2. कनान देश जिसे मैं इस्त्राएलियों को देता हूं उसका भेद लेने के लिये पुरूषों को भेज; वे उनके पितरों के प्रति गोत्रा का एक प्रधान पुरूष हों।
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3. यहोवा से यह आज्ञा पाकर मूसा ने ऐसे पुरूषों को पारान जंगल से भेज दिया, जो सब के सब इस्त्राएलियों के प्रधान थे।
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16. जिन पुरूषों को मूसा ने देश का भेद लेने के लिये भेजा था उनके नाम ये ही हैं। और नून के पुत्रा होशे का नाम उस ने यहोशू रखा।
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18. और पहाड़ी देश में जाकर उस देश को देख लो कि कैसा है, और उस में बसे हुए लोगों को भी देखो कि वे बलवान् हैं वा निर्बल, थोड़े हैं वा बहुत,
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19. और जिस देश में वे बसे हुए हैं सो कैसा है, अच्छा वा बुरा, और वे कैसी कैसी बस्तियों में बसे हुए हैं, और तम्बुओं में रहते हैं वा गढ़ वा किलों में रहते हैं,
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20. और वह देश कैसा है, उपजाऊ है वा बंजर है, और उस में वृक्ष हैं वा नहीं। और तुम हियाव बान्धे चलो, और उस देश की उपज में से कुछ लेते भी आना। वह समय पहली पक्की दाखों का था।
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21. सो वे चल दिए, और सीन नाम जंगल से ले रहोब तक, जो हमात के मार्ग में है, सारे देश को देखभालकर उसका भेद लिया।
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22. सो वे दक्षिण देश होकर चले, और हेब्रोन तक गए; वहां अहीमन, शेशै, और तल्मै नाम अनाकवंशी रहते थे। हेब्रोन तो मि के सोअन से सात वर्ष पहिले बसाया गया था।
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23. तब वे एशकोल नाम नाले तक गए, और वहां से एक डाली दाखों के गुच्छे समेत तोड़ ली, और दो मनुष्य उस एक लाठी पर लटकाए हुए उठा ले चले गए; और वे अनारों और अंजीरों में से भी कुछ कुछ ले आए।
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24. इस्त्राएली वहां से जो दाखों का गुच्छा तोड़ ले आए थे, इस कारण उस स्थान का नाम एशकोल नाला रखा गया।
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26. और पारान जंगल के कादेश नाम स्थान में मूसा और हारून और इस्त्राएलियों की सारी मण्डली के पास पहुंचे; और उनको और सारी मण्डली को संदेशा दिया, और उस देश के फल उनको दिखाए।
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27. उन्हों ने मूसा से यह कहकर वर्णन किया, कि जिस देश में तू ने हम को भेजा था उस में हम गए; उस में सचमुच दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, और उसकी उपज में से यही है।
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28. परन्तु उस देश के निवासी बलवान् हैं, और उसके नगर गढ़वाले हैं और बहुत बड़े हैं; और फिर हम ने वहां अनाकवंशियों को भी देखा।
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29. दक्षिण देश में तो अमालेकी बसे हुए हैं; और पहाड़ी देश में हित्ती, यबूसी, और एमोरी रहते हैं; और समुद्र के किनारे किनारे और यरदन नदी के तट पर कनानी बसे हुए हैं।
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30. पर कालेब ने मूसा के साम्हने प्रजा के लोगों को चुप कराने की मनसा से कहा, हम अभी चढ़के उस देश को अपना कर लें; क्योंकि नि:सन्देह हम में ऐसा करने की शक्ति है।
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31. पर जो पुरूष उसके संग गए थे उन्हों ने कहा, उन लोगों पर चढ़ने की शक्ति हम में नहीं है; क्योंकि वे हम से बलवान् हैं।
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32. और उन्हों ने इस्त्राएलियों के साम्हने उस देश की जिसका भेद उन्हों ने लिया था यह कहकर निन्दा भी की, कि वह देश जिसका भेद लेने को हम गये थे ऐसा है, जो अपने निवासियों को निगल जाता है; और जितने पुरूष हम ने उस में देखे वे सब के सब बड़े डील डौल के हैं।
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33. फिर हम ने वहां नपीलों को, अर्थात् नपीली जातिवाले अनाकवंशियों को देखा; और हम अपनी दृष्टि में तो उनके साम्हने टिड्डे के सामान दिखाई पड़ते थे, और ऐसे ही उनकी दृष्टि में मालूम पड़ते थे।।
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