमेश्वर का नाम अपवित्रा ठहराना; मैं यहोवा हूं।
13. एक दूसरे पर अन्धेर करना, और एक दूसरे को लूट लेना। और मजदूर की मजदूरी तेरे पास सारी रात बिहान तक रहने पाएं।
14. बहिरे को शाप देना, और अन्धे के आगे ठोकर रखना; और अपने परमेश्वर का भय मानना; मैं यहोवा हूं।
15. न्याय में कुटिलता करना; और तो कंगाल का पक्ष करना और बड़े मनुष्यों का मुंह देखा विचार करना; उस दूसरे का न्याय धर्म से करना।
16. लूतरा बनके अपने लोगों में फिरा करना, और एक दूसरे के लोहू बहाने की युक्तियां बान्धना; मैं यहोवा हूं।
17. अपने मन में एक दूसरे के प्रति बैर रखना; अपने पड़ोसी को अवश्य डांटना नहीं, तो उसके पाप का भार तुझ को उठाना पड़ेगा।
18. पलटा लेना, और अपने जाति भाइयों से बैर रखना, परन्तु एक दूसरे से अपने समान प्रेम रखना; मैं यहोवा हूं।
19. तुम मेरी विधियों को निरन्तर मानना। अपने पशुओं को भिन्न जाति के पशुओं से मेल खाने देना; अपने खेत में दो प्रकार के बीज इकट्ठे बोना; और सनी और ऊन की मिलावट से बना हुआ वस्त्रा पहिनना।
20. फिर कोई स्त्री दासी हो, और उसकी मंगनी किसी पुरूष से हुई हो, परन्तु वह तो दास से और सेंतमेंत स्वाधीन की गई हो; उस से यदि कोई कुकर्म करे, तो उन दोनों को दण्ड तो मिले, पर उस स्त्री के स्वाधीन होने के कारण वे दोनों मार डाले जाएं।
21. पर वह पुरूष मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा के पास एक मेढ़ा दोषबलि के लिये ले आए।
22. और याजक उसके किये हुए पाप के कारण दोषबलि के मेढ़े के द्वारा उसके लिये यहोवा के साम्हने प्रायश्चित्त करे; तब उसका किया हुआ पाप क्षमा किया जाएगा।
23. फिर जब तुम कनान देश में पंहुचकर किसी प्रकार के फल के वृक्ष लगाओ, तो उनके फल तीन वर्ष तक तुम्हारे लिये मानों खतनारहित ठहरें रहें; इसलिये उन में से कुछ खाया जाए।
24. और चौथे वर्ष में उनके सब फल यहोवा की स्तुति करने के लिये पवित्रा ठहरें।
25. तब पांचवें वर्ष में तुम उनके फल खाना, इसलिये कि उन से तुम को बहुत फल मिलें; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।
26. तुम लोहू लगा हुआ कुछ मांस खाना। और टोना करना, और शुभ वा अशुभ मुहूर्तों को मानना।
27. अपने सिर में घेरा रखकर मुंड़ाना, और अपने गाल के बालों को मुंड़ाना।
28. मुर्दों के कारण अपने शरीर को बिलकुल चीरना, और उस में छाप लगाना; मैं यहोवा हूं।
29. अपनी बेटियों को वेश्या बनाकर अपवित्रा करना, ऐसा हो कि देश वेश्यागमन के कारण महापाप से भर जाए।
30. मेरे विश्रामदिन को माना करना, और मेरे पवित्रास्थान का भय निरन्तर मानना; मैं यहोवा हूं।
31. ओझाओं और भूत साधने वालों की ओर फिरना, और ऐसों को खोज करके उनके कारण अशुद्ध हो जाना; मै तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।
32. पक्के बालवाले के साम्हने उठ खड़े होना, और बूढ़े का आदरमान करना, और अपने परमेश्वर का भय निरन्तर मानना; मैं यहोवा हूं।
33. और यदि कोई परदेशी तुम्हारे देश में तुम्हारे संग रहे, तो उसको दु:ख देना।
34. जो परदेशी तुम्हारे संग रहे वह तुम्हारे लिये देशी के समान हो, और उस से अपने ही समान प्रेम रखना; क्योंकि तुम भी मि देश में परदेशी थे; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।
35. तुम न्याय में, और परिमाण में, और तौल में, और नाप में कुटिलता करना।
36. सच्चा तराजू, धर्म के बटखरे, सच्चा एपा, और धर्म का हीन तुम्हारे पास रहें; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं जो तुम को मि देश से निकाल ले आया।
37. इसलिये तुम मेरी सब विधियों और सब नियमों को मानते हुए निरन्तर पालन करो; मैं यहोवा हूं।।
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